खाद प्रबंधन के लिए एनडीडीबी मृदा लिमिटेड का शुभारंभ


० योगेश भट्ट
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नई दिल्ली :  केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने पूरे देश में खाद प्रबंधन की पहल को आगे बढ़ाने के लिए एनडीडीबी मृदा लिमिटेड, जो राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, का यहां शुभारंभ किया, जिसमें केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालयान और डॉ. एल मुरुगन, अतुल चतुर्वेदी, सचिव, डीएएचडी, भारत सरकार, मीनेश शाह अध्यक्ष, एनडीडीबी, सुश्री वर्षा जोशी, अपर सचिव (सीडीडी), डीएएचडी, भारत सरकार और एनडीडीबी मृदा लिमिटेड के नवनियुक्त प्रबंध निदेशक संदीप भारती शामिल रहे।
केंद्र सरकार का अनुमोदन प्राप्त होने पर, एनडीडीबी ने 1 जुलाई 2022 को कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत 9.50 करोड़ रुपये की प्रदत्त पूंजी के साथ एनडीडीबी मृदा लिमिटेड स्थापना की है जो कि एक गैर-सूचीबद्ध पब्लिक लिमिटेड कंपनी है। इस सुअवसर पर, डॉ. बालयान ने एनडीडीबी मृदा लिमिटेड के एक ब्रोशर भी विमोचन किया और डॉ. मुरुगन ने एनडीडीबी के सुधन ट्रेडमार्क को एनडीडीबी मृदा लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को सौंपा। इस सुअवसर पर रूपाला ने कहा कि एनडीडीबी मृदा लिमिटेड से डेरी किसानों को स्लरी/गोबर की बिक्री के जरिए अतिरिक्त आय प्राप्ति के साधन उपलब्ध होंगे खाना पकाने के ईंधन को । बायोगैस के साथ प्रतिस्थापित करने से किसानों को धन की बचत होगी । गोवंश के गोबर का उचित उपयोग करने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इस संबंध में अधिकांश निजी पहल ही हैं। हालांकि, यह नई कंपनी खाद प्रबंधन को प्रयासों को व्यवस्थित ढंग से प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
आगे, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्लरी पर आधारित खाद के उपयोग को बढ़ावा देने से धीरे-धीरे जैविक खाद के साथ रासायनिक उर्वरकों के प्रतिस्थापन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत की आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी । डॉ. बालयान ने कहा कि यह अपनी तरह की पहली कंपनी है जो खाद प्रबंधन की मूल्य श्रृंखला बनाकर गोबर के कुशल उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रही है । इससे डेरी किसानों की आय को बढ़ाने में बहुत योगदान मिलेगा तथा साथ ही स्वच्छ भारत मिशन और हरित ऊर्जा को भी बढ़ावा मिलेगा ।
डॉ. मुरुगन ने कहा कि इस खाद प्रबंधन पहल में भारत की वर्तमान एलपीजी की 50 प्रतिशत खपत के समतुल्य, बायोगैस उत्पन्न करने और भारत की 44 प्रतिशत एनपीके की आवश्यकता के समतुल्य, बायो स्लरी का उत्पादन करने की क्षमता है। 

इसके अलावा, कुशल खाद प्रबंधन से भी सामान्य स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा मिलता है, यह दुधारू पशुओं के उत्पादक आर्थिक जीवन चक्र को बढ़ाने में योगदान देता है जिससे आवारा पशुओं की समस्या से निपटने और जीएचजी उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है। चतुर्वेदी ने कहा कि एनडीडीबी ने डेरी संयंत्रों की बिजली की आवश्यकता की पूर्ति के लिए गाय के गोबर का उपयोग किए जाने की परियोजनाएं भी शुरू की हैं। भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 23 दिसंबर, 2021 को वाराणसी में इस तरह की पहली परियोजना की आधारशिला रखी गई थी। गोबर पर आधारित जैविक उर्वरकों की सामान्य पहचान करने के लिए एनडीडीबी ने "सुधन" नामक एक ट्रेडमार्क भी रजिस्टर किया है।

 शाह ने कहा कि एनडीडीबी मृदा लिमिटेड डेरी संयंत्रों के लिए खाद मूल्य श्रृंखला, बायोगैस पर आधारित सीएनजी उत्पादन, बायोगैस पर आधारित बिजली उत्पादन को स्थापना की शुरूआत करेगी। यह नई कंपनी विभिन्न उद्योगों में अनेक उपयोगी सामग्री के रूप में गाय के गोबर का कुशलतापूर्वक उपयोग किए जाने और पारंपरिक लकड़ी, मिट्टी, पेंट इत्यादि के प्रतिस्थापन के तौर इसके उपयोग किए जाने के अवसरों का पता लगाएगी ।

एनडीडीबी और एनडीडीबी मृदा लिमिटेड के अध्यक्ष ने कहा कि यह कंपनी कुशल गोबर प्रबंधन के लिए किफायती प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान और विकास का कार्य करेगी तथा गाय के गोबर पर आधारित उत्पादों की बिक्री करके ग्रामीण स्तर पर राजस्व सृजन के मॉडल स्थापित करेगी। यह कंपनी गोबर-गैस, स्लरी पर आधारित उर्वरकों का निर्माण करने वाली एजेंसियों को विपणन और बिक्री सहायता प्रदान करेगी और डेरी किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन सृजित करने के लिए परियोजनाओं से कार्बन राजस्व अर्जित करने की व्यवस्था स्थापित करेगी।

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