लोक देवता पाबूजी का यशगान भोपा घेवराराम भील व साथियों की प्रस्तुति

० अशोक चतुर्वेदी ० 

जयपुर, पारंपरिक वेश, हाथों में रावणहत्था और मुख से निकलते मारवाड़ी लोक गीत। इस तरह मनमोहक अंदाज में अपनी मधुर आवाज के जरिए भोपा घेवराराम भील व जीयाराम भील ने लोक देवता पाबूजी का यशगान किया। मौका था जवाहर कला केंद्र व जाजम फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में लोक संगीत की जाजम के तहत हरिजस प्रस्तुति का। प्रस्तुति के दौरान गायन, वादन व नृत्य का बेजोड़ संगम देखने को मिला। गज पर बंधे घुंघरूओं की खनक ने रावणहत्थे से निकली धुन में ऐसी मिठास भरी जो श्रोताओं के दिलों में घर कर गयी। जैसे ही मगाराम व छंगाराम ने स्त्रीवेश में नृत्य करते हुए प्रवेश किया तो कृष्णायन सभागार में मौजूद लोग रोमांचित हो उठे। पहले हाथों से खड़ताल बजाते हुए फिर थाली नृत्य कर दोनों ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
कार्यक्रम के दौरान आगंतुकों को पाबूजी के जन्म, गोगाजी-पाबूजी-रामदेवजी और जोगमाया के पुष्कर स्नान करने तथा शादी के परवाड़ों का रोचक गायन सुनने को मिला। लोक नायक पाबूजी का जन्म मारवाड़ के कोलू ठिकाने में धांधल राठौड़ के यहाॅं 1239 ई. में हुआ। पाबूजी राजस्थान में पूजे जाने वाले पाॅंच पीरों में से एक हैं, वे लक्ष्मण के अवतार माने जाते हैं। नारी सम्मान, गो-रक्षा, शरणागत और वचनों की रक्षा के लिए वह वीरगति को प्राप्त हुए।

जाजम फाउंडेशन के निदेशक विनोद जोशी ने कहा कि गाॅंवों में प्रचलित लोक संगीत को प्रदेश के हर कोने तक पहुॅंचाने के ध्येय के साथ लोक संगीत की जाजम की 5वीं कड़ी के तौर पर हरिजस प्रस्तुति का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में वीनू गुप्ता अति. मुख्य सचिव, एम.एस.एम.ई., पद्मश्री एस. शाकिर अली, कला मर्मज्ञ डाॅ. भवानी शंकर शर्मा, खेल समीक्षक अनंत व्यास, कोरियोग्राफर हरिदत्त कल्ला, नेहरू युवा केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक भुवनेश जैन, अब्दुल लतीफ उस्ता, क्यूरेटर जवाहर कला केंद्र मौजूद रहे।

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