राजस्थान के पर्व गणगौर की प्रस्तुति - लोक वाद्यों की मधुरता ने जीता दर्शकों का दिल

० अशोक चतुर्वेदी ० 
जयपुरः जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित लोकरंग महोत्सव के छठे दिन । छह राज्यों के कलाकारों ने लोक नृत्य व गायन की प्रस्तुति देकर लोक संगीत की महफिल सजाई। शिल्पग्राम में लगे हस्तशिल्प मेले में लोगों की आवाजाही बढ़ गयी है। लोग प्रसिद्ध दस्तकारों के उत्पादों को खरीदने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं। मध्यवर्ती में राजस्थानी अंदाज में कार्यक्रम की शुरुआत हुई। नागौर के श्रवण कुमार गेगावत ने मशक बजाकर लोगों का मन मोह लिया। उनके साथ ढोलक व हारमोनियम की संगत ने प्रस्तुति को खास बनाया। इसके बाद मध्य प्रदेश से आए कलाकारों ने करमा नृत्य पेश किया। कलाकार बत्तीराम मारको ने बताया कि गौंड जनजाति के लोग करमा नृत्य करते हैं। बताया गया कि समुदाय के लोग श्रम को कर्म देवता मानते हैं। मुख्य रूप से कर्म पूजा महोत्सव में यह नृत्य किया जाता है। थांगटा नृत्य में मणिपुर के मार्शल आर्ट को दर्शाया गया।
इसके बाद भोपा गायन प्रस्तुति में सुप्रसिद्ध लोक गायिका भंवरी देवी की आवाज में गीत सुनने को मिले। मध्यवर्ती में मौजूद लोग राजस्थानी रंग में रंगे नजर आए। ‘खोल ए गणगौर माता खोल रे किवाड़ी’... वाग्या मुरली नृत्य की प्रस्तुति में महाराष्ट्र से आए कलाकारों का उत्साह देखने को मिला। जेजुरी में भगवान खंडोबा के उपासक वाग्या मुरली यह नृत्य करते हुए खंडोबा की लीला का वर्णन करते हैं। ‘खोल ए गणगौर माता खोल रे किवाड़ी’ गीत के साथ शुरू हु गणगौर नृत्य की प्रस्तुति ने राजस्थान के लोक त्योहार के सौंदर्य को दर्शाया। 16 दिन के गणगौर पूजन के दौरान सुहागन महिलाओं में खुशी होती है, उसी की झलक यहां दिखाई दी। इसके बाद पुंगचोलम नृत्य में बेहतरीन बाॅडी मूवमेंट देखने को मिले।

बांसुरी की ध्वनी ने घोली मिठास चंग के साथ हुए फाग नृत्य ने सभी का दिल छू लिया। चंग की थाप के बीच सुनाई दे रहे बांसुरी की ध्वनी ने माहौल में ऐसी मधुरता घोली की लोग झुमने लगे। ओडिशा के गोटिपुआ और गुजरात के डांडिया रास की पेशकश के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।प्रश्नोत्तरी में मिले सरप्राइज उपहारलोग लोक कलाओं के बारे में ज्यादा जान सके इसके लिए जेकेके की ओर से प्रश्नोत्तरी भी चलाई जा रही है। जवाब देने वालों को सरप्राइज उपहार दिया जाता है। दर्शक बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा ले रहे हैं।

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