आज की पत्रकारिता को गांधी का मार्ग दिखाया जाए


० आशा पटेल ०
जयपुर । कुमार प्रशांत का कहना था कि हमें एक्शन एवं कमिटमेंट के साथ शब्दों को आकार देना चाहिए। गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सार्वजनिक जीवन में उतरते हुए नई सोच को जमीन पर उतारने के लिए नए कर्म के आगाज के रूप में इंडियन ओपिनियन नामक पत्र प्रारम्भ किया। भारत में चंपारण सत्याग्रह के उदाहरण के माध्यम से उन्होंने भयमुक्त पत्रकारिता का उल्लेख किया। यंग इडिया, हरिजन आदि समाचार पत्रों के माध्यम से सामाजिक न्याय और समानता के लिए आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में संयम आवष्यक है एवं सत्य की आवाज को बुलंद किया जाना चाहिए। महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ गवर्नेन्स इन सोशल साइंस में महात्मा गांधी की पत्रकारिता : समसामयिक सन्दर्भ पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गांधी विचारक कुमार प्रशांत रहे। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का प्रारम्भ सुब्बाराव के गीत जय जगत जय जगत से हुआ। इसके उपरांत संस्था के अकादमिक सलाहकार प्रो. संजय लोढ़ा ने संस्थान की गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान का उद्देष्य गांधीवादी मूल्यों एवं आदर्शों को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। संस्थान द्वारा पिछले 15 महीनों अनेकानेक अकादमिक गतिविधियों का आयोजन किया गया है। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि कुमार प्रशांत ने गांधी की पत्रकारिता की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सर्वप्रथम गांधी ने इंग्लैंड में पहली बार लिखना शुरू किया। उन्होंने यह भी कहा कि जनसरोकारों को शब्दों में आकार दे, वही पत्रकारिता है।

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर बी.एम. शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में गांधी के समक्ष उत्पन्न विषम परिस्थितियों का उल्लेख किया और संदेष दिया कि आज की पत्रकारिता को गांधी का मार्ग दिखाया जाए। गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में प्रवासी भारतीयों की आवाज बनकर इंडियन ओपिनियन नामक समाचार पत्र निकाला। सत्याग्रह के माध्यम से उन्होंने अपनी बात जनता तक पहुंचाई। उन्होंने गांधी शांति प्रतिष्ठान के शोध पत्र गांधी मार्ग की सराहना करते हुए सभी से इसका अध्ययन करने का आग्रह किया। डाला एवं सभी को धन्यवाद दिया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. ज्योति अरुण द्वारा किया गया।

 विशिष्ट अतिथि मीनाक्षी हूजा पूर्व आईएएस अधिकारी ने गांधी को एक सक्रिय पत्रकार के रूप में देखते हुए अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने गांधी जी के पत्र इंडियन ओपिनियन की कुछ पंक्तियों के माध्यम से गांधी के भावों को स्पष्ट किया। गांधी समिति के सदस्य सवाईसिंह ने अपने उद्बोधन में गांधी को एक संदेशवाहक पत्रकार के रूप में चित्रित किया। इसके उपरांत संस्थान में दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। तकनीकी सत्रों में हरिदेव जोशी पत्रकारिता विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सन्नी सैब्सटियन, राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक, डॉ. बजरंग लाल सैनी, नारायण बारहठ, प्रो. राजन महान, शालिनी जोशी, हिमांशु पंड्या, डॉ. शैफाली द्वारा अपने शोधपरक आलेख प्रस्तुत किए गए।

संगोष्ठी के समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. सत्यनारायण सिंह पूर्व आईएएस और विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी और पत्रकार- साहित्यकार फारूक आफरीदी और गांधी विद्यापीठ के प्रो. अरविन्दसिंह भारतीय ने गांधीवादी मूल्यों के आधार और वर्तमान पत्रकारिता की विसंगतियों पर वहीं उद्घाटन सत्र के अंत में डॉ. विकास नौटियाल ने गांधी की पत्रकारिता को संयम के साथ जोड़ते हुए उनके योगदान पर प्रकाश डाला।

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