लक्ष्मण सिंह को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित

० आशा पटेल ० 
नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया राजस्थान लक्ष्मण सिंह को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित। लक्ष्मण सिंह एक गैर-सरकारी पंजीकृत स्वयंसेवी संगठन ग्राम विकास नवयुवक मंडल लपोरिया (जीवीएनएमएल) के संस्थापक और सचिव हैं। उन्हें सामु‍दायिक नेतृत्व वाले सामूहिक प्रयासों के लिए जाना जाता है, उदाहरण के लिए "चौका प्रणाली", इको-पार्क के माध्यम से पर्यावरण रक्षा (हरियाली बचाओ) और "खुल्ला-चिड़ियाघर"। अपने पैतृक गांव में जल संचयन और प्रबंधन की उनकी पहल और प्रयासों को भूजल पुनर्भरण के लिए प्रसिद्ध "लापोरिया मॉडल" के रूप में जाना जाता है, जिससे ग्रामीण आजीविका मजबूत होती है।

8 दिसम्बर, 1959 को राजस्थान के जयपुर जिले के एक छोटे से गांव "लापोरिया" में जन्मे, श्री सिंह के माता-पिता ने उन्हें बेहतर शिक्षा के लिए जयपुर भेजा लेकिन वहदसवींकी पढ़ाई छोड़कर घर लौट आए चूंकि वह शहरी जीवन शैली से तालमेल नहीं बिठा पाए। लगभग उसी समय, वह राजस्थान में सूखे की स्थिति से बुरी तरह विचलित और द्रवित हो गए। उनका गांव पानी की भीषण कमी से जूझ रहा था। इस कारण, वह गांव के तालाब की मरम्मत करने के लिए प्रेरित हुए। उन्होंने गांव के कुछ युवाओं को अपने साथ जुड़ने और श्रमदान करने के लिए प्रोत्‍साहित किया।

 सिंह ने एक अनूठी वर्षा जल संरक्षण तकनीक"चौका प्रणाली" का आविष्‍कार किया, जो देशी तकनीकी ज्ञान पर आधारित है, और इसे गांव में लागू किया गया। जीवीएनएमएल टीम ने ग्रामीण समुदाय को 10 हजार हेक्टेयर परतीचरागाह भूमि विकसित करने में मदद की है, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र के दूध उत्पादन में 3-4 गुना तक वृद्धि हुई है। 1987 में सिंह ने साझे संपदा साधनों के विकास और प्रबंधन के लिए जागरूकता पैदा करने हेतु एक अभियान"धरती जतन यात्रा" शुरू किया। इस यात्रा ने 35 वर्ष पूरे कर लिए हैं। 3000 से अधिक समुदाय-आधारित संगठन सक्रिय हैं और "गौचर", "तालाब" और नदियों" और मौसमी नदियों के विकास कार्यक्रमों/गतिविधियों में लगे हुए हैं। 

इन सभी प्रयासों के फलस्वरूप भूजल भंडार का पुनर्भरण हुआ है और भूजल स्तर में 2-3 मीटर की वृद्धि हुई है। हरियाली के विस्‍तार में 4-5 गुना वृद्धि हुई है, पक्षियों और वन्यजीवों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अब तक 5 लाख से अधिक लोगों ने स्थानीय पर्यावरण की रक्षा की शपथ ली है। इसके अलावा, लगभग 2000 "तालाब" की पूजा की गई, 4 लाख से अधिक वृक्षों को "रक्षा सूत्र" बांधा गया और 10 लाख से अधिक पौधे लगाए गए।  सिंह को कई पुरस्कार प्राप्‍त हुए हैं।इनमें से कुछ 1992 में "राष्ट्रीय युवा पुरस्कार"; 1996 में "इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र"; 2008 में "जल योद्धा के लिए रजत पुरस्कार"; 2013 में "राजीव गांधी प्रयास संरक्षण पुरस्कार" हैं।

 इसके अलावा, जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2007 मेंजीवीएनएमएल को "भूमि जल संवर्धन पुरस्कार" और 2020 में जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्षा जल संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर "सर्वश्रेष्ठ एनजीओ" के तौर पर सम्मानित किया गया था। यूएनडीपी ने उन्हें 1996 में "इको-वालंटियर इंडिया" के रूप में नियुक्त किया गया। अशोका इनोवेटर्स फॉर द पब्लिक ने उन्हें 1997 में "अशोक फैलोशिप का आजीवन सदस्य" सम्‍मान प्रदान किया। वह राजस्थान के कुछ प्रमुख नागरिक समाज संगठनों के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भी हैं।

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