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अल्पसंख्यक मामलात के मंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर सुनी ग्रामीणों की समस्याएं

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जयपुर । अल्पसंख्यक मामलात, वक्फ एवं जन अभियोग निराकरण मंत्री शाले मोहम्मद ने जैसलमेर जिले के ग्रामीण क्षैत्रों का भ्रमण कर जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणजनों की समस्याएं सुनी और उनके समाधान करने का विश्वास दिलाया। उन्होंने नोख में जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों की मांग पर उपनिवेशन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे नोख में शिविर लगा कर उपनिवेशन विभाग की समस्याओं का तत्परता से निस्तारण करवाया जाना सुनिश्चित करें। उन्होंने ग्रामीणों को विश्वास दिलाया कि नहरी क्षेत्र के किसानों को रबी की फसल की सिचांई का पुरा पानी उपलब्ध कराया जाएगा। यहां पर ग्रामीणजनों ने अल्पसंख्यक मामलात मंत्री का नोख में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत करवाने के लिये हार्दिक आभार जताया एवं उनका अभिनंदन किया। अल्पसंख्यक मंत्री ने मुख्तयार खां जिसका सड़क हादसे में हाथ कट गया था उसको मुख्यमंत्री सहायता कौष से सहायता राशि दिलवाने के अधिकारियों को निर्देश प्रदान किए। अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मोहम्मद ने नाचना स्थित मुख्य बाजार में जनसुनवाई की एवं ग्रामीणों की परिवेदनाऍं सुनी। उन्हाने

नहाये खाये से शुरू हुआ लोक आस्थाा का महापर्व छठ पूजा

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छठ मईया की महिमा,जाने सकल जहान। “लाल पावे” जे  पूजे, सदा करी कल्याण।।        लेखक > लाल बिहारी लाल   सृष्टी की देवी प्रकृति नें खुद को 6 बागों में बांट रखा है। इनके छठे अंश को मातृदेवी के रुप में पूजा जाता है। ये ब्रम्हा की मानस पुत्री हैं। छठ व्रत यानी इनकी पूजा कार्तिक मास में आमवस्या के दीपावली के छठे दिन मनाया जाता है इसलिए इसका नाम छठ पर्व पड़ गया। छठ व्रत भगवान सूर्यदेव को समर्पित एक हिंदुऔं का विशेष पर्व है। भगवान सूर्यदेव के शक्तियों के मुख्य स्त्रोत उनकी पत्नी उषा औऱ प्रत्यूषा है। यह पर्व उतर भारत के कई हिस्सों में खासकर यू.पी. झारखंड और बिहार में तो महापर्व के रुप में  मानाया जाता है। शुद्धता,स्वच्छता और पवित्रता के साथ मनाया जाने वाला यह पर्व आदिकाल से मनाया जा रहा है। छठ व्रत में छठी माता की पूजा होती है और उनसे संतान व परिवार की रक्षा का वर मांगा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से छठ  मैया का व्रत करता है। उसे संतान सुख के साथ-साथ मनोवांछित फल जरुर प्राप्त होता है। प्रायः हिदुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व के इस्लाम औऱ अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे गये हैं

पहली महिला प्रधानमंत्री औऱ आयरन लेडी- इंदिरा गांधी भारत में हरित क्रांति और गरीबी उन्मूलन की प्रणेता

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पुण्य तिथि पर विशेष जन्म >19 नवंबर 1917 इलाहाबाद ,मृत्यु >31 अक्टूबर 1984 लेखक >लाल बिहारी लाल   आयरन लेडी इंदिरा गांधी का जन्म देश के एक आर्थिक एंव बैध्दिक रुप से सभ्रांत परिवार में पं. जवाहर लाल नेहरु के घऱ में 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में हुआ था। इनके माता का नाम कमला नेहरु तथा दादा का नाम पं. मोती लाल नेहरु था। इनके दादा एंव पिता दोनों वकालत करते थे।बचपन में इनके माता पिता का लार-दुलार ज्यादा नहीं मिला क्योंकि पिता भारतीय राजनीति में ब्यस्त थे वही माता अस्वस्थ्य रहती थी। इन्हें दादा से ज्यादा लार-दुलार मिला क्योंकि यह घर की इकलौती संतान थी। इनके दादा इन्हें लक्ष्मी एवं दूर्गा के प्रतीक मानते थे। इंदिरा की प्ररंभिक शिक्षा आनंद निवास पर ही हुई ।इन्होनें सिर्फ अंग्रैजी में दक्षता हासिल की और अन्य विषयों पर ध्यान कम दिया। फिर शांति निकेतन उसके बाद उच्च शिक्षा हेतु इंगलैंड गई वैडमिंटन स्कूल तथा आक्सपोर्ड  विश्वविद्याल  में अध्यन किया  फिर ये भारत आ गई । उन्हें विश्व भर के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया था। प्रभावशाली शैक्ष

मुसलमान पिछड़ा हुआ क्यों है Muslim's Big Problems

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राष्‍ट्रपति ने प्रथम राष्‍ट्रीय कॉरपोरेट सामाजिक दायित्‍व (CSR) पुरस्‍कार प्रदान किए

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नयी दिल्ली -"सीएसआर के जरिए इस तरह का योगदान राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी के ट्रस्‍टीशिप दर्शन की सच्‍ची अभिव्‍यक्ति है। उन्‍होंने यह बात भी रेखांकित की कि इन पुरस्‍कारों की विशेष अहमियत है, क्‍योंकि इन्‍हें महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर प्रदान किया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि सीएसआर अब कुछ इस तरह से कारोबारी दर्शन का एक अभिन्‍न अंग बन गया है कि कंपनियां ऐसे कार्यकलाप भी करती हैं, जो महिलाओं, दिव्‍यांगजनों, ग्रामीण क्षेत्रों एवं झुग्‍गी–बस्तियों सहित गरीबों और जरूरतमंद लोगों को सीधे तौर पर लाभान्वित करते हैं"~ राष्‍ट्रपति राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनिंदा कंपनियों को राष्‍ट्रीय कॉरपोरेट सामाजिक दायित्‍व (सीएसआर) पुरस्‍कार प्रदान किए। राष्‍ट्रपति ने 'सीएसआर में उत्‍कृष्‍टता के लिए कॉरपोरेट पुरस्‍कार' और 'चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सीएसआर का योगदान' नामक दो श्रेणियों में विजेता कंपनियों को राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार प्रदान किए।  राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि राष्‍ट्रीय सीएसआर पुरस्‍कारों के जरिए समाज में कंपनियों के उत्‍कृष्‍ट य

जन शिक्षा के लिए राजनीतिक दलों और मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण~उपराष्ट्रपति

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नयी दिल्ली - चुनाव की First Past The Post प्रणाली की सीमाओं पर चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रणाली के तहत 50% से बहुत कम मत पाने वाले भी चुन लिए जाते हैं जिससे संसदीय प्रशासन के प्रतिनिधि चरित्र पर प्रश्नचिन्ह लगता रहा है। उपराष्ट्रपति ने संतोष व्यक्त किया कि 17वीं लोकसभा के लिए चुने गये काफी सदस्यों को 50% से अधिक मत प्राप्त हुए हैं। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि एक प्रबुद्ध जनमत स्वस्थ लोकतंत्र की आवश्यक शर्त है। उन्होंने जन शिक्षा के लिए मीडिया तथा राजनीतिक दलों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए खेद जताया कि दोनों ही संस्थाओं ने अपनी भूमिका का पूरी तरह से निर्वहन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को सतत जनसंपर्क के माध्यम से जनचेतना बढ़ानी चाहिए - जनअपेक्षाओं को विधायी कार्य में प्रतिबिंबित करना चाहिए। उन्होंने सतत जनचेतना और जनशिक्षण में मीडिया की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उपराष्ट्रपति भारत में विधायी निकायों पर दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा अरुण जेटली की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला का प्रथम व्याख्यान दे रहे थे।      उपराष्ट्रपति ने कहा कि यद्

शरद अरविंद बोबडे भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश होंगे,18 नवंबर को शपथ लेंगे

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नयी दिल्ली - न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे 12 अप्रैल, 2013 से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश हैं। इससे पहले वह 16 अक्टूबर, 2012 से लगभग छह महीने के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। वह 29 मार्च, 2000 से बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त जज और 28 मार्च, 2002 से स्थायी जज रहे हैं। राष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति बोबडे 18 नवंबर, 2019 को शपथ लेंगे। न्यायमूर्ति बोबडे का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को हुआ और वह 13 सितंबर, 1978 को अधिवक्ता बने। उन्होंने उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ और नागपुर जिला न्यायालय में वकालत की और उन्होंने समय-समय पर बॉम्बे हाई कोर्ट और उच्चतम न्यायालय में सिविल, संवैधानिक, श्रम, निर्वाचन तथा कराधान मामलों में अधिवक्ता के रूप में अपनी सेवा दी।       न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे संवैधानिक, प्रशासनिक, कंपनी, पर्यावरण तथा निर्वाचन कानूनों के विशेषज्ञ हैं।