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Jashn-e-Urdu-2019,Urdu Academy,Delhi

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सिखों के जनसंहार के ‘गुनाहगारों को सजा देंने की मांग 

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नई दिल्ली के जंतर मंतर पर एकत्रित होकर, 1984 में सिखों के जनसंहार की 35वीं बरसी के अवसर पर जनसभा आयोजित की गई । सभा को आयोजित करने वालों में थे लोक राज संगठन और कई दूसरे संगठन, जो उस जनसंहार के पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर और भविष्य में इस प्रकार के कांडों को रोकने के लिए जरूरी कानूनी व राजनीतिक कदमों को लागू करवाने के लिए, लम्बा तथा अडिग संघर्ष करते आये हैं।   “1984 के गुनाहगारों को सजा दें!”, “राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा और बंटवारे की राजनीति के खिलाफ एकजुट हों!”, “एक पर हमला, सब पर हमला!” - एक बड़े बैनर पर लिखे हुए इन नारों में सभा में भाग लेने वालों की भावनाओं का समावेश था। “बांटो और राज करो की राजनीति मुर्दाबाद!”, “राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंकवाद को एकजुट होकर खत्म करें!”, “राजकीय आतंकवाद मुर्दाबाद!”, “हिन्दोस्तानी राज्य सांप्रदायिक है, लोग सांप्रदायिक नहीं!”, आदि जैसे नारे लिखे हुये बैनर और प्लाकार्ड कार्यकर्ताओं के हाथों में और सभा स्थल के चारों तरफ दिख रहे थे। सभा के सामूहिक रूप से आयोजक थे लोक राज संगठन, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, हि

INDO~NEPALसंबंध रोटी और बेटी वाला है M.ZAHID

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Child Singer Mannat & Mahak छठ गीत नए अंदाज़ में

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साहित्य न केवल इतिहास का स्त्रोत है बल्कि इतिहास का निर्धारक तत्व भी है~डाॅ.अविनाश कुमार

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जयपुर - राजस्थान विश्वविद्यालय के इतिहास एवं भारतीय संस्कृति के मंच हेरोडोट्स सोसायटी द्वारा 'कहानियों के द्वारा इतिहास' विषय पर डाॅ. अविनाश कुमार के विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। डाॅ.अविनाश कुमार, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएचडी, लन्दन विश्वविद्यालय से पोस्ट डाॅक एवं वर्धा विश्वविद्यालय में अध्यापन कर चुके हैं। वे वर्तमान में वाॅटरएड, भारत के कार्यक्रम एवं नीति निदेशक हैं। संयोजिका डाॅ.नीकी चतुर्वेदी ने विषय प्रवर्तन करते हुए रेखांकित किया कि साहित्य के सृजन में अन्तर्निहित पहचान के गठन के भाव को चिन्हित करके इतिहास को सही अर्थों में समझा जा सकता है । विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रमिला पूनिया ने साहित्य के इतिहास के स्त्रोत के रूप में महत्त्व को बताया। डाॅ.अविनाश कुमार ने अपने व्याख्यान में हिन्दी साहित्य को औपनिवेशिक चुनौती के प्रत्युत्तर रूप में समझाने का प्रयास किया। राष्ट्रीयता के सृजन में इतिहास और साहित्य के योगदान को उद्धरण सहित प्रस्तुत करते हुए डाॅ. कुमार ने बताया कि किस प्रकार साहित्य न केवल इतिहास का स्त्रोत है बल्कि इतिहास का निर्धारक तत्व भी है। अध्यक्ष डाॅ

देशभर के सभी ज़ोनल रेलवे कार्यालयों में ‘रन फॉर यूनिटी’आयोजित की गई

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नयी दिल्ली - देश की अखंडता के लिए उनके अपार योगदान की वजह से उन्‍हें 'लौह पुरुष' के रूप में जाना जाता है। उन्‍होंने कहा कि यदि सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ने देशी रियासतों की एकजुटता के लिए पहल न की होती तो देश के मानचित्र के बारे में कल्‍पना करना संभव नहीं हो पाता। भारतीय रेल के लिए भी देश को कई रियासतों के साथ जोड़ने में कठिनाई होती, क्‍योंकि इसके लिए अनुमति की जरूरत होती। भारतीय रेल राष्‍ट्रीय एकता के लिए सरदार पटेल का ऋणी है। सरदार पटेल ने देश में 'सहकारिता आंदोलन' की आधारशिला रखी, जिससे सीधे तौर पर हज़ारों किसान लाभान्वित हुए हैं। सरदार पटेल की जयंती पर, उन्‍होंने कहा कि अपने देश की एकता, सुरक्षा और विकास को कायम रखने के लिए सरदार पटेल के विचारों को अपनाने की जरूरत है।    सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की जयंती पर राष्‍ट्रीय अखंडता और राष्‍ट्र के प्रति उनकी सेवा को ध्‍यान में रखते हुए, भारतीय रेल ने आज राष्‍ट्रीय एकता दिवस मनाया, जिसमें उसके सभी ज़ोनल रेलवे कार्यालय शामिल हैं। इस अवसर पर रेल और वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सरदार वल्‍लभ भाई पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित

दीनी तालीम का सबसे बड़ा मरकज़ देवबंद Devband is the big Markaz of Dini Taleem

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