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कलाकार,साहित्यकार व पत्रकार समाज को नई दिशा प्रदानकरते हैं

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०  विनोद तकिया वाला ०  नयी दिल्ली -इतिहास शाक्षी है खुशहाल देश व समाज को कलाकार,साहित्यकार व पत्रकार अपनी साधना से राष्ट्र व समाज को नई सोच 'नई खोज से नई दिशा व दशा प्रदान करती है। ये तीनो अपनी जोश जज्बा व अपनी साधना से हमेशा देश व समाज के विकाश के लिए सोच ता है।वे अपने जीवन के अनमोल पल को साधना के हवन कुण्ड मे झोंक देते है।ये तीनो ही माँ सरस्वती की मानस पुत्र होने का सौभाग्य मिला। विगत दिनो नई दिल्ली के लुटियन जोन के रायसीना मार्ग स्थित प्रेस कल्ब आफ इण्डिया के सभागार मे कला व थियेटर पर लिखित नवोदित कलाकार के लिए दिशा निदेशन पर आधार्रित पुस्तक "कलामंच " विमोचन समारोह पर वरिष्ट पत्रकार रक्षा मामले के विशेष जानकार व प्रेस कल्ब ऑफ इण्डिया के पूर्व संयुक्त सचिव ने पुस्तक के नवोदित लेखक कनन श्रीवास्तव/नीरज गणवीर के पुस्तक विमोचन समारोह में विशेष आमंत्रण पर हमे साक्षी बनने का स्वर्णिम अवसर मिला।इस कार्यक्रम का आगाज आज के सुत्रघार सुश्री स्वाति के द्वारा अपने सुमधुर स्वर से लेखक व पुस्तक पर प्रकाश विखरते हुए बताई कि अच्छी किताब इंसान का एक सच्चे मित्र होते है 'अच्छी किताब प

भारतीय संविधान की अस्मिता को जानने-समझने की कोशिश

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पुस्तकः भारतीय संविधान-अनकही कहानी लेखकः राम बहादुर राय प्रकाशकः प्रभात पेपर बैक्स, 4/19- आसफ अली रोड, नई दिल्ली मूल्य -700 रूपए, पृष्ठ -502 ० समीक्षक - प्रो.संजय द्विवेदी ०  अपने देश को कम जानने की एक शास्वत समस्या तो अरसे से बनी ही हुई है, जिसका हल आज तक हमारे विद्यालय, परिवार और संस्थाएं नहीं खोज पाई हैं। इसलिए ‘भारत को जानो’ और ‘भारत को मानो’ जैसे अभियान देश में चलाने पड़ते हैं। राष्ट्रीय आंदोलन में समूचे समाज की गहरी संलग्नता के बाद ऐसा क्या हुआ कि आजादी मिलने के बाद हम जड़ों से उखड़ते चले गए। गुलाम देश में जो ज्यादा ‘भारतीय’ थे, वे ज्यादा ‘इंडियन’ बन गए। ‘स्वराज’ के बजाए ‘राज्य’ ज्यादा खास और बड़ा हो गया। देश में आजादी और लोकतंत्र की लड़ाई लड़ने वाले नायक ही गहरी अलोकतांत्रिक वृत्तियों के शिकार हो गए। ऐसे में भारतीय संविधान आज भी न जाने कितने भारतीयों के लिए अबूझ पहली बना हुआ है तो कोई चौंकाने वाली बात नहीं है। जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तब हमें अनेक बातों के विहंगावलोकन के अवसर मिले हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के साथ ही यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती का

इकुल डुकास के संस्थापक एलेन डुकास का भारत दौरा

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० योगेश भट्ट ०  गुरुग्राम : भारत के पहले इकुल डुकास कैम्पस का उद्घाटन करने के लिए इकुल डुकास के संस्थापक और दुनिया के सबसे सम्मानित मिशेलिन-स्टार शेफ एलेन डुकास भारतीय दौरे पर आ रहे हैं। यह कैम्पस इंडियन स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी (आईएसएच) गुरुग्राम में है जिसकी स्थापना हॉस्पिटैलिटी उद्योग के दिग्गज दिलीप पुरी ने की है। एलेन डुकास के इस दौरे से आईएसएच और इकुल डुकास की साझेदारी मजबूत होगी। गौरतलब है कि दोनों सोमेट एजुकेशन के ग्लोबल नेटवर्क स्कूल का हिस्सा हैं। एलेन डुकास क्युलिनरी कला का जुनून रखने वाले भारतीय विद्यार्थियों की क्षमता से वाकिफ हैं और उनका यह दौरा दक्षिण एशिया में खान-पान उद्योग के सुनहरे भविष्य की दिशा में बड़ा कदम है। पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में भारत के अंदर अभूतपूर्व विकास देखा गया है। फूड एंड बेवरेज सर्विसेज ग्लोबल मार्केट रिपोर्ट 2022 के अनुसार एफ एंड बी सेवा का वैश्विक बाजार 2026 तक 9.2 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगा यह उम्मीद है। उपभोक्ताओं में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है और क्युलिनरी कला और पेस्ट्री कला में करियर बनाने के इच्छुक विद्यार्

नुन्हारिया मेहरा समाज ने किया समाज, शिक्षा, साहित्य, चिकित्सा क्षेत्रो में नाम रोशन करने वालो का सम्मान

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० संवाददाता द्वारा ०  छिन्दवाड़ा - नुन्हारिया महरा समाज छिन्दवाड़ा का वार्षिक मिलन समारोह, सम्मान समारोह एवं युवक युवती परिचय सम्मलेन षष्ठी माता मंदिर भवन में कोरोना प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए संपन्न किया गया l कार्यक्रम अध्यक्ष किशनलाल नागलकर , मुख्य अतिथि सिरपत सरनकर ने दीप प्रज्वलित किया एवं राष्ट्रगान कर कार्यक्रम का श्रीगणेश किया l कार्यक्रम में जिला के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी उपस्थिति दी l नुन्हारिया मेहरा समाज आयोजक टीम से सभी ने उपस्थित सदस्यों का स्वागत एवं सत्कार किया l कार्यक्रम में महिला एवं मातृशक्ति की गरिमामयी उपस्थित एवं सहभागिता ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई l कोरोनाकाल के कारण सभी सामूहिक कार्यक्रम एवं गतिविधियाँ की गति धीमी हो गई है l पिछले 2 वषों में ऐसे आयोजन नहीं हो पा रहे हैl नुन्हारिया मेहरा समाज छिन्दवाड़ा ने कोरोना प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए सामाजिक परिचय एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया l कार्यक्रम में आये सामाजिक लोगो का आपसी परिचय के साथ एकजुटता की पहल की गई l समाज के सक्रीय कार्यकर्ता कोमल भावरकर द्वारा बताया गया कि नुन्हारिया समाज का सामाजिक क्षेत्

बाल कवि खोज प्रतियोगिता 2020 शब्दाक्षर द्वारा

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० संवाददाता द्वारा ०  नयी दिल्ली - बाल कवि खोज प्रतियोगिता, शब्दाक्षर द्वारा जूम एप के माध्यम द्वारा एक अनूठे डिजिटल कार्यक्रम का आयोजन हु । यह कार्यक्रम दो सत्रों में बहुत ही खूबसूरती से चला । सन्स्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप  व दिल्ली इकाई की अध्यक्षा सन्तोष कुमारी 'संप्रीती'  ने बहुत ही मनोयोग व उत्साह से इस कार्य को किया। इसकी शुरुआत काफी पहले से शुरु हो गई थी।  अत्याधिक मात्रा में बच्चों का डिजिटल माध्यम से प्रवेश हुआ।इसमें अपने-अपने घरों से ही मोबाइल एवम कम्प्यूटर के माध्यम से कविताएं सुनाकर, सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया । इस प्रतियोगिता की विशेषता ये रही कि इसमें अध्यक्ष, मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि तथा संचालन आदि का दायित्व बहुत ही निपुणता व खूबसूरती से बखूबी निभाया गया। बच्चों के काव्यपाठ पर अपनी विशेष टिप्पणी करने तथा उन्हें आशीर्वाद प्रदान करने हेतु दिल्ली से वरिष्ठ व अन्तराष्ट्रीय  साहित्यकार ,कवयित्री कीर्ति काले  ने बच्चों को अपना स्नेह दिया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि भी कीर्ति काले थी उन्होने बच्चों को सम्बोधित किया ।संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प

कूटनीति में कोई देश किसी का स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता

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0 आर.के. सिन्हा 0   जब    भारत की चीन और पाकिस्तान से    लगने वाली    सीमा    पर तनाव कई महीनों से बरकरार चला आ है. तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दिवाली पर देश की सीमाओं की रखवाली करने वाले जवानों के साथ रहना अत्त्यॅंत ही महत्वपूर्ण है। वे तो पिछले कई वर्षों से दीपोत्सव देश के जवानों के साथ ही मनाते रहे हैं। उन्होंने कहा की उनकी दिवाली तभी पूर्ण होती है जब वह जवानों के साथ होते हैं ,  चाहे   वह बर्फ से ढके पहाड़ हों या रेगिस्तान। इस बार प्रधानमंत्री ने साफ संकेतों में चीन और पाकिस्तान को सॅंयुक्त रूप से यह बता दिया है कि   “ आज का भारत समझ और पारस्परिक अस्तित्व में विश्वास तो जरूर रखता है लेकिन अगर हमारे धैर्य की परीक्षा ली जाएगी तो हम उसी भाषा में हम भी बराबरी से जवाब देंगे।” कहना न होगा कि उनका संदेश बीजिंग से लेकर    इस्लामाबाद तक तो चला ही गया होगा। चीन-पाकिस्तान को ललकारने का मतलब भारत अपने इन चिऱ शत्रुओं    से सरहद पर प्रति दिन ही लोहा ले रहा है। लेकिन ,  भारत को तो अपने इन दुष्ट पड़ोसी मुल्कों की नापाक हरकतों का मुकाबला करने के लिए हर वक्त चौकस और तैयार तो रहना ही होगा। ये द

भारतीय राजनीति में इंदिरा गांधी का अमूल्य योगदान

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लाल बिहारी लाल आयरन लेडी इंदिरा गांधी का जन्म देश के एक आर्थिक एंव बैध्दिक रुप से सभ्रांत परिवार में पं. जवाहर लाल नेहरु के घऱ में 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में हुआ था। इनके माता का नाम कमला नेहरु तथा दादा का नाम पं. मोती लाल नेहरु था। इनके दादा एंव पिता दोनों वकालत करते थे।बचपन में इनके माता पिता का लार-दुलार ज्यादा नहीं मिला क्योंकि पिता भारतीय राजनीति में ब्यस्त थे वही माता अस्वस्थ्य रहती थी। इन्हें दादा से ज्यादा लार-दुलार मिला क्योंकि यह घर की इकलौती संतान थी। इनके दादा इन्हें लक्ष्मी एवं दूर्गा के प्रतीक मानते थे। इंदिरा की प्ररंभिक शिक्षा आनंद निवास पर ही हुई ।इन्होनें सिर्फ अंग्रैजी में दक्षता हासिल की और अन्य विषयों पर ध्यान कम दिया। फिर शांति निकेतन उसके बाद उच्च शिक्षा हेतु इंगलैंड गई वैडमिंटन स्कूल तथा आक्सपोर्ड  विश्वविद्याल  में अध्यन किया  फिर ये भारत आ गई । उन्हें विश्व भर के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया था। प्रभावशाली शैक्षिक पृष्ठभूमि के कारण उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा विशेष योग्यता प्रमाण दिया गया। श्