डॉ. संजीव कुमार की काव्यकृति "अश्मा" का लोकार्पण

० आशा पटेल ०  
जयपुर। राही सहयोग संस्थान और डॉ. राधाकृष्णन स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी के संयुक्त तत्वावधान में प्रख्यात कवि डॉ. संजीव कुमार की काव्यकृति "अश्मा" का लोकार्पण किया गया। इस क़िताब पर व्यापक विमर्श के माध्यम से पौराणिक पात्रों की मौजूदा प्रासंगिकता पर भी चर्चा हुई। संपादक समीक्षक गजेंद्र रिझवानी ने कृति की सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत की। जाने माने व्यंग्यकार व कवि फारूक आफरीदी ने संजीव के विस्तृत लेखन पर प्रकाश डाला। लेखक चित्रकार विनोद भारद्वाज ने कहा कि मिथक और वास्तविक चरित्रों की तार्किकता कभी प्रामाणिक नहीं हो सकती। साहित्य समर्था पत्रिका की संपादक नीलिमा टिक्कू का कहना था कि एक व्यस्त संपादक और प्रकाशक का निरंतर और श्रेष्ठ लिखना चकित करता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुविख्यात लेखक नंद भारद्वाज ने कहा कि जन आस्था का विकल्प विश्वसनीयता नहीं हो सकती।डॉ. संजीव कुमार ने अहिल्या के चरित्र के बहाने तत्कालीन जीवन मूल्यों के प्रकटीकरण की बात कही। उन्होंने पुस्तक के कुछ अंश पढ़कर भी सुनाए जिन्हें श्रोताओं ने मनोयोग से सुना और उन पर अपनी जिज्ञासाएं भी रखीं जिनका समाधान संजीव ने किया।

कार्यक्रम के आरंभ में संयोजक प्रबोध कुमार गोविल ने कहा कि बीता समय चर्चा के दायरों से कभी ओझल नहीं होता और इस पर अनौपचारिक बातचीत की संभावना हमेशा बनी रहती है। उन्होंने अतिथि वक्ताओं को वैचारिक साहित्य भी भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन रेनू शब्दमुखर ने किया।

लाइब्रेरी की अध्यक्ष रेखा यादव ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के विमर्श सामान्य श्रोताओं के लिए साहित्यिक समझ के रास्ते खोलते हैं।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के लेखक, साहित्यकार उपस्थित थे। इंडिया नेटबुक्स की डॉ. मनोरमा तथा कामिनी जी की भी जीवंत उपस्थिति रही।

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