पावन मंजू मातृभूमि से
पावन मातृभूमि सब चाहे तुम्हें निर्मल मन से छवि अनूठी और अलौकिक यहां एकमत जान से..... सच्चे लोग यहां सब तेरी देश का गुण गाते है शांति का मसाल जलाकर आपस में इतराते हैं तुमसा नहीं है अखिल विश्व में आई आवाज वतन से .... पावन मंजू मातृभूमि से मंदिर मस्जिद गिरजा घर गुरुद्वारा तेरा घर है एक दूजे का भाव अनूठा तेरे यहां नहीं छोटा वर है.... हर दिल तेरा ज्ञान का सागर नहीं भेट कदन से पवन मंजू मातृभूमि सब चाहे तू हे निर्मल मन से.... भक्त तेरे गागर का सागर और गुदरी का लाल है इ शिया दिवेश नहीं लेस मात्र भी कितना हिरदय विशाल है. .... झरने झील पहाड़ों से तू सुंदर लगता नंदनवन से पावन मंजू मातृभूमि सब चाहे तुम्हें निर्मल मन से.....