राष्ट्र निर्माण में चरित्र की महत्ता
हमारे देश में कई महान मनीषियों ने जन्म लिया। जिसमें अपने चरित्र बल के आधार पर उन्होंने विश्व पटल पर अपना ही नाम नहीं भारत का नाम भी स्वर्णाक्षरों में अंकित किया। यह वीर्य बलम् शौर्य बलम् और चरित्र बलम् की शक्ति थी। स्वामी विवेकानंद जीका तेजस्वी आकर्षित ब्यक्तित्व कहते हैं अमेरिका में अपने बक्तब्य में खिसकते खिसकते नदी किनारे ले गया, तुलसीदास जी का काव्य संग्रह तथा रामचरित मानस हमारे चरित्र निर्माण का प्रतीक होने के साथ रचनाकार के चरित्र को बयां करता है । वेदों के रचनाकार व्यासजी, समाज सुधारक कबीर, दादू एवं प्रेमचंद जी की रचनाएं जहां समाज के चरित्र का निर्माण करते वहीं अपने चरित्र की छाप भी छोड़ते हैं। रानी लक्ष्मीबाई जो अपने सैन्य संगठन के साथ अंग्रेजों से लड़ी अपने उज्जवल चरित्र का उदाहरण है।महा राणा प्रताप मुगलों से लड़ते-लड़ते जंगलों की खाक छानने लगे यह उनका चरित्रबल ही था। पुरातन इतिहास चरित्र की गाथाओं से भरा पड़ा है। हम अपने विद्यार्थी जीवन में भारत की महान विभूति नामक पुस्तक पढ़ते थे। यह कहने में संकोच होता है आज फूलन देवी , लालू प्रसाद यादव जी एवं कितने ही भ्रष्ट नेताओंकी जी