हर घर की यही कहानी
किसको सुनाएं अपनी दारुण कथा। आज जो भी मिलता है अपनी कथा अपनों के ही दिये जाने वाले दुःख दर्द की कहानी वयां करता है। हर घर की कहानी लगभग एक ही सीरियल की तरह है।सास सासुओं के झुरमुट में बहुओं की सारी कहानी शादी के बाद से नाती होने तक की प्रत्येक सीन की तरह सुनाती है। कभी सिर पर मारती है कभी छाती पीटती है। बहू ने मेरे बेटे पर जादू कर डाला है हम से बोलता तक नहीं, आंखों से गंगा-जमुना बहाना तो बुढ़िया का हर दिन का काम है।नमक मिर्च मिलाने वाले तथा इधर की उधर करने वालों की कमी नहीं है। मतलब सिद्ध करने के लिए बहू के साथ भी ठीक और सासु के साथ भी आंखें मटका कर बात कर लेती है साथ ही मेरा नाम मत लेना तेरी बहू ऐसा कह रही थी राम राम जमाना बहुत बुरा है । मेरे बहू बेटे अभी मेरे हाथ में हैं मैं जैसा कहती हूं मजाल क्या जो टाल जायं। यह इसलिए ताकि ये महारानी हमारे घर का भेद न ले सके। वहां की राम कहानी तो और भी भयंकर है। कुछ खुले मन की होती हैं और कुछ दूसरे का भेद ले लेती हैं अपना नहीं बताती। अधिकतर इन्ही बातों से परिवार बिगड़ते जा रहे। दूसरों पर विश्वास आम बात हो गई है। अपनों पर नहीं। जहां बुजुर्ग पति