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गुंजन पंत की फ़िल्म 'सईयां है अनाड़ी' की शूटिंग शुरू

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मुंबई - टीवी की किशमिश भौजी यानी भोजपुरी सिनेमा की एंजेल गर्ल गुंजन पंत अब एक बार फिर से बड़े पर्दे की ओर लौट आईं है। वे इन दिनों गौरव झा के साथ एक फ़िल्म की शूटिंग में लग गईं है। फ़िल्म का नाम  'सईयां है अनाड़ी' है, जिसकी शूटिंग मुंबई में शुरू हो चुकी है। इस फ़िल्म के निर्देशक नीलाभ तिवारी हैं। फ़िल्म पूरी तरह कमर्सिअल है और इसकी कहानी काफी फ्रेश है।     फ़िल्म को लेकर गौरव झा और गुंजन पंत बेहद उत्साहित हैं। गौरव झा की मानें तो यह फ़िल्म दर्शको को एक अलग ही तरह का मनोरंजन देगा। पटकथा के साथ - साथ संवाद और स्क्रीनप्ले इस फ़िल्म का प्लस पॉइंट होने वाली है। फ़िल्म में कई ऐसे मोड़ हैं, जो दर्शकों को आकर्षित करते रहेंगे। हालांकि अभी फील्म की शूट शुरू ही हुई है, इसलिए कहानी को रिवील नहीं करूंगा। इतना जरूर कहूँगा, फ़िल्म अच्छी है और इसमें मेरे साथ गुंजन पंत हैं। उनके साथ काम कारने  में मज़ा आ रहा है।     गुंजन पंत ने भी फ़िल्म को नायाब बताया और कहा कि इसमें उनकी भूमिका बेहद सशक्त है। गुंजन कहती हैं कि इन दिनों उनके पास जितनी भी फिल्में हैं, उनमें से ये सबसे अलग है। इसलिए मुझे बेहद खुशी है। गौरव झ

कंपनियों को चेतावनी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ अनैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को रोकें

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नयी दिल्ली - देश में लगभग 4.5 लाख एफ़एमसीजी डिस्ट्रिब्यूटर्स और लगभग 96 लाख रिटेलर्स, लगभग 8 लाख मोबाइल रिटेलर्स, लगभग 5 लाख इलेक्ट्रॉनिक रिटेलर्स, लगभग 9 लाख इलेक्ट्रोकल रिटेलर्स रिटेलर्स हैं, जो निर्माताओं से उपभोक्ताओं तक सामान ले जाने वाली एक मजबूत सप्लाई चेन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ।यह बेहद खेदजनक है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां और कॉर्पोरेट रिटेलर अपने वितरक और खुदरा विक्रेताओं को दरकिनार कर रहे हैं जिन्होंने उनके उत्पादों में भारी निवेश किया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ने आरोप लगाया कि बहुराष्ट्रीय और घरेलू कॉर्पोरेट कंपनियां मोबाइल, एफ़एमसीजीसामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, बिजली के उपकरण स्पार्ट्स और फिटनेस सेंटर्स जैसी अन्य वस्तुओं  अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के हाथों में खेल कर इन कम्पनियों द्वारा लागत से भी कम मूल्य और गहरी छूट के खेल में शामिल हैं । कैट इन इसकी कड़ी निंदा करते हुए उन्हें चेतावनी दी है कि या तो वे इस अनुचित व्यापार प्रथाओं को तुरंत बंद कर दें अन्यथा कैट देश भर के व्यापारियों को उनके उत्पादों के बहिष्कार करने का आवाहन करेगा । कैट के र

बड़वाघाट में गोरधोवान मेला,श्रद्धालुओं ने घोघाडी़ नदी में पैर धोकर पूजा की

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मशरक ,छपरा - कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन बाद लगने वाले मशरक प्रखंड के क्षेत्र के बड़वाघाट में गोरधोवान मेला के मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने घोघाडी़ नदी में पैर धोकर आस्था से पूजा की। भोर पहर से शुरू हुआ मेला देर शाम तक चलता रहा। दूर-दराज से चलकर आने वाले श्रद्धालुओं का दिनभर तांता लगा रहा। इस दौरान हर हर गंगे के जयघोष से बड़वाघाट गूंजता रहा। गोरधोवान मेला में पैर धोने के बाद श्रद्धालुओं ने बड़े ही विधि विधान से घोघाड़ी नदी किनारे बने मंदिर में पूजन अर्चन किया। इस दौरान धूप, दीप, अक्षत, रोली, चंदन, पुष्प, दूध, दही, शहद, घृत व नैवेद्य समर्पित कर लोगों ने सुख और समृद्धि की कामना की। कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन बाद लगने वाले मेला के अवसर पर बुधवार को लगे मेले में प्रशासनिक तैयारी पूरी तरह चौकस रही। श्रद्धालु के लिए घाटों पर सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी। मेला में सीओ मशरक ललित कुमार सिंह, बीडीओ राजीव कुमार सिन्हा एवं थानाध्यक्ष रत्नेश कुमार वर्मा ने बरवाघाट मेला की सुरक्षा व्यवस्था के लिए तत्पर दिखाई दिये। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि वरीय पदाधिकारियो के निर्देश पर मेले में चप्पे चप्पे

केजरीवाल की फ्री योजना चुनावी ड्रामा Delhi Public Opinion

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आज तंत्र यंत्र और षड़यंत्र का बोलबाला है, जिसने इस विद्या को सीख लिया वह परांगत व्यक्ति

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लेखक > विजय सिंह बिष्ट बदलता परिवेश,समय समय पर संसार में कई परिवर्तन हुए हैं। कुछ प्राकृतिक होते हैं और कुछ मानवीय परिवर्तन कहलाते हैं। आदिकाल का इतिहास जिसमें मानव चेतना का समय कहा जा सकता है सतयुग में उसे नामित किया गया। उस समय के लोगों का आचरण मात्र सत्य पर निर्भर था, शिक्षा प्रणाली मंत्र प्रधान थी, वेदों  और ऋचाओं का अध्ययन भी बोधगम्य करना होता था।लेखन कार्य भोज पत्रों  अथवा शिला लेखों पर आधारित था। शिक्षा आचार्यों और मंत्र दृष्टाओं पर गुरुकुल या आश्रमों में दी जाती थी। इसके उदाहरण मिलते हैं  श्री राम की धनुष विद्या ,पुष्पक विमान का चालन ,तीर कमान का अभिमंत्रित होकर चलाना। रिद्धि सिद्धि के प्राप्त होने पर हनुमान जी का आकार प्रकार बढ़ाना,मात्र मंत्र शक्ति थी। त्रेतायुग में मंत्र दान गुरु दक्षिणा के आधार पर शिष्ठ समाज का निर्माण हुआ। द्वापर में मंत्र के साथ तंत्र विद्या का प्रादुरभाव हुआ, इसमें वेद के साथ लवेद और सत्य के साथ असत्य  का उद्भव भी होने लगा। राज्य प्राप्ति के लिए समय समय पर शकुनि और द्रुयोधन का छल कपट, जोड़ तोड़ की राजनीति तंत्र पर आधारित हो गई। भगवान श्री कृष्ण का सार

37 Street Children's सरकारी स्कूल में हुआ दाखिला

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Guru Nanak DevJi 550th.PrkashParv,गुरु नानक जयंती

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