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लघुकथा -"हैप्पी न्यू ईयर दीदी"

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'' धर्मु ••• अरे ओ धर्मु •••।अरे उठा नहीं अब तक ? छः बज गए ,सूरज चढ़ आया सिर पर ,रजाई में पड़ा है अभी तक ।" उसकी रजाई खींचते हुए दादी बोली। उनकी तेज आवाज से मेरी नींद भी  खुल गई । आज ठंड बहुत ज्यादा थी । अभी से सूरज कहां उग आया?  पता नही दादी सुबह-सुबह क्यों झूठ बोलती हैं ?  नव वर्ष के आने की खुशी में देर रात तक पार्टी चलने के कारण सभी देर से सोए थे। धर्मु भी रसोई  का सारा काम निपटाकर ही सोया था ताकि सुबह आराम से उठे,पर दादी ने उसका कंबल खींच कर उठा ही दिया और कान पकड़कर बोली, " हैं रे धर्मु , कल मैंने तुझे  गैराज से कुतिया के बच्चे बाहर गली में रखकर आने को कहा था, पर वे तो अभी भी वहीं हैं। कुतिया ने गंद फैला रखा है, एक बार में समझ नही आता •••?" " दादी, अभी वे बहोत छोटे हैं । उनकी तो आँखें भी नहीं खुली। बाहर ठंड में मर जाएँगे । मुझे पाप लगेगा दादी !" धर्मु ने कुतिया के बच्चों के प्रति दया दिखाते हुए कहा ।         "जुबान लड़ाता है मुझसे, तेरी इतनी हिम्मत ? पाप- पुण्य के बारे में मुझे बताएगा ? हर रोज मंदिर जाती हूँ ।ठाकुर जी को भोग लगाए बिना मुँह झूठ

वेंचर कैटेलिस्ट्स ने 2019 में 500 करोड़ का निवेश किया

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नयी दिल्ली - तीसरे सबसे बड़े स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के रूप में भारत में 42,000 से ज्यादा स्टार्ट-अप्स हैं। देश का पहला और सबसे बड़ा इंटिग्रेटेड इनक्यूबेटर वेंचर कैटेलिस्ट्स एशिया के टॉप-3 में है और उसने सही स्टार्टअप्स को पहचानने की कला में महारत हासिल की है। इनक्यूबेटर ने 2019 में 63 डील्स में 500 करोड़ रुपए का निवेश किया है, जिसमें चार से कम वर्षों में 30 सफल एक्जिट्स दिए हैं। इस उपलब्धि के साथ वेंचर कैटेलिस्ट्स ने इंडस्ट्री के मौजूदा स्टैंडर्ड्स को पार कर लिया है। वेंचर कैटेलिस्ट्स भारत का पहला इंटिग्रेटेड इनक्यूबेटर है, जो लंबी अवधि के लिए एंड्यूरिंग वैल्यू बनाने की क्षमता वाले स्टार्टअस्प के शुरुआती चरण में 250 हजार से 1.5 मिलियन डॉलर का निवेश करता है। 2016 के बाद से 27 शहरों में 14,000 से अधिक स्टार्ट-अप्स वेंचर कैटेलिस्ट्स से सही दिशा में मेंटरिंग और प्रशिक्षण के लिए संपर्क कर कुचे हैं। टियर-2 और टियर-3 शहरों में फैले 5000 से अधिक एंजिल्स के विशाल नेटवर्क के साथ प्लेटफार्म ने अब तक 171 डील्स क्लोज की है और वैल्युएशन 1.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। इसने तीन से 70 गुना तक रिटर्न द

"आओ नूतन वर्ष मनायें"

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विजय सिंह बिष्ट आओ नूतन वर्ष मनायें विगत वर्ष को दें विदाई, आओ नव-वर्ष मनायें। विगत  रात्रि कहें अलविदा, नव प्रभात पर हर्ष मनायें। आओ मिलकर नव वर्ष मनायें शुभ संदेश दें जन जन को , नूतन कर्म करने को हाथ बढायें। आओ  भारत मां को सबल बनायें। आओ नव-वर्ष मनायें। मन में हों आशा की किरणें , कुछ करें, करके दिखलायें। हर श्रृंगार करें भारत मां का, नव विकास की ज्योति जलायें। आओ नूतन वर्ष मनायें। मंगल गीतों से गूंजे धरती , आओ इसको स्वर्ग बनायें। गर्भित हो दुनिया सारी हम पर, ऐसी स्वर्णिम आभा फैलायें। आओ मिलकर नव-वर्ष मनायें। आओ विकसित भारत वर्ष बनायें। आओ नव-वर्ष मनायें।       

नव वर्ष 2020 पर विशेष कविता Hindi Poem on the New Year

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JIFF 2020 में छाएगा चीन की फिल्मों का जादू

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जयपुर । गुलाबी शहर की गुलाबी सर्दियों में जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (JIFF) । दुनिया भर में अपनी ख़ास पहचान  जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल  [ जिफ ]   का 12वां संस्करण होने जा रहा है। सिने प्रेमियों के लिए यह जानना किसी खुशखबरी से कम नहीं है कि  जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ट्रस्ट  और  आर्यन रोज़ फाउण्डेशन की ओर से आयोजित जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल [ जिफ] का आगाज़ आगामी वर्ष 17 से 21 जनवरी को आयनॉक्स सिनेमा हॉल,जी.टी. सेन्ट्रल में होने जा रहा है। जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल   इस बात के लिए जाना जाता है कि यहां दुनिया भर के देशों से आई फिल्में दिखाई जाती हैं। सिनेप्रेमियों के लिए यह जानना ख़ास होगा कि जिफ 2020 में चीन से आई कई फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा।चीनी फिल्मों में इन दा मड| नैगिंग| दा जोकर| फीलिंग्स टू टैल| मोज़ैक पोट्रेट| हैवी क्रेविंग|   दा नॉट|प्रॉहिबिट रिटर्न|अनस्टॉपेबल| रिडिकुलस स्कॉलर|ब्लडी डेज़ी और सन राइज़ेस फ्रॉम दा ईस्ट पोल का प्रदर्शन ख़ास रहेगा। इन दा मड यह शॉर्ट फिक्शन फिल्म 21वीं सदी में चीन के सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार के बारे में है। वर्ष 2

सामाजिक,धार्मिक व सांस्कृतिक विसंगतियों का आइना है "अपना हाथ जगन्नाथ"

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उपन्यास अलग तरह के धर्म, मजहब,संस्कृति, समाज, देश की प्रचलित धारणाएं लेकर सामने आया है । उपन्यास में जितेन्द्र और सायमा वह कड़ी है जो एक पात्र को दूसरे पात्र से जोड़ता है व एक घटना को दूसरी घटना से जोड़ती है ,जो प्रारंभ से अंत तक चलती हैं । उपन्यासकार ने इस कथा के माध्यम से सामाजिक,धार्मिक व सांस्कृतिक विसंगतियों के  समाधानों की ओर संकेत दिए हैं।कथा नायक के जीवन के विविध पक्षों को विविध पात्रों के माध्यम से उभारा है। यथा-अपना हाथ जगन्नाथ का कथा सूत्र जुडता है तो  अविरल चलता है । इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि उपन्यास में हिम्मत और विश्वास को चेहरा दिया है ।पात्रों का  वर्णन रचनाकार ने बखूबी तन्मयता से किया है । कथाकार का मन स्वयं विषयवस्तु से एकाकार होकर चले तभी पाठक भी उससे एकाकार हो सकता है । यही कृति का सच है । उपन्यास प्रारंभ से ही कौतूहल बनाए रखता है।जिससे पठनीयता का सिलसिला जानकारियों के साथ चलता चला जाता है ।   हिन्दी साहित्य के समकालीन परिदृश्य में नरेंद्र लाहड़ एक सुपरिचत नाम है। जो बिना किसी शोर-शराबे के निरन्तर अपनी साहित्य सर्जना करते रहे हैं। समसामयिक जनजीवन के प्रतिदिन बदलत

महाराणा प्रताप के 17वें वंशज महाराज शिवदान सिंह राणावत से मुलाकात

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