नये साल मे नई उमंगे नये जोश के संग
सुषमा भंडारी नये साल मे नई उमंगे नये जोश के संग नई रोशनी नया उजाला नये नये हों रंग आओ बाँटे इन रंगों को खुशियाँ हों अनमोल मिलकर रहना सबसे उत्तम है जीने का ढंग खूब उजाड़ा है धरती को आओ इसे बचायें नन्ही-नन्ही पौध लगायें हरियाली फैलायें नई जिन्दगी नये तराने खुशियों भरी हों राहें कर्म को अपना साथी मानें और सफलता पायें क्लेश- द्वेष ये मारामारी हों सब बीती बातें आंखों में हों स्वप्न नयें और मीठी- मीठी रातें देश द्वार और अपने घर में हर प्राणी मुस्काय आओ दूर करें मिलकर हम शकुनि जैसी घातें नये गीत हों छन्द नये हों दोहों की भरमार नये वर्ष में सृष्टी को मैं दे दूं कुछ उपहार लेखन में हो सत्य साधना श्रद्धा और विश्वास झूठ के आगे कभी झुकूं ना मानूं कभी न हार