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त्रिदिवसीय खेल व सांस्कृतिक प्रतियोगिता ( नर्सरी) का समापन

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नयी दिल्ली - दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ,शिक्षा विभाग प: क्षे में त्रिदिवसीय खेल व सांस्कृतिक प्रतियोगिता ( नर्सरी) का समापन सुभाष नगर 6 ब्लॉक के विद्यालय में हुआ। पश्चिमी क्षेत्र के वार्ड नम्बर 1 से 29 तक के सभी स्कूलों के नर्सरी के बच्चों ने इन प्रतियोगिताओं में भाग लिया । यह कहानी व बालगीत की प्रतियोगिता थी जिस में बहुत ही चर्चित व आवश्यक विषयों पर बच्चों ने एक्टिंग के साथ गीतों को बेहतरीन ढंग से सुनाया और कहानी का मन्चन किया। स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत हरे नीले डस्टबिन का प्रयोग गीत के माध्यम से समझाया गया। बाल मजदूरी का विरोध , शिक्षा की अनिवार्यता, एकता में बल ,जल संकट से बचने के उपाय,रामकथा व देशभक्ति की भावना को,आदर्शों को गीतों व कहानियों के माध्यम से चार- पांच वर्ष के नन्हे बच्चों ने बड़े ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया । इस अवसर पर अध्यापकों की मेहनत और उनका उत्साह साफ़  नजर आ रहा था। आज की प्रतियोगिता के अवलोकन हेतु कार्यक्रम स्थल पर विद्यालय निरीक्षिका (शारीरिक) अनीता डागर, नर्सरी विंग इंचार्ज सुषमा भंडारी, प्रधानाचार्या नीलू भारद्वाज (संगीत),खेल इंचार्ज गोविन्द प्रसाद, खेल इंच

Kejriwal Govt.और क्षेत्रीय MLA के बारे में बोले Delhi मदनपुर खादर के लोग

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नर्सरी खेल प्रतियोगिता डिप्टी डायरेक्टर रिषिपाल राणा ने उत्साह बढ़ाया

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हर बीज में भ्रूण छिपा है

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ऐ मां तेरी गोदी से जन्में, तुमने ही हमको पनपाया। खिले तुम्हारे आंगन में, भांति भांति के रूपों में पाया। ऐ मां तुमको  कोटि-कोटि नमन।। तेरी मिट्टी में अमृत भरा है, हर श्रृंगार से हमें सजाया, कितनी पीयूष शक्ति है मां, तेरे रंगों में जो हमने पाया। ऐ मां तुझे शत् शत् नमन। गर्जन तर्जन में भी जन्मे, नया रूप दे हमें उगाया। इंद्रधनुषी रूप निखारा, भांति भांति से हमें पुकारा। हर बीज में भ्रूण छिपा है, नृत्य करता वह धरती में आया। हवा ,पानी ,गर्मी ने फिर उसे जगाया। रत्न गर्भा मां तेरी अनोखी माया। उससे ही हम सबने जीवन पाया।  ऐ धरणी मां शत् शत् नमन।

मायूसी में क्या जीना रोने धोने से कुछ नहीं होगा

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संत कुमार गोस्वामी अब रोने धोने से कुछ नहीं होगा,अरे श्यामा  परेशान हताश क्यों हो,क्या बात है ? क्या बताऊं जिंदगी ही कुछ कदर गुजर बसर कर रही है कोई जानकार काफी सबक लेगा और भाई अतुल बताओ क्या बात है इतना घुमा फिरा कर बोले से अच्छा है सीधे सीधे तो बोल दो...... सुनाता  एक हफ्ता के अंदर श्याम भाई मेरे घर परिवार सब में मेरे प्रति नाराजगी भरी हुई है क्योंकि कोई भी कार्य करता हूं असफलता ही हाथ लगती है लोग लतीफे मारते चल बनते हैं।   दरअसल बात यह है कई दिनों से परेशानियां झेल रहा हूं अतुल किसी को धोखा नहीं दिया बस घर किसी के साथ दिया इसी का फायदा लोगों ने उठाए और अपना काम निकालते हि चल बनते आए दिन कोई-न-कोई अपना काम निकालता है मैं किसी से कोई काम के लिए बोलता हूं शिवा धोखा कि कुछ नहीं मिलता अतुल की बा बात सुन श्याम ने कहा अरे भाई दुनिया का यही दस्तूर है सेवा करने वाले को दूसरे को मदद करने वालों कभी आपके काम नहीं आएंगे यह अपेक्षा छोड़ देने मात्र से ही सुख में क्यों जिंदगी डगर जाएगी  मायूसी पल में क्या जीना रोने धोने से कुछ नहीं होगा बस चलने की नजरिया बदलने होगी जिंदगी जीने की परिभाषा ही बदल जाएग

शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर रिषिपाल राणा ने खेलो इन्डिया के महत्व को समझाया

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नयी दिल्ली - दक्षिणी दिल्ली नगर निगम शिक्षा विभाग द्वारा दिल्ली के खाटू श्याम स्टेडियम में चल रही नर्सरी खेल प्रतियोगिता 2020 में पॉकेट बी,वार्ड 15 से 29 के विद्यालयों के बच्चों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया । चुनाव ड्यूटी की व्यस्तताओं व जिम्मेदारियोंं के रहते हुए भी शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर रिषिपाल राणा ने प्रतियोगिता स्थल पर आकर बच्चों का उत्साह बढ़ाया और इस अवसर पर बच्चों तथा अध्यापिकाओं को सम्बोधित किया साथ ही खेलो इन्डिया के महत्व को भी समझाया।  नन्हे बच्चों के साथ  शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर रिषिपाल राणा ने पॉकेट बी के खेलों का शुभारम्भ किया । आज भी इस खेल प्रतियोगिता में सादा दौड़, बाधा दौड व रिले रेस प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। इस अवसर पर क्षेत्रीय कार्यालय से नर्सरी विंग इंचार्ज सुषमा भंडारी,खेल इंचार्ज गोविन्द प्रसाद व खेल इंचार्ज यशपाल चौहान प्रतियोगिता स्थल पर उपस्थित रहे । 5 फरवरी को इस प्रतियोगिता का समापन समारोह सुभाष नगर ब्लॉक 6 में होगा जिस में दोनों पॉकेट की बालगीत व कहानी प्रतियोगिताएँ होंगी।

मुस्कुराहट मात्र से सब कुछ संभव जिंदगी की परिभाषा बदल जाती है

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संत कुमार गोस्वामी एक औरत बहुत महँगे कपड़े में अपने मनोचिकित्सक के पास गई और बोली "डॉ साहब ! मुझे लगता है कि मेरा पूरा जीवन बेकार है, उसका कोई अर्थ नहीं है। क्या आप मेरी खुशियाँ ढूँढने में मदद करेंगें?" मनोचिकित्सक ने एक बूढ़ी औरत को बुलाया जो वहाँ साफ़-सफाई का काम करती थी और उस अमीर औरत से बोला - "मैं इस बूढी औरत से तुम्हें यह बताने के लिए कहूँगा कि कैसे उसने अपने जीवन में खुशियाँ ढूँढी। मैं चाहता हूँ कि आप उसे ध्यान से सुनें।" तब उस बूढ़ी औरत ने अपना झाड़ू नीचे रखा, कुर्सी पर बैठ गई और बताने लगी - "मेरे पति की मलेरिया से मृत्यु हो गई और उसके 3 महीने बाद ही मेरे बेटे की भी सड़क हादसे में मौत हो गई। मेरे पास कोई नहीं था। मेरे जीवन में कुछ नहीं बचा था। मैं सो नहीं पाती थी, खा नहीं पाती थी, मैंने मुस्कुराना बंद कर दिया था।" मैं स्वयं के जीवन को समाप्त करने की तरकीबें सोचने लगी थी। तब एक दिन,एक छोटा बिल्ली का बच्चा मेरे पीछे लग गया जब मैं काम से घर आ रही थी। बाहर बहुत ठंड थी इसलिए मैंने उस बच्चे को अंदर आने दिया। उस बिल्ली के बच्चे के लिए थोड़े से दूध का इंतजाम किया