संदेश

जीवन की एक चुभन

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विजय सिंह बिष्ट लौटूं तो कैसे लौटूं सारे पथ भूल चुका हूं। जन्म लिया था जहां वहां छोड़ चुका हूं।। सजाया था जिन घरों को खंडहर कर आया हूं। लौटूं तो कैसे लौटूं सारी राहें तोड़ चुका हूं।। जीवन की आपाधापी में सारे सपने भूल चुका हूं। नाते रिस्ते तो दूर जन्म दाताओं को छोड़ चुका हूं। गांव गलियारों में जहां खेला छोड़ चुका हूं।। महलों की चाहत में श्यामल धरती छोड़ चुका हूं। लौटूं तो कैसे लौटूं सारे पथ भूल चुका हूं।। मंदिरों की मधुर घंटियां देवालय भूल चुका हूं। कोलाहली दुनियां में मैं स्वयं को खो चुका हूं। कैसे लौटूं उन राहों में जिनको मैं छोड़ चुका हूं। सपने आते उन खेतों के जिन्हें बंजर कर आया हूं। जननी जन्मभूमिश्च कैसे बोलूं जिसकी ममता छोड़ चुका हूं।। अपनी माटी अपनी धरती उसको भूल चुका हूं। कैसे लौटूं जिसको तन मन से भूल चुका हूं।। कैसे लौटूं मां की उस गोदी में जिनको भूल चुका हूं।। संम्बन्धों की वह भूल भुलैया छोड़ कर आया हूं। नकली नाते रिश्ते जोड़े जिन्हे समझ नहीं पाया हूं। नयी उमंगें अपना कर पुरानी यादें भूल चुका हूं।। सबसे बड़ा गम खाये जाता संस्कारों को भूल चुका हूं। लौटूं तो कैसे लौटूं सारे पथ भ

महामारी से बचने के लिए गीत के माध्यम से संदेश

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छात्रों को सीखने में मदद करने के लिए BYJU'S की मुफ्त लाइव कक्षाएँ

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नयी दिल्ली - विश्व की सबसे अधिक मूल्यवान एडटेक कंपनी BYJU’S ने अपने प्लेटफॉर्म पर फ्री लाइव कक्षाएँ शुरू किया। छात्र अब BYJU’S - The learning app पर दिए गए कार्यक्रम के अनुसार अपने पसंदीदा विषय और स्लॉट को सुरक्षित करके BYJU'S के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों से वास्तविक समय सीख सकेंगे।  BYJU’S के मुख्य परिचालन अधिकारी, मृणाल मोहित ने कहा, “स्कूल के अस्थायी रूप से बंद होने के कारण घर से सीखना पहले से कहीं अधिक महत्व प्राप्त कर चुका है। छात्रों को समग्र और विश्वसनीय समाधान की आवश्यकता है जो उन्हें अपने घरों के आराम से सीखना जारी रखने में मदद करता है। हमारी सामग्री को पहले ही छात्रों की सहायता करने के लिए मुफ्त बनाने के बाद, हमने अब अपने प्लेटफॉर्म पर मुफ्त ‘लाइव कक्षाएँ’ जोड़ दी हैं, जहाँ छात्र हर हफ्ते 3-4 नियमित सत्रों में भाग ले सकते हैं। ऐप पर उपलब्ध मौजूदा सामग्री के साथ, लाइव कक्षाएँ उनके सीखने में एक कार्यक्रम लाएँगे और उन्हें अच्छे शिक्षकों तक पहुँच प्रदान करेंगे - ऐसा कुछ, जिसकी आवश्यकता वे विशेष रूप से अब महसूस कर रहे हैं। देश भर के छात्रों के लिए हमारी लाइव कक्षाएँ तब तक मुफ्त र

बिहार सरकार राज्य के बाहर फंसे लोगों को 1 हजार रूपया देगी

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दरभंगा :- नोवल कोरोना वायरस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए देश भर में लागू लॉक डाउन के चलते बिहार राज्य के जो व्यक्ति  राज्य के बाहर फंसे हुए हैं  ऐसे व्यक्तियों को राज्य सरकार द्वारा तत्काल 1 हज़ार रूपये की मदद दी जा रहीं हैं। यह राशि मोबाइल ऍप के माध्यम से ट्रांसफर की जाएगी जिसके लिये आधार नंबर जरूरी होगा. इस योजना का लाभ केवल उन्हीं लोगों के लिए है, जो बिहार राज्य के निवासी है तथा बिहार राज्य से बाहर कोरोना वायरस के चलते फंसे हुए है।  इस योजना का लाभ प्राप्त करने करने हेतु सर्वप्रथम उन्हें अपने  मोबाईल फोन में गूगल प्ले स्टोर से बिहार कोरोना सहायता एप्प डाउनलोड करना है अथवा aapda.bih.nic.in लिंक पर क्लिक करने पर एक डैश बोर्ड  खुलेगा जिसपर अपना सारा ब्यौरा  भरनी हैं । तत्पश्चात् सत्यापित करनी हैं. इस योजना का लाभ प्राप्त करने वाले लाभार्थियों को अपने साथ आधार कार्ड की प्रति रखना अनिवार्य होगा। साथ ही लाभार्थी के नाम से बैंक खाता जो बिहार राज्य में अवस्थित किसी भी बैंक के ब्रांच का होना जरूरी हैं.  लाभार्थी के फोटो (सेल्फी) का मिलान आधार डेटाबेस के फोटो से किया जायेगा अतः आधार का फोट

फिर अंधेरे मिटाने का आया समय

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सुषमा भंडारी फिर अधेरे मिटाने का समय आ गया फिर अंधेरे मिटाने का आया समय ये कोरोना भी रावण से कम तो नहीं फिर अन्धेरे----- बाद चौदह बरस काट बनवास के राम आये अयोध्या तो दीपक जले रामनवमी मनाई है हमने अभी क्यूँ ये कोरोना रावण हमको छले  फिर अंधेरे----- आओ रहकर अलग मिल जायें सभी एक ही वक्त में रौशनी को भरें चाहे दीपक हो माटी का या टॉर्च हो मोमबाती भी अपने स्ंग में धरें फिर अन्धेरे ------- बंद करके घरों की सभी लाइटें  5 अप्रैल की सन्ध्या को आओ रटें जब घड़ी में बजें होंगे नौ रात के लेके उम्मीद हाथों में सब ही डटें फिर अन्धेरे --------- नाश हो जायें वायरस की सारी जड़ें सोच को एक जुट करके आओ लडें  ये महामारी इसको न समझें सहज सावधानी के संग ही आगे बढें फिर अन्धेरे -------- जीत निश्चित ही होगी हमारी यहां विश्व- व्यापी बीमारी क्यूँ आई यहां लक्ष्य बेशक कठिन है मगर पाएंगे हारना हमने सीखा नहीं है यहाँ  फिर अन्धेरे मिटाने का आया समय ये कोरोना भी रावण से कम तो नहीं फिर अन्धेरे-----

दिल्ली की यमुना नदी प्रदूषण मुक्त

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इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) की “सबकी रसोई”

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नयी दिल्ली - वैश्विक महामारी करोना की वजह से लोगों को अपार पीड़ा एवं परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अभी चल रहे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वजह से कई लोग भारी संकठों से जूझ रहे हैं, और इसका सबसे बुरा प्रभाव आर्थिक रूप से सबसे निचले पायदान के लोगों – प्रवासी मजदूर, दिहाड़ी कामगार और बेघरों पर पड़ रहा है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) “सबकी रसोई” नाम से एक कार्यक्रम शुरू कर रही है। इसके माध्यम से समाज के सबसे ज़रूरतमंद लोगों के एक बड़े तबके को लॉकडाउन के दौरान रोजाना भोजन मुहैया कराने का प्रयास किया। “सबकी रसोई” की शुरुआत 5 अप्रैल से होगी और 10 दिनों के पहले चरण में भारत के 20-25 शहरों में कम से कम 15 लाख भोजन के पैकेट पहुंचाए जाएंगे। इसको सफल बनाने के लिए देशभर के 1,000 से अधिक मेधावी युवा एकजुट होकर इस कार्यक्रम को चलाएंगे और चयनित शहरों में रोजाना 1.5 लाख लोगों को भोजन मुहैया कराएंगे।