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एमजी इंडिया एमजी नर्चर प्रोग्राम के तहत 200 छात्रों को मार्केट-फोक्सड स्किल सेट से लैस करेगी

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नई दिल्ली : बड़े पैमाने पर समुदाय की सेवा के लिए अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए एमजी मोटर इंडिया ने एमजी नर्चर प्रोग्राम की घोषणा की है। यह छात्रों को प्रशिक्षण देने पर केंद्रित अपनी तरह का पहला स्टूडेंट सपोर्ट प्रोग्राम है। यह पहल लगभग 200 छात्रों को मार्केट-फोक्सड स्किल सेट से लैस करेगी और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करेगी। इस कठिन समय में और विस्तारित लॉकडाउन के समय में एमजी मोटर इंडिया की पहल का उद्देश्य स्टूडेंट कम्युनिटी को स्किल से लैस करना है जो भविष्य में उनके कैरियर संभावनाओं को बढ़ाएगा। इसके बदले में कार निर्माता देश के युवाओं के क्रिएटिव और इनोवेटिव विचारों का लाभ उठाएगा। एमजी नर्चर प्रोग्राम के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट में कॉलेजदेखो अपने इकोसिस्टम के जरिये समर्थन देगा। इसमें एक इंडस्ट्री-फर्स्ट रोबोटिक चयन प्रक्रिया होगी, जिसे दूसरे स्टार्ट-अप इव्यूमी रोबोटिक चयन द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। प्रोग्राम का विशेष आकर्षण उच्च अध्ययन के लिए कुछ छात्रवृत्ति प्रदान करने का है। एमजी मोटर इंडिया के अध्यक्ष और मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव चाबा ने इस पहल पर कहा, "इस मुश्किल समय में ए

लक्ष्य मेरा है छू लूं मैं नीलगगन का छोर

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सुषमा भंडारी आशा और निराशा के  हिंडोले पर झूलूं  उत्साह और विश्वास के दम पे  मैं लक्ष्य को छू लूं पवन साहस भरूं परों में निकलूं पंख पसार लक्ष्य का बाधक न कोई  जीत मिले या हार कर्म ध्येय हो निश्चित मेरा हो खुशियों की डोर  उम्मीदों के पंख लिये मैं  उडती नभ की ओर  मंजिल पाना दृढ़ निश्चय हो  बाधायें निर्मूल  नैया हो जब सत्य की भव में  शांत रहें सब कूल यक्ष प्रश्न के हल भी मिलते  कोशिश से सब मिलता उद्यम की दहलीज पे हरदम सुन्दर उपवन खिलता खुशियों की कोयल गाये और झूमे मन का मोर उम्मीदों के पंख लिये मैं उडती नभ की ओर जीवन सफल उसी दिन मेरा जब ना मानूं हार सही दिशा में चलती जाउँ हो जाउंगी पार सत्यकर्म और सत्यवचन ही जीवन का आधार ना ही कोई दुख हो जग में  ना कोई लाचार जब ये स्वप्न आँख में तैरें  हो जाउँ भाव - विभोर उम्मीदों के पंख लिये मैं उडती नभ की ओर लक्ष्य मेरा है छू लूं मैं नील - गगन का छोर  ===========================  ( आदमी ) गौरैया जब बना रही थी  मेहनत और प्यार के तिनकों से सुन्दर घर तभी आदमी ने सीख लिया था उसे तोडने का हुनर गौरैया अब भी भटक रही है----------- जब नदी निश्छल अल्हड़-सी बह रह

पंचायत के हर घरों को मिलेंगे 4 मास्क और साबुन

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बिहार ,इसुआपुर ( सारण ) : कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु बिहार सरकार के पत्र के आलोक में पंचम राज्य वित्त आयोग मद से डटरापुरसौली व सहवाँ पंचायत के वार्ड सदस्यों को मुखिया संगम बाबा ने मास्क और साबून उपलब्ध कराया । वहीं  डटरापुरसौली व सहवाँ पंचायत के वार्ड सदस्यों को वार्ड के प्रत्येक घरों के लिये 4 मास्क और 20 रुपये मुल्य के साबून क्रय कर वितरण के लिये दिये गये । वहीं मुखिया संगम बाबा ने कहा की डटरापुरसौली व सहवाँ पंचायत में 14-14 वार्ड हैं जहाँ प्रत्येक घरों में 4 मास्क और 20 रुपये मुल्य के साबून को वार्ड सदस्य हर घरों को देंगे । संगम बाबा ने ये भी कहा की मास्क-साबून के वितरण के समय कोरोना संक्रमण को रोकने को लेकर लोगों को जागरुक भी करना है ताकि कोरोना संक्रमण से हमारा समाज बच सके ।  इसुआपुर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न क्वारंटाईन सेन्टरों पर रह रहे प्रवासियों के बीच संगम बाबा ने साबून-मास्क व बिस्किट वितरित किया । मौके पर पंचायत सचिव मिश्रीलाल राय, वार्ड सदस्य सहिदुल्लाह, मोती महतो,  चितरंजन बाबा, अजमत अली, शैलेन्द्र राय, शायरा खातुन, वीआईपी सिंह, अशोक सिंह, अमीत गुप्ता, नौशाद अंसारी, सोना

पलायन का अर्थ घर छोड़कर जाना नहीं था

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विजय सिंह बिष्ट   जमाने में एक कहावत थी जाओगे जहां लौट के आओगे वहां,यह कहावत जीवन के हर पहलुओं को चरितार्थ करती थी। पलायन का अर्थ घर छोड़कर जाना नहीं था। उसमें अवज्ञा शब्द जो उचित की अवहेलना थी, और  ठोकर खाकर फिर उसी बात को मान लेना लौटकर आना कहलाता था।यह प्रकृति का नियम भी है। जाड़ा,गर्मी  ऋतु परिवर्तन और पुनः लौटना कर आना सृष्टि का लौकिक क्रम है। महामारी के इस तांडव को देखते हुए यह लगता है कि हम लोगों ने जो अपने गांव और घर छोड़ दिए थे जिनकी यादें थूमिल हो चुकी थी,उन राहों को जिन्हें हम भूल चुके थे, आज अपनी जान की बाजी लगाकर  अंन्धनयन हो गांव लौट रहे हैं।  जीवन की अंन्धाधुन्ध इस प्रतियोगिता में कहां हार और जीत है कोई अंदाजा नहीं है। कितने लोग भयातुर होकर छिपे छिपाये मौत को गले लगाकर रास्ते में ही कालकवलित हो गये। फिर भी रेलवे स्टेशनों पर मोटर गाड़ियों और अन्य बाहनों की तलाश में भागे जा रहे हैं। रोग का संक्रमण शत्रु भीड़ में छिपा हुआ है, कब अपना आक्रमण करदे यह वैज्ञानिकों, चिकित्सकों को भी नहीं पता है। हां इतना अवश्य पता है अपनों से भी दूरी बना के रखो चाहे आप जिस स्थिति में हैं।  पहाड़

डिजिटल कृषि-लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए एग्रीबाजार पर किसानों को रजिस्ट्रेशन फी से मुक्ति

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●        यह ऐप पर किसानों के रजिस्ट्रेशन बढ़ाने के लिए किए जा रहे कंपनी के प्रयासों का हिस्सा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खरीदार और विक्रेता अपने घरों से सुरक्षित लेन-देन कर सकें। ●        एग्रीबाजार का लक्ष्य अपने ऐप के माध्यम से किसानों तक पहुंचकर लॉजिस्टिक की अड़चनों को दूर करना है; ग्राउंड टीम खेत के उत्पादन के लिए लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करती है। ●        एग्रीबाजार लगभग 10,000 व्यापारियों और प्रोसेसर्स, 36 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में 2 लाख से अधिक किसानों के नेटवर्क के साथ 100 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को जोड़ता है भारत की प्रमुख ऑनलाइन एग्री-ट्रेडिंग कंपनी एग्रीबाजार ने कोविड-19 लॉकडाउन अवधि में अपने प्लेटफॉर्म पर किसानों के लिए रजिस्ट्रेशन फी की छूट की घोषणा की है। यह ऑफर सीमित अवधि के लिए है। इसके जरिये यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी कृषि उपज बर्बाद न हो और एग्री-सप्लाई चेन की दिक्कतों को कम किया जा सके। ताकि किसान और खरीदार अपने घरों पर सुरक्षित रहकर शारीरिक दूरी रखते हुए व्यापार कर सके। 2016 में स्थापना के बाद से ऐप ने 14,000 करोड़ रुपए की जीएमवी

सुरक्षा एवं स्वच्छता के लिए योगदान देने की योजना बना रहा है जेएसडब्ल्यू पेंट्स

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मुंबई : जेएसडब्ल्यू पेंट्स, जो भारत के नए ज़माने की पेंट्स कंपनी है तथा 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर के जेएसडब्ल्यू ग्रुप का हिस्सा है, घरेलू बाजारों में अपने हैंड सैनिटाइज़र को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। अपने उपभोक्ताओं की सुरक्षा एवं स्वच्छता के लिए विचारशील तरीकों से योगदान देना कंपनी की प्रतिबद्धता रही है, और यह उत्पाद भी इसी विचारधारा का एक हिस्सा है। जेएसडब्ल्यू पेंट्स ने इस उत्पाद के निर्माण तथा देश के सभी बाजारों में विपणन के लिए आवश्यक सभी वैधानिक स्वीकृति, अनुमतियां और लाइसेंस प्राप्त किए हैं। उम्मीद है कि, मई 2020 में कंपनी का हैंड सैनिटाइज़र ब्रांड, सिक्योरऑल विपणन के लिए पूरी तरह तैयार होगा। लंबी बीमारियों एवं संक्रामक रोगों की बढ़ती घटनाओं के कारण भारत में हैंड सैनिटाइज़र की मांग लगातार बढ़ रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अब संक्रामक रोग भी पूरी दुनिया में होने वाली मौतों के शीर्ष 10 कारणों की सूची में शामिल हो गए हैं। घर को पेंट करने की प्रक्रिया में कई तरह की सामग्री एवं लोगों की काफी आवाजाही होती है, जिससे संक्रमण की संभावना और बढ़ जाती है। घर-परिवार के लिए पूरी तरह

गाँवों में हीं तलाशने होंगे रोजी-रोजगार के साधन- मुखिया संगम बाबा

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बिहार ,पानापुर/ इसुआपुर ( सारण ) :- पानापुर प्रखंड के बेलऊर पंचायत के पिपरा गाँव के दलित बस्ती और अति पिछङा टोलों में जरुरतमंदो के बीच मुखिया संगम बाबा ने कच्चा राशन-सब्जी-दाल के पैकेट का वितरण किया ।  पिपरा गाँव के सैकड़ों जरुरतमंदो व असहायों के बीच संगम बाबा ने राहत सामग्री बाँटा । संगम बाबा ने बताया की कोरोना को लेकर रोजी-रोजगार बंद हो जाने से मजदूरों को आर्थिक तंगी से गुजरना पङ रहा है अब इन्हें अपने परिवार को चलाने के लिये गाँवों में हीं रोजगार के साधन ढूंढ़ने होंगे । वहीं इसुआपुर प्रखंड के अचीतपुर, श्यामपुर शिवदियरी और इसुआपुर हाईस्कूल में बनाये गये क्वारंटाईन सेन्टरों पर भी मुखिया संगम बाबा ने प्रवासियों के बीच बिस्किट, साबून-मास्क बाँटे । मौके पर पिपरा गाँव में अनूप सिंह, रवि सिंह, रंजन कुमार, अजय राय, बबलू राम, दिपक सिंह, भरत राय, हीरालाल प्रसाद, राहुल सिंह, विजय साह, बिट्टू राम, सनोज राम, संतोष राम मौजूद थे ।