बदलाव की बयार "समाज की विकृतियों से जूझती लघु कथाएं"
समीक्षक / साहित्यकार सुरेखा शर्मा पुस्तक- बदलाव की बयार ( लघुकथा संग्रह ) लेखिका- सविता इन्द्र गुप्ता , प्रकाशन-साहित्य संस्थान मूल्य -300/₹,पृष्ठ -120. प्रथम संस्करण -2019 " जहाँ तक निगाह जाती है,न कोई जीवन है न कोई चिह्न ।गर्म रेत ही रेत,बारिश और हवाओं का चमत्कार ही तो था कि रेत में विचित्र कंपन हुआ और शक्तिमान अवतरित हुआ एक आदमी के रूप में ।फिजाएं महक उठी जब एक परी ने भी जन्म लिया ।एक रात खूब आंधी तुफान,पानी बरसा,तो उगा एक पेड़ जिस पर लगा था एक सेब।जाने अनजाने में इस सेब को खाते ही सृजन की घंटियां ध्वनित होने लगी। चहुं ओर प्रकृति की छटा अंगड़ाई लेने लगी कण-कण जीवंत हो उठा।लेकिन एक दिन शक्तिमान ने परी को भूला दिया "--- ये पंक्तियाँ हैं लघुकथा संग्रह "बदलाव की बयार" की लघुकथा 'दूसरी औरत' से। जब शक्तिमान का परी से मन भर गया तो छोड़ने से पूर्व परी ने पूछा कि, ' मेरा कसूर तो बताओ क्या है ?' तो पुरुष प्रवृति सामने आती है -- " एक हो तो बतााऊं, तुम बदसूरत हो, झगड़ालू हो, गंवार हो।" परी जोर से चिल्लाई, बस चुप करो।" यह किसी प्रकार का