जो कानून घटना के समय था ही नहीं उसके तहत कार्रवाई कैसे की जा सकती है
रिहाई मंच ने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यायदेश 2020 बदनाम ज़माना यूएपीए कानून जैसा क्रूर है जिसके तहत आरोप लगाने वाले के बजाए आरोपी को ही अपनी बेगुनाही सिद्ध करने का प्रावधान है। इसके कानून बनने के बाद राजनीतिक विरोधियों के दमन के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग की संभावना बहुत प्रबल हो जाती है। इसी विवादस्पद कानून की बुनियाद पर लखनऊ प्रशासन क्षतिपूर्ति के नाम पर सम्पत्तियों को सील और कुर्क करने की कार्रवाई कर रहा है। इसी कानून का सहारा लेकर लखनऊ में तीन दुकानों को सील करने और रिक्शा चालक मोहम्मद कलीम को गिरफ्तार करने की कार्रवाई सामने आई। लखनऊ । रिहाई मंच ने कहा कि लखनऊ प्रशासन की क्षतिपूर्ति के नाम पर सम्पत्तियों को सील और कुर्क करने की कार्रवाई कानूनी कुतर्को पर आधारित अन्यायपूर्ण, दमनकारी और विरोध के स्वर का गला घोंटने वाली है। क्षतिपूर्ति के नाम पर जिस कानून के तहत यह सब किया जा रहा वह न्याय की अवधारणा के विपरीत, लोकतंत्र और न्याय विरोधी क्रूर कानूनों की श्रंखला की एक और कड़ी है। जो कानून घटना के समय था ही नहीं उसके तहत कार्रवाई कैसे की जा सकती है। इस क