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भाषाएँ बचेंगी तो साहित्य और संस्कृति बचेगी'- सुधाकर पाठक

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हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं पर विशेष रुचि रखने वाले, भारतीय भाषाओं पर शोध करने वाले एवं भाषाओं पर कार्य करने वाले लेखकों एवं शोधार्थियों के लिए ‘भाषा-गत-अनागत’, ‘हिन्दी: विमर्श के विविध आयाम’ एवं ‘भारतीय भाषाएँ: चिंता से चिंतन तक’ नाम से अब तीन महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ पुस्तकें उपलब्ध हैं। भारतीय भाषाओं पर केंद्रित इन तीन महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार को समर्पित संस्था ‘हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी’ ने किया है। ‘भाषा-गत-अनागत’ पुस्तक 31 विद्वान लेखकों का भाषा पर केंद्रित साक्षात्कारों का संग्रह है। ‘हिन्दी: विमर्श के विविध आयाम’ पुस्तक हिन्दी भाषा पर केंद्रित लेखों का संग्रह है, तो वहीं ‘भारतीय भाषाएँ: चिंता से चिंतन तक’ पुस्तक भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित भारतीय भाषाओं, उपभाषाओं एवं बोलियों पर केंद्रित लेखों का संग्रह है। भाषा किसी भी संप्रभु राष्ट्र के चार प्रमुख आधारों में से एक गंभीर और महत्त्वपूर्ण विषय है। राष्ट्रीयता, स्वाभिमान, मौलिकता, राष्ट्रीय गौरव, एकता एवं अखंडता आदि जैसे विषयों की जड़ें भाषा स

सामाजिक न्याय की लड़ाई आर्थिक न्याय व राजनीतिक न्याय के साथ ही आगे बढ़ेगी

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लखनऊ - सामाजिक न्याय के समग्र एजेंडा पर बात करते हुए बहुजन बुद्धिजीवी डॉ विलक्षण रविदास ने कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई आर्थिक न्याय व राजनीतिक न्याय के साथ ही आगे बढ़ेगी. शासन-सत्ता की संस्थाओं और तमाम क्षेत्रों में आबादी के अनुपात में भागीदारी के साथ ही संपत्ति व संसाधनों के आसमान वितरण व बढ़ती विषमता के खिलाफ न्यायपूर्ण हिस्सेदारी की लड़ाई भी लड़नी होगी. निजीकरण के रास्ते संपत्ति व संसाधनों को मुट्ठी भर लोगों के हवाले किया जा रहा है. बहुजनों की वंचना बढ़ती ही जा रही है. उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की राजनीतिक पार्टियों का फेल्योर सामने है. इन पार्टियों ने सत्ता में रहते हुए सामाजिक न्याय के साथ न्याय नहीं किया है. हमें नये सिरे से बहुजनों को जगाने, संगठित करने और सड़कों पर संघर्ष को आगे बढ़ाना होगा. भागलपुर,लखनऊ. रिहाई मंच, सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार), बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच, बहुजन स्टूडेन्ट्स यूनियन, सामाजिक न्याय मंच(यूपी), अब-सब मोर्चा सहित कई संगठनों की ओर से शाहूजी महाराज की विरासत को बुलंद करने व सामाजिक न्याय को संपूर्णता में हासिल करने के लिए संघर्ष तेज करने का संकल

'बिन मुहब्बत जिस्म ये खंडहर पुराना हो गया मेरे दिल को मुस्कराए इक ज़माना हो गया

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नयी दिल्ली - प्रणेता साहित्य संस्थान,दिल्ली द्वारा आॅनलाइन काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन संस्थान के संस्थापक एवं महासचिव एस जी एस सिसोदिया ,अध्यक्षा सुषमा भण्डारी और उपाध्यक्षा शकुंतला मित्तल,सचिव भावना शुक्ल,कोषाध्यक्ष चंचल पाहुजा  के सक्रिय प्रयासों  से सफलता पूर्वक संपन्न हुई ,जिसमें विभिन्न राज्यों के 20 रचनाकारों ने अपनी अपनी रचनाओं से समां बांधा।   कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन वीणा अग्रवाल द्वारा माँ शारदे की वंदना के साथ हुआ । इस अवसर पर वीणा अग्रवाल ने मधुर स्वर में ' वरदायिनी वरदान दो,अंतःकरण में ज्ञान दो' की सुमधुर प्रस्तुति  से मंच को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। सरस्वती वंदना के पश्चात संस्थान के संस्थापक और महासचिव एस जी एस सिसोदिया ने अपने उद्बोधन में प्रणेता साहित्य संस्थान का संक्षिप्त परिचय देते हुए सभी उपस्थित साहित्यकारों को शुभकामनाएँ प्रेषित की। यह गोष्ठी  प्रतिष्ठित कवयित्री सरोज गुप्ता की अध्यक्षता में संपन्न  हुई। मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध प्रतिष्ठित कवि एवं गीतकार जगदीश मीणा ने अपनी गरिमामय  उपस्थिति से मंच को सुशोभित किया। विशिष्ट अतिथि के रूप

Bihar विधानसभा के चुनाव क्या समय पर हो पाएंगे

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प्रणेता द्वारा ऑनलाइन काव्य गोष्ठी

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भाजपा एक चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने में जुटी हुई है

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राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस' मनाने की नई परंपरा की शुरुआत...

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लख़नऊ - कोरोना महामारी के आपदा के दौर को भाजपा-आरएसएस आरक्षण पर भी चौतरफा हमले करने के अवसर के बतौर इस्तेमाल कर रही है.लगातार सुप्रीम कोर्ट से लेकर विभिन्न राज्यों की हाई कोर्ट आरक्षण के खिलाफ फैसला दे रही है,आरक्षण विरोधी टिपण्णियां कर रही है.इसी बीच ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर के लिए आय की गणना में बदलाव के जरिए ओबीसी आरक्षण को बेमतलब बना देने की साजिश की जा रही है.राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिले में ओबीसी आरक्षण की लूट का सवाल भी उल्लेखनीय है.इस परिदृश्य में बिहार-यूपी के कई संगठन साझा पहल लेकर 26जुलाई को 'राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस' के रूप में मना रहे हैं. संगठनों का कहना है कि 2014 से ही सामाजिक न्याय पर हमलों और सामाजिक न्याय के मोर्चे पर हासिल उपलब्धिओं को खत्म करने की कोशिशों का नया दौर शुरु हुआ है. सामाजिक न्याय के लिए हमारे पूर्वजों ने अथक प्रयास, त्याग और बलिदानों से जो कुछ हमारे लिए हासिल किया था,वह छीना जा रहा है. इतिहास से प्रेरणा लेकर संघर्ष की विरासत को बुलंद करते हुए सामाजिक न्याय के मोर्चे पर हासिल उपलब्धियों को बचाने और सामाजिक न्याय का दायरा जी