मऊ में नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर किया जा रहा है पुलिसिया उत्पीड़न
रासुका के मामलों के कानूनी सलाहकार सामाजिक कार्यकता अधिवक्ता असद हयात कहते हैं कि कानूनी व्याख्याओं का उल्लंघन किया जाता है, राजकोष पर बोझ बढ़ाते हैं, लोगों पर बोझ बढ़ाया जाता है, आखिर इसका क्या औचित्य है। पुलिस वालों ने कह दिया कि वो जेल से बाहर आकर नया आंदोलन करेंगे क्या ये रासुका का आधार हो जाएगा। कौन सा सुबूत है उनके खिलाफ कोई सीसी फुटेज नहीं, कोई वीडियो फुटेज नहीं, कोई फोटोग्राफ नहीं जिसमें वो नजर आ रहे हों तोड़-फोड़ करते या आगजनी करते हुए। ये कहां से लोक व्यवस्था का मामला है। कौन सी आपूर्ती बंद हो गई। कर्फ्यू तो लगा नहीं। जब परिवहन बंद होता या दूध, बिजली, पानी की आपूर्ती बंद होती तब लोक व्यवस्था का मामला होता। क्या ऐसा हुआ था। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था। सीएए का विरोध किया, इसका यह मतलब नहीं कि आप कानून के खिलाफ जाकर गैंगेस्टर लगाएंगे, रासुका लगाएंगे लखनऊ । रिहाई मंच ने मऊ का दो दिवसीय दौरा कर नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर किए जा रहे पुलिसिया उत्पीड़न के पीड़ितों, उनके परिजनों से मुलाकात की। मंच ने कहा कि मुख्तार अंसारी के नाम पर आंदोलन के दौरान आरोपी बनाए गए लोगों पर गैंगेस्टर, गुंडा