शास्त्र उत्सव देश के लिए गौरव का विषय
० योगेश भट्ट ० वाराणसी,, प्रमाणशास्त्र को लेकर बड़ा ही युगीन तथा सटीक व्याख्यान करते कहा कि अनुभव के बिना प्रमाण नहीं माना जा सकता है । लेकिन प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर किस परिस्थिति के अनुभव को प्रमाण का प्रमाणिक आधार माना जाय । इसका कारण यह है कि इसमें काल ध्वंस की पूरी संभावना बनी रहती है । प्रो वरखेड़ी ने इस बात को विविध तर्कों से संपुष्ट करते कहा कि यदि यह संस्कारजन्य अनुभव मानस इन्द्री पर आधारित होता है तो उसे प्रमाण माना जा सकता है । भारतीय नव वर्ष चैत नवरात्र के दिन केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी की अध्यक्षता में श्रीकाशीविश्वनाथ धाम मंदिर के न्यास, वाराणसी के प्रांगण में आरंभ हो गया है । कुलपति प्रो वरखेड़ी ने शास्त्र सपर्या के विद्वान आचार्य हरिदास भट्ट, आचार्य मणिद्रविड शास्त्री, आचार्य के .ई.देवनाथन् तथा आचार्य देवदत्त पाटिल का स्वागत करते हुए कहा है कि वाराणसी नगरी शास्त्र ज्ञान के लिए वैश्विक नगरी के रुप में सुप्रसिद्ध है और यह सौभाग्य की बात है कि गंगा के इस नगरी तथा पावन धाम में देश के विविध भागों के नदीष्ण विद्वानों से शास्