आजादी के बाद भी बिरसा मुंडा को उचित सम्मान न दिए जाने पर निराशा

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली- आदिवासी महायोद्धा धरती आबा नाम से प्रशिद्ध आदिवासी महानायक बिरसा मुंडा का 147 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई । आधुनिक इंडिया और आधुनिक इंडिया फाउंडेशन के बैनर तले बिरसा मुंडा का 147 वी जन्म जयंती पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि रिपब्लिक ऑफ़ गम्बिया के राजनयिक महामहिम मुस्तफा जवारा मौजूद रहे । विशिष्ट अतिथि के तौर पर असम सरकार के चाय जनजाति कल्याण और श्रम मंत्री संजय किसान मौजूद रहे। 
कार्यक्रम के दौरान डी.के.चौहान ने कहा हम पिछले ग्यारह वर्षो से बिरसा मुंडा की जयंती दिल्ली में करते आ रहे हैं और केंद्र सरकार से मांग करते रहे हैं कि उनके जन्म जयंती को सरकार मान्यता दे। हमारा मकसद कामयाब हुआ और पिछले वर्ष केंद्र ने इसको मान्यता देते हुए इस दिन को आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया। हम प्रधानमंत्री को आभार व्यक्त करते हैं हैं कि उन्होंने हमारे मेहनत को सफल बनाया। उन्होंने इस मंच के माध्यम से केंद्र सरकार को अहबान किया कि 15 नवम्बर दिन को राष्ट्रीय अवकाश के तौर पर मान्यता दे ताकि सभी आदिवासी जो भी कार्यरत हैं उस दिन को खुशियों के साथ मना सके। 
इस मौके पर मुख्य अतिथि रिपब्लिक ऑफ़ गम्बिया के राजनयिक महामहिम मुस्तफा जवारा ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी धरती आबा बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश के आदिवासी उनको भगवान् कि तरह पूजा करते हैं , उनसे प्रेरणा लेते हुए हमे भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उनका जीवन पूरा आदिवासियों के उत्थान के लिए समर्पित था, उस धरती आबा को शत शत नमन ।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर कोकराझार संसदीय क्षेत्र के लोक सभा सांसद नव कुमार सरनिया ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा की वजह से ही आज हम यहां पर हैं। उन्होंने कहा कि असम के आदिवासियों को जनजाति के मर्यादा प्रदान करने से पहले उनका सर्वांगीण उन्नति हो उसके ऊपर संसद में पुरजोर अपनी बात रखूंगा। उन्होंने आधुनिक इंडिया फाउंडेशन द्वारा किये गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास हैं कि आगे भी आधुनिक इंडिया फाउंडेशन आदिवासी के लिए इस तरह का कार्य करते रहेंगे। उन्होंने युवाओं को अपनी संस्कृति को बचाये रखने का अपील किया अपना संस्कृति ही अपना परिचय हैं ।
इस अवसर पर कार्यक्रम को पूर्व सांसद रामा चंद्र हांसदा, राष्ट्रीय स्तर के सामाजिक कार्यकर्ता पि.सी.हेम्ब्रम ने भी कार्यं को सम्बोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन आधुनिक इंडिया फाउंडेशन के अलेक्स ओस्गा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सभी प्रतिनिधियों को आधुनिक इंडिया द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया । कार्यक्रम का संचालन असम सरकार के सांस्कृतिक अधिकारी और आदिवासी कॉलेज विद्यार्थियों ने किया। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने बिरसा मुंडा के सामाजिक और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद करते हुए आदिवासियों के जंगल और जमीन को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत पर बल दिया। 

देश के राजनीतिक नेतृत्व द्वारा आजादी के बाद भी बिरसा मुंडा को उचित सम्मान न दिए जाने पर निराशा व्यक्त करते हुए कार्यक्रम में मांग की गई कि राजधानी में एनडीएमसी एरिया में कहीं उपयुक्त स्थान पर बिरसा मुंडा की मूर्ति लगाईं जाए। उनके नाम पर राजधानी में कम से कम एक सामुदायिक केंद्र का निर्माण किया जाए जहां आदिवासी समुदाय के लोग मिलजुल कर विचार-विमर्श कर सके और अपने कार्यक्रमों को अंजाम दे सके। कार्यक्रम में बिरसा मुंडा के नाम पर एक सड़क या लेन का नाम रखने की भी मांग की गईं। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण असम द्वारा आये मुंडा समुदाय के द्वारा किये गए नृत्य प्रमुख था। असम के मुंडा समुदाय द्वारा किये गए नृत्य से सभागार गुम उठे। कार्यक्रम में बुरारी कुड़ुख ग्रुप, बिनोला संथाल ग्रुप, हौज़ खास ग्रुप द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में असम, बंगाल, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान से भी बड़ी संख्या में लोग आए थे।

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