देश के नव्वे प्रतिशत जनमानस अंग्रेजी ठीक से नहीं समझ पाती

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली - भारतीय भाषाओं के अनुकूल तकनीक शब्दावली का निर्माण करें ,ताकि उनकी भाषाओं की सटीकता और संप्रेषणीयता देश व्यापी हो सके ।  हिन्दी माध्यमों से अधिक से अधिक पाठ्य पुस्तकों का लेखन किया जाना चाहिए । उन्होंने यह भी कहा कि आयोग लगभग तीन सौ पुस्तकों को प्रकाशित कर चुका है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के निर्देश के आलोक में संस्कृत को ही केन्द्र में रख कर अनेक महत्त्वपूर्ण नये शब्दकोशों को प्रकाशित करने के लिए कटिबद्ध है ।
विश्व पुस्तक मेला के राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विशेष पवेलियन में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रो गिरीशनाथ झा के सानिध्य में पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया । इसका उद्देश्य इस शब्दावली आयोग के द्वारा भारतीय भाषाओं को लेकर चल रहे भारत सरकार के उपक्रमों को श्रोताओं तक साझा कर उनके विचारों को भी समझना भी था ।

वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली आयोग , दिल्ली के अध्यक्ष प्रो गिरीशनाथ झा ने अपने वक्तव्य में कहा कि अपने देश के लगभग नव्वे प्रतिशत जनमानस अंग्रेजी बहुत ठीक से नहीं समझ पाती है । यह बात अलग है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसै कुछेक विश्वविद्यालय ही हैं जहां अंग्रेजी स्वाभाविक रुप से हृदयांगम होती दिखती है । प्रो झा ने यह भी कहा कि यह चिन्ता का विषय है कि विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं को मूल पाठ भी लगभग अंग्रेजी माध्यम का ही उपलब्ध हो पाता है ।ऐसी स्थिति में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग का उत्तरदायित्व और अधिक बढ़ जाता है , 

 नेप को लेकर एम के भारल ,डा बी के सिंह , दीपक कुमार ,डा शहजाद अहमद अंसारी ,जय सिंह रावत तथा डा धर्मेन्द्र कुमार ने नेप के महत्त्व की दृष्टि से क्रमशः लोक प्रशासन शब्दावली ,भौतिक विज्ञान शब्दावली ,कंप्यूटर विज्ञान तथा इंजियरिंग शब्दावली , राजनीति विज्ञान शब्दावली , इलेक्ट्रॉनिक इंजियरिंग शब्दावली तथा वनस्पति विज्ञान शब्दावली पर अपने महत्त्वपूर्ण विचार रखें । इसके अतिरिक्त आयोग के अन्य अधिकारियों ने भी अपने अपने शब्द कोशों के निर्माण तथा महत्त्व की चर्चा की ।

डा अजय कुमार मिश्र , केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय , दिल्ली अतिथि के रुप में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के आलोक में भारतीय भाषाओं पर जो पहली बार विशेष बल दिया गया है ,उस दिशा में शिक्षा मंत्रालय,भारत सरकार के मार्गदर्शन तथा प्रो गिरीशनाथ झा की सफल अध्यक्षता में उनके गण द्वारा बहुत ही श्लाघ्य और द्रुत पहल हो रहा है । डा मिश्र ने यह भी कहा कि दुनिया में भाषाएं जहां सिकुड़ रहीं हैं , वहीं भारतीय संविधान में इनकी संख्या बढ़ रही हैं । इस तरह के भाषिक संरक्षण तथा उसकी उपलब्धियों में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग जैसे सरकारी उपक्रमों का भी महत्त्व है और विश्व पुस्तक मेला के नेप -2020 के इस पेवेलियन में इस तरह का कार्यक्रम ऐतिहासिक माना जाना चाहिए । साथ ही साथ इसका भी ध्यान रहे कि नेप- 2020 भारत सरकार का एक युगान्तरकारी निर्णय माना जा सकता है ।

वरिष्ठ वैज्ञानिक, आयुर्वेद -संस्कृत के नदीष्ण विद्वान डा भीम सेन बेहेरा ने पैनल के वक्ताओं का स्वागत करते हुए उनका परिचय भी दिया तथा सहायक निदेशिका , मणिपुरी भाषा की विदुषी और ज्ञान गरिमा सिंधु पत्रिका की प्रभारी ने मंच का यशस्वी संचालन करती हुईं सभा में उपस्थित सभी विद्वानों एवं सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन किया ।

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