बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' के लिए उर्दू भाषा के चार उपन्यास शामिल

० योगेश भट्ट ० 
'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' के लिए उर्दू भाषा के चार उपन्यास शामिल हुए। लॉन्गलिस्ट में चयनित 12 रचनाओं में अल्लाह मियां का कारख़ाना, चीनी कोठी, एक ख़ंजर पानी में और नेमत ख़ाना शामिल हैं.यह अवार्ड भारतीय भाषाओं की साहित्यिक रचनाओं तथा उनके हिंदी अनुवाद को सम्मान स्वरूप दिया जाता है 

नयी दिल्ली : बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने "बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान" पुरस्कार-2023 के लिए चयनित 12 रचनाओं की सूची की घोषणा की। पुरस्कार के नामांकित 12 उपन्यासों की लॉन्गलिस्ट में उर्दू भाषा के चार उपन्यास शामिल हैं। विभिन्न भारतीय भाषाओं की साहित्यिक रचनाओं को सम्मानित करने तथा उन्हें प्रोत्साहन देने के साथ-साथ अनुवाद के माध्यम से हिंदी पाठकों को सर्वश्रेष्ठ भारतीय साहित्य उपलब्ध कराने के प्रयासों को मान्यता देने के लिए इस अद्वितीय पुरस्कार की शुरुआत की गई है, ताकि उपन्यासों के प्रति लोगों की दिलचस्पी को व्यापक बनाया जा सके और इन्हें पाठकों के एक बड़े समूह के लिए सुलभ बनाया जा सके।

'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' अवार्ड रचना के मूल लेखक तथा पुस्तक के हिंदी अनुवादक दोनों को प्रदान किया जाएगा। अवार्ड जीतने वाली पुस्तक के मूल लेखक तथा उसके हिंदी अनुवादक को क्रमशः 21 लाख रुपये और 15 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, 5 सर्वश्रेष्ठ चयनित पुस्तकों के लेखकों तथा उनके हिंदी अनुवादकों को भी क्रमशः 3 लाख रुपये और 2 लाख रुपये दिए जाएंगे। 

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बैंक ऑफ़ बड़ौदा के कार्यपालक निदेशक ललित त्यागी ने कहा कि “साहित्यिक विरासत के मामले में हमारा देश काफी समृद्ध रहा है और अलग-अलग भाषाओं का संगम हमारी संस्कृति का आधार रहा है। इसलिए, बैंक ऑफ़ बड़ौदा द्वारा "बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान" की घोषणा से संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन मिलेगा। यदि हम राष्ट्रभाषा की बात करें, तो इसका तात्पर्य देश की सभी प्रमुख भाषाओं से है। मैं पूरी तरह आश्वस्त हूँ कि आने वाले समय में यह सम्मान साहित्य के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि साबित होगा।”

 दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में मूल रचनाओं के लेखक मोहसिन ख़ान, सिद्दीक आलम और ख़ालिद जावेद के साथ-साथ संबंधित रचनाओं के अनुवादकों यानी अर्जुमंद आरा, रिजवानुल हक़ तथा ज़मान तारिक़ ने एक पैनल चर्चा में भाग लिया। सभी लेखकों ने भारतीय साहित्य के मौजूदा परिदृश्य और पूरे भारत की साहित्यिक बिरादरी के लिए राष्ट्रभाषा सम्मान की अहमियत पर चर्चा की।

मोहसिन ख़ान की "अल्लाह मियां का कारख़ाना" बेहद रोचक कृति है, जिसमें दिल को छू लेने वाली कहानी को स्पष्ट और बड़े मनमोहक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इस उपन्यास का हिंदी, मराठी, सिंधी, कश्मीरी और फ़ारसी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। सिद्दीक आलम की "चीनी कोठी" एक रचनात्मक कहानी है, जिसमें मनुष्य के अपने अस्तित्व से संघर्ष तथा अपनी जड़ों की ओर वापस लौटने की तमन्ना को बयां किया गया है। इसकी कहानी बताती है कि व्यक्ति किस तरह अपने भीतर के उथल-पुथल, उत्तेजना, संदेह, मायूसी तथा सामाजिक जीवन और प्रकृति के विरोधाभासों से तालमेल बिठाता है और उन पर क़ाबू पाता है।

ख़ालिद जावेद के दो उपन्यास 'एक ख़ंजर पानी में' और 'नेमत ख़ाना' भी चयनित पुस्तकों की सूची में शामिल हैं। 'एक ख़ंजर पानी में' एक ऐसा उपन्यास है जिसमें पानी और उससे संबंधित विपत्तियों के बारे में बात की गई है और बताया गया है कि किस तरह पानी की कमी कई शहरों और कस्बों में एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। 'नेमत ख़ाना' उपन्यास के नायक जहीरुद्दीन बाबर उर्फ़ गुड्डू मियां के संस्मरण के रूप में लिखा गया है। इस उपन्यास में उत्तर भारत के छोटे से कस्बे में संयुक्त परिवार में रहने वाले लोगों की अलग-अलग कहानियों को एक साथ प्रस्तुत किया गया है। प्रांत के पेरिस में स्थित INALCO के उर्दू विभाग में यह उपन्यास पढ़ाया जा रहा है। 'द पैराडाइज ऑफ़ फूड' नेमत ख़ाना का अंग्रेज़ी अनुवाद है।

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