अब मतभेद से ज्यादा मनभेद दिखता है जिसे दूर किया जाना सबसे ज्यादा जरूरी : राजेंद्र सिंह

० आशा पटेल ० 
जयपुर। भारत सेवा संसथान और जेकेके के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पर्यावरण संवाद में छाए वाटरमेंन राजेंद्र सिंह। वाटरमैन के नाम से मशहूर मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह ने कहा है कि,देश और समाज में आज भी अच्छा काम करने वाले लोगों की कमी नहीं है लेकिन वे बिखरे हुए हैं, जरूरत उन्हें इकट्ठा करके एक कड़ी में जोड़ने की है। उन्होंने कहा कि, अब मतभेद से ज्यादा मनभेद दिखता है जिसे दूर किया जाना सबसे ज्यादा जरूरी है।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारत सेवा संस्थान और जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित संवाद कार्यक्रम में सिंह ने कहा कि, एक बार किसी ने पहल करके यह काम कर लिया तो फिर उसे न लोगों की कमी पड़ेगी, न संसाधनों की। लोग भी स्वयं चले आयेंगे और रुपये-पैसे देने वाले भी आ जायेंगे। उन्होंने कहा कि, पानी बचाने के लिए अपने जीवन में मैंने अब तक जितना भी कार्य किया है, केन्द्र और राज्यों की सरकारों के साथ अम्बानी-अडानी जैसे धनपतियों से कोई धन नहीं लिया। जो दिया, समाज ने दिया।

सिंह ने कहा कि, वे हमेशा बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के विरोधी रहे हैं लेकिन यदि चम्बल का पानी राजस्थान लाना हो तो वे उसमें साथ हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, यह काम अकेले राज्य नहीं कर सकता। उसमें केन्द्र को भी साथ बिठाना होगा। अतिथियों से हुए सवाल-जवाब के सत्र को वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक नारायण बारेठ ने संचालित किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार मुकेश शर्मा ने किया।

कार्यक्रम में, जोधपुर संभाग में पर्यावरण संरक्षण के काम में जुटे खेमू राम विश्नोई ने वर्ष 1730 में पर्यावरण संरक्षण के लिए खेजड़ली में शहीद हुए 363 विश्नोईयों को स्मरण करते हुए कहा कि,अग्नि, वायु, जल, आकाश और पृथ्वी की सेवा करने का मतलब सभी धर्मों की सभी देव विभूतियों की सेवा करने जैसा है।विश्नोई ने कहा कि, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हमें ” पर उपदेश कुशल बहुतेरे ” से बचना होगा। जैसा बड़े लोग करेंगे, छोटे उसी को फॉलो करेंगे। उन्होंने कहा कि, हर आदमी अपनी-अपनी जरूरत का पर्यावरण बचा ले, दुनिया बच जायेगी।

पर्यावरण विद और ग्राम भारती समिति के सक्रेटरी कुसुम जैन ने कहा कि पेड़ कटना बिल्कुल बन्द होना चाहिए और पेड़ लगाना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उन्हें बचाना भी चाहिए। औद्योगिक क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कार्यों को बढ़ावा देने में लगे विशाल वैद ने बताया कि, कैसे मनुष्य और पशु हर दिन प्लास्टिक खा रहा है। उन्होंने कहा कि, प्लास्टिक को बिल्कुल खराब मानना भी ठीक नहीं है। चिकित्सा के क्षेत्र में यह मनुष्य की जान बचाने का भी बड़ा काम कर रहा है। जरूरत बस इसके समझदारी से उपयोग करने की है। उन्होंने इस काम में हर आदमी की जागरूकता पर जोर दिया।भारत सेवा संस्थान के उपाध्यक्ष राजीव अरोड़ा ने देश और दुनिया के आज के माहौल में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों की जरूरतों पर बात की।

 संस्थान के सचिव गिरधारी सिंह बापना सहित अन्य पदाधिकारियों ने मुख्य वक्ता राजेन्द्र सिंह और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे खामू राम विश्नोई, कुसुम जैन एवं विशाल वैद का पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। अंत में संस्थान के सचिव गिरधारी सिंह बापना ने सभी का धन्यवाद जताया। उन्होंने कहा कि, संस्थान ने आज के कार्यक्रम में प्लास्टिक जरा भी काम नहीं लिया है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

“द ग्रेट इंडियन ट्रेवल बाजार 2024“ का आयोजन 5 से 7 मई जयपुर में

हस्तशिल्प आर्टीजंस के प्रमोशन हेतु हुआ फ्लो जयपुर चैप्टर का ' जयपुर आर्ट फेयर

इशरे का बिल्डिंग सेक्टर में स्थिरता को बनाये रखने हेतु हुआ सम्मेलन