नई शिक्षा नीति से हो रहा है विद्यार्थी के जीवन में व्यापक परिवर्तन : एन पी पाढी

० आशा पटेल ० 
जयपुर । 
क्षेत्रीय भाषाओं में कौशल विकास: एनईपी के तहत भाषाई विविधता और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत, एमएसडीई ने भारतीय भाषा में 100 पुस्तकें सफलतापूर्वक प्रकाशित की हैं। इन पुस्तकों का बंगाली, मराठी, तेलुगु, पंजाबी, गुजराती, कन्नड़, हिंदी, असमिया, मलयालम, उड़िया, तमिल और उर्दू सहित 12 क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। यह पहल सुनिश्चित करती है कि कौशल विकास और उद्यमिता ज्ञान बड़ी आबादी के लिए सुलभ हो, भाषा की बाधाओं को दूर किया जाए और पूरे देश में समग्र विकास को बढ़ावा दिया जाए।
21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुकूल व्यापक रूप से आधारित, लचीली, बहु-विषयक शिक्षा के माध्यम से भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज और वैश्विक ज्ञान महाशक्ति में परिवर्तित करने और प्रत्येक छात्र की विशिष्‍ट क्षमताओं को सामने लाने के उद्देश्य से शुरू की गयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के होने वाले तीन वर्ष के उपलक्ष्य पर मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जयपुर द्वारा एक प्रैस वार्ता का आयोजन किया गया। 

 एम एन आई टी के निदेशक प्रो एन पी पाधि, क्षेत्रीय सी बी एस ई कार्यालय अजमेर के अवर सचिव मनोज गुप्ता, केन्द्रीय विध्यालय संगठन जयपुर के उप-आयुक्त बी एल मोरोदिया, नवोदया विध्यालय समिति के उप-आयुक्त एन के पटेल, कौशल विकास और क्षेत्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता निदेशालय के उपनिदेशक डॉ. योगेश कुमार ने संबोधित किया। पत्र सूचना कार्यालय की अपर महानिदेशक श्रीमती रितु शुक्ला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के इतिहास और जरूरतों पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा की शिक्षा नीति में बदलाव नई सदी की जरूरत थी।

एम एन आई टी के निदेशक प्रोफेसर एन पी पाढ़ी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 29 जुलाई को नई दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन करेंगे । 200 स्टालों के साथ मल्टीमीडिया प्रदर्शनियां समारोह का हिस्सा होंगी, जो शिक्षा और कौशल से जुड़ी शीर्ष पहलों को प्रदर्शित करेंगी, इसमै 16 विषयों पर सत्र आयोजित किए जाएंगे, समारोह में लगभग 3000 प्रतिभागी और 2 लाख से अधिक लोग उपस्थित रहेंगे । इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन शिक्षा मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।

 इस अवसर पर प्रधानमंत्री विभिन्न पहलों की शुरुआत करेंगे। समागम स्कूलों, उच्च शिक्षण संस्थानों और कौशल संस्थानों के विशेषज्ञों को एनईपी 2020 लागू करने में अंतर्दृष्टि, रणनीतियों, सफलता की कहानियों और सर्वोत्तम तौर-तरीकों पर चर्चा करने, विचार-विमर्श करने और अपनी बातें साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। उन्होने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत संस्थान ने भी कई बद्लाव किये हैं। उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में विषयों के चुनाव की सुविधा होगी, उचित प्रमाणीकरण के साथ विविध प्रवेश/निकास की अनुमति दी जाएगी और क्रेडिट के हस्तांतरण की सुविधा के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना भी की जाएगी। समानता के साथ प्रौद्योगिकी का भी अधिक उपयोग होगा।

क्षेत्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता निदेशालय उपनिदेशक डॉ. योगेश कुमार ने बताया कि एनईपी रोजगार योग्यता और कैरियर उन्नति के लिए कौशल विकास के महत्व को पहचानता है। एमएसडीई ने अपना रोजगार कौशल (ईएस) पाठ्यक्रम भी लॉन्च किया है जिसे अब प्रशिक्षुओं को उद्योग के लिए और अच्छी तरह तैयार करने के लिए संशोधित किया गया है। साथ ही, इसकी अवधि को 1 वर्ष, 2 वर्ष और 6 महीने की अवधि के ट्रेडों (विषयों) के लिए क्रमशः 120 घंटे, 180 घंटे (120 घंटे + 60 घंटे) और 60 घंटे तक संशोधित किया गया है। 

स्कूली शिक्षा मे एनईपी 2020 की प्रमुख उपलब्धियां बताते हुए क्षेत्रीय सी बी एस ई कार्यालय अजमेर के अवर सचिव श्री मनोज गुप्ता, केन्द्रीय विध्यालय संगठन जयपुर के उप-आयुक्त बी एल मोरोदिया और नवोदया विध्यालय समिति के उप-आयुक्त एन के पटेल ने बताया कि 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुकूल व्यापक रूप से आधारित, लचीली, बहु-विषयक शिक्षा के माध्यम से भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज और वैश्विक ज्ञान महाशक्ति में परिवर्तित करना, 

प्रत्येक छात्र की विशिष्‍ट क्षमताओं को सामने लाना, रटने वाली शिक्षा के बजाय आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देना, पढ़ाई के बजाय सीखने पर ध्यान केंद्रित करना और वैज्ञानिक स्वभाव को प्रोत्साहन देना जैसी विशेशताये एनईपी 2020 मे शामिल है। एनईपी 2020 का उद्देश्‍य वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा में शत-प्रतिशत(100 प्रतिशत) जीईआर के साथ प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का सार्वभौमिकरण करना है, 

एनईपी 2020 स्कूलों में नहीं जाने वाले 20 मिलियन बच्चों को पुन: मुख्य धारा में लाएगी, 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की प्री-स्कूलिंग के साथ नया 5+3+3+4 स्कूल पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा, वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्रों की स्‍थापना और कम से कम 5वीं कक्षा तक मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्रदान करना चहुंमुखी प्रगति कार्ड के साथ मूल्यांकन सुधार और शिक्षण परिणामों को प्राप्त करने के लिए छात्र की प्रगति की निगरानी करना शामिल है।

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