नटवरलाल ने भगवान को चकमा दिया

० विनोद तकियावाला ० 
धन्य धन्य वह घरा,जहाँ पतित पावनी गंगा निरंतर,निर्विघ्न निर्मल धारा बह रही है।ऐसी पवित्र को मानव ही रही वरन अनेको संत महापुरुषों नें अवतरित हो जनकल्याण किया है।चाहे वह राम,कृष्ण,कबीर नानक,बुद्ध,महावीर व अन्य संत,महापुरुषों के द्वारा वेद, उपनिषद गीता आदि गंथो का निर्माण कार्य गया।तभी तो भारत को अध्यात्म का देश कहा जाता है।यह अटुट आस्था 'समपर्ण सेवा त्याग तपर्ण की तपोभुमि में है। हमारे यहाँ अनेकों धर्म सम्प्रदाय के पवित्र पुजा आराध्य स्थलों के मन्दिर ,मस्जिद ,मठ ,गुरुद्वारे ' चर्च का र्निमार्ण श्रद्धालुओं द्वारा किया जाता रहा है।

जिसके रख रखाव हेतू प्रबन्धन समिति बनाई जाती है।जो सम्पूर्ण व्यवस्था करती है।धार्मिक स्थलों का रख रखाव का व्यय श्रद्धालुओ द्वारा अपने आराध्य के चरणों अपनी श्रद्धा'भक्ति व सार्मथ्य के अनुरूप चढाव के रूप फल प्रसाद के आलावे नकदी,आभूषण सोने- चाँदी,हीरे-मोती तक चढावे के रूप में चढाया करते रहते है। उदाहरण स्वरूप कुछ मन्दिरों में चढावे की झलक इस प्रकार है। महाकालेश्वर मंदिर 200 करोड़ रुपए का चढ़ावा आया था, खाटू श्याम की मूर्ति निकलने के बाद भक्तों की भीड़ लगने लगी है।

खुदाई में निकली खाटू श्याम की मूर्ति,कुछ ही घंटे के अन्दर डेढ़ लाख का चढ़ावा आ गया था। साई बाबा मंदिर शिरडी में हर वर्ष 400 करोड़ तक का चढ़ावाआता है।नए साल पर सारे रिकॉर्ड टुट गये थें।  आज हम किसी मन्दिर,मठ के चढावे के अपने नाम रिकार्ड बनाने के नाम का नही है बल्कि एक ऐसे नटवर लाल ठग की कहानी बताने जा रहे है।जिसने अपने बुद्धि से ना केवल मन्दिर में विराजमान देवी देवताओं को ऐसे चकमा दिया जिससे मन्दिर प्रबन्धन के नींद उढ़ा कर रख दिया।आप सोच रहे होगे कि अब किस मन्दिर में भगवान के आभुषण सोने-चाँदी,हीरे मोती,या नकदी को ले कर चोर रफ्फु चक्कर हो गया है।ये खबर तो किसी समाचार माध्यम से आप तक नही पहुँच पाई।

आप को लग रहा होगा कि मै आप कोई बुरी खबर से अवगत करवाने वाला हुँ।तो आप बिलकूल गलत है।क्या!अरे आप थोड़ी सी धर्य रखे।मै आज आप के समझ ऐसे चुतर चालाक कलयुगी दानवीर भक्त के सातिर करनामे के बारे में बताने जा रहे है।जिसे सुनकर आप के ना केवल होश उढ़ जायेगे,बल्कि आप सोचने को मजबुर हो जायेगे कि कैसे कैसे लोग है।इस संसार में जो इंसान क्या भगवान तक को चुना लगाने से बाज नहीं आते है।खैर अब आप को परेशान ना करते हुए हम सीधे घटना पर आते है।दरअसल,यह मामला विगत दिनों की है। 

विशाखापट्टनम के सिम्हाचलम में श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी वारी देवस्थानम मंदिर का है।मंदिर में मौजूद दान पात्र में आए चढ़ावे को देखा जा रहा था।इसी दौरान मंदिर प्रबंधन को नोटों के बीच एक चेक मिला।चेक में 100 करोड़ रुपए की राशि लिखी हुई थी।इसे देखकर मंदिर प्रबंधन में खुशी की लहर दौड़ गई। इसके बाद चेक को कैश कराने के लिए मंदिर प्रबंधन के लोग बैंक में पहुंचे और चेक को कैश करने के लिए दे दिया।कोटक महिंद्रा बैंक के इस चेक को जब बैंक वालों ने चेक जिस खाते से सम्बन्धित था।उसे चेक किया।इसे देख के बैंक के कर्मचारी व मंदिर प्रबंधन के होश उड़ गए।

क्योंकि चेक तो 100 करोड़ रुपए का था,लेकिन उससे संबंधित खाते में मात्र 17 रुपए मौजूद थे।यह खबर आग की तरफ फैल गई।परिणाम स्वरूप इस चेक का फोटो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।सोशल मीडिया पर लोग चेक डालने वाले को लेकर तरह-तरह की बात कर रहे हैं। किसी ने ठीक ही कहा है इस संसार में भॉति भाँति तरह के लोग है।कोई भगवान के दरवार में आकर अपना सबकुछ निछावर कर देता है।कुछ लोग मन्दिर में बैठे देवी देवताओं को भी चकमा दे कर रफ्फुचर हो जाते है।तभी तो किसी नें सही कहा है-जाकी रही भावना जैसी,प्रभु नजर आई तिन तेसी।

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