स्वामी विवेकानन्द विश्व युवा के लिए जीवन्त मित्रता के स्रोत- कुलपति प्रो वरखेड़ी

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली - 'हरित कौशल : एक सतत विश्व की ओर ' जिसमें पर्यावरण संतुलन तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के महत्त्व की बात उठायी गयी है और यह बहुत बड़ा सच भी है कि इस कार्य के लिए विश्व के तरुण समाज के अग्रदूत बने बिना , इसके लक्ष्य को सार्थक नहीं बनाया जा सकता है क्योंकि दुनिया का जो भी प्रभावी परिवर्तन हुआ है ,उसे युवा वर्ग ने ही किया है ।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय , दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने विश्व युवा दिवस पर सभी को हार्दिक बधाई देते कहा है कि स्वामी विवेकानंद विश्व युवा के लिए जीवन्त मित्रता के स्रोत हैं । उन्होंने आगे यह भी कहा है कि यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात है कि वैश्विक संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ ने 12 अगस्त 1999 में स्वामी विवेकानन्द  के जन्मदिन को विश्व युवा दिवस के रुप में मनाने की उद्घोषणा की थी और सन् 2000 से इसे सोल्लास विश्व भर में मनाया जा रहा है ।

 इस विश्व युवा दिवस को सार्थक बनाने में भारत भूमि से विश्व को इसकी प्रखर आवाज़ सुनाई पड़े ।इसका बहुत बड़ा कारण यह भी है कि आज अपना देश दुनिया का सबसे युवा देश इसलिए माना जाता है कि अपने देश में दुनिया के सबसे अधिक संख्या में युवा समाज रचता बसता है जो वैश्विक दृष्टि से अपने अपने क्षेत्रों में लब्धप्रतिष्ठ हैं । अतः यह समय आ गया है कि दुनिया के सामने भारत का युवा वर्ग सामने आकर नेतृत्व का वागडोर संभाल कर वैदिक अवधारणा वसुधैव कुटुम्बम् के मन्त्र को चरितार्थ करें । उन्होंने आगे यह भी कहा कि इसका भी ध्यान रहे कि दुनिया का जो भी दूरगामी फलदायक परिवर्तन हुआ है

 उसमें युवा समाज की महत्त्वपूर्ण भूमिका सदा से रही है । अतः यह समय आ गया है कि दुनिया में जो विविध प्रकार की विखण्डनवादी तथा विनाशकारी शक्तियां अपना सर उठा रहीं हैं ,उनको समाप्त कर के वैश्विक शान्ति , समृद्धि, मानवतावादी तथा भाईचारा की भावना को पुनर्स्थापित करना होगा । इस साल के इस युवा दिवस का विषय है-कौशल और उसके सतत विकास । अतः इस दृष्टि से युवा समाज को पर्यावरण संतुलन के ठोस विचारों को जनमानस के बीच व्यावहारिक स्तर पर लाना होगा क्योंकि मनुष्य के अनेक भौतिक संसाधनों की विपुल वृद्धि तो हो रही है ,लेकिन मानव निर्मित प्राकृतिक आपदाओं के समाधान के बिना मानव के संकटों को कदापि नहीं कम किया जा सकता है ।

प्रो वनमाली बिश्वाल,डीन, एकेडमिक तथा छात्र कल्याण ने कहा है यही कारण है कि शिक्षा मन्त्रालय ने वृक्षारोपण के आन्दोलन पर बहुत ही बल दिया है और सीएसयू के सभी परिसरों में कुलपति के मार्गदर्शन में इस दिशा में सघन अभियान भी चलाया जा रहा है । आचार्य मधुकेश्वर भट्ट , निदेशक , प्रकाशन एवं कार्यक्रम ने कहा है कि इस वृक्षारोपण के अभियान को एक नियमित कार्यक्रम के रुप में और प्रभावी बनाना युगीन मांग है । इसमें सीएसयू के छात्र छात्राओं की सक्रिय भूमिका की आवश्यकता है ।

कुल सचिव ने भी कहा कि समाज या राष्ट्र का निर्माण बिना युवा पीढ़ी की सक्रिय भागीदारी से साकार नहीं किया सकता है । अतः यह समय की मांग है कि देश के युवा वर्ग को आगे आना चाहिए । साथ ही साथ उन्हें आगे आने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन भी मिलना चाहिए ।

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