आध्यात्मिक ज्ञान से पत्रकार चुनौतियों का सामना और समाधान करने की सही सोच विकसित कर सकते हैं

० योगेश भट्ट ० 
आबूरोड । समाज में मूल्यों के पतन को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है और मीडिया इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि पारिवारिक, सामाजिक और शैक्षिक मूल्यों को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है। मीडिया की भूमिका केवल मनोरंजन और सूचना के प्रसार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक मूल्यों को स्थापित करने की भी है।

 भारतीय जन संचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा है कि 'स्वर्णिम विश्व' के निर्माण में 'सकारात्मक मीडिया' की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को लोकमंगल और विश्व कल्याण की दिशा में कार्य करना चाहिए। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मीडिया कांफ्रेंस के शुभारंभ सत्र में 'वैश्विक शांति और सद्भावना के लिए सशक्त मीडिया' विषय पर संबोधित कर रहे थे।   सत्र में सांसद डा. भोला सिंह,कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर के पूर्व कुलपति प्रो.मान सिंह परमार, ब्रम्हकुमारीज मीडिया विंग के अध्यक्ष बीके करुणा,डा. बीके निर्मला, बीके सरला, बीके रंजन, बीके शांतनु भी मौजूद रहे।

प्रो. द्विवेदी के अनुसार अपनी संस्‍कृति का गुणगान करने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि हम इसे बचाने के लिए भी आगे आएं। मीडिया का काम है सही की सराहना करना, कमियों को उजागर करना और साथ ही समाधान पेश करना, जिससे मीडिया का एक सकारात्मक रूप दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि मीडिया शक्तिशाली और जिम्मेदार है। उसे यह सोचना होगा कि वह समाज को क्या देना चाहता है। साथ ही उसे ये भी ध्यान रखना होगा कि उनके समाचार का क्या प्रभाव समाज पर पड़ रहा है।

सांसद डा.भोला सिंह ने कहा कि राजनेताओं और पत्रकारों की दिनचर्या बहुत कठिन है। इसलिए हमें आध्यात्मिक शांति की अनुभूति जरूर लेनी चाहिए। राजयोग से हम तनावमुक्त जीवन जी सकते हैं। इससे हमें अच्छे नवाचारी और सकारात्मक विचार आएंगे। मीडिया बदलाव का वाहक बने यह बहुत जरूरी है।

कार्यक्रम में बीके करूणा ने कहा ​कि आपकी शुभ भावना एक पवित्र ऊर्जा बनकर अन्य लोगों तक पहुंच जाती है। उस अदृश्‍य ऊर्जा को आप देख नहीं सकते, पर महसूस कर पाते हैं। लेकिन हमें इस बारे में सोचने की जरूरत है कि हम इस शुभ भावना को अपने भीतर दिन भर में कितनी बार और कितनी देर तक महसूस कर पाते हैं? तनाव बार-बार हावी क्‍यों हो जाता है? हम अपने ही विचारों के कारण सरल जीवन को इतना जटिल क्‍यों बना लेते हैं?

कार्यक्रम में बीके सरला ने कहा कि मीडिया विंग इस आयोजन के माध्यम से मूल्यनिष्ठ मीडिया की स्थापना करना चाहता है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच, सभी के लिए शुभकामनाएं रखना और दूसरों के साथ स्वयं की तुलना नहीं करने से आपके जीवन में तनाव कम हो सकता है। ब्रम्हकुमारीज की संयुक्त प्रशासनिक प्रमुख बीके डा. निर्मला ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज हमें अपने जीवन को बेहतर तरीके से जीने का तरीका सिखाती है। 

ईश्वरीय कार्य में मीडिया मददगार हो सकता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान से पत्रकार चुनौतियों का सामना और समाधान करने की सही सोच एवं नजरिया विकसित कर सकते हैं।मंच संचालन बीके चंद्रकला ने किया और धन्यवाद भाषण बीके शांतनु ने दिया। 

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