विश्व को सनातन वैदिक संस्कृति से जोड़ने का कार्य काश्मीर की शारदा सर्वज्ञ पीठ के माध्यम से संभव

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली. काश्मीर के जीर्ण शीर्ण मंदिरों के उद्धार व पाक अधिकृत काश्मीर के तीर्थों को मुक्त करने के लिए शंकराचार्य स्वामी अमृतानन्द देवतीर्थ का प्रयास सराहनीय हैं. शारदा सर्वज्ञ पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अमृतानन्द देवतीर्थ महाभाग के धर्म अभियान में सभी धर्माचार्यों को एकमत होकर आना चाहिए. यह बात श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के कुलपति आचार्य रमेश चन्द्र मिश्र ने दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में कही.
निष्कलाम्नाय सहस्रार्क द्युति मठ के शारदा पीठाधीश्वर अनंत श्री जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अमृतानन्द देवतीर्थ महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि देश के चारों कोनों में स्थापित चारों मठ व वैदिक सम्प्रदायों को एक सूत्र में बाँधने के लिए काशी की सुमेरु पीठ, दक्षिण भारत की कांची कामकोटी पीठ और काश्मीर की शारदा सर्वज्ञ पीठ ऊर्ध्व मठों के रूप में स्थापित हैं. आदि शंकर ने अपने मठाम्नाय महा अनुशासनम् ग्रन्थ में सात मठों का उल्लेख किया है. देश को वैदिक शिक्षा से जोड़ने के साथ-साथ विश्व को सनातन वैदिक संस्कृति से जोड़ने का कार्य काश्मीर की शारदा सर्वज्ञ पीठ के माध्यम से संभव है. यह एक वैश्विक पीठ है. इसके लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर शारदा सर्वज्ञ पीठ का विस्तार किया जा रहा है.

गोवर्धन मठ पुरी के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी निरंजन देवतीर्थ महाराज की निर्वाण तिथि में श्रद्धांजलि कार्यक्रम के साथ ‘शारदा सर्वज्ञ पीठ, काश्मीर के ऐतिहासिक महत्त्व’ पर आयोजित संगोष्ठी व परिचर्चा में अनेक मूर्धन्य विद्वान गण उपस्थित थे. इंदिरा गाँधी राष्ट्रिय कला केंद्र के भारत विद्या परियोजना के अध्यक्ष प्रो. आर्य भूषण शुक्ल ने आदि शंकर के आध्यात्मिक साहित्य को भारत की अनमोल धरोहर बताया. उन्होंने कहा कि ’सौन्दर्य-लहरी’ में निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य शंकर ने शिव और शक्ति की सगुण रागात्मक लीला का विभोर गान किया है. मात्र बत्तीस वर्ष की आयु में वैदिक युग की स्थापना का कार्य उनकी दैवीय लीला ही थी.

श्रीमद् जगद्गुरु शारदा सर्वज्ञ पीठम् के महामन्त्री आचार्य मदन ने कहा कि पाक अधिकृत काश्मीर को भारत में मिलाने के लिए सशक्त सेना और हमारी भारत सरकार पूरी तरह सक्षम है. पिछले पचहतर वर्षों से पीओके से निर्वासित हिन्दू वापस शेष काश्मीर में जाने की मांग पुरजोर तरीके से उठने लगी है. शेष काश्मीर के बिना काश्मीर अधुरा है, माँ शारदा पीठ के बिना अमरनाथ यात्रा भी अधूरी है. शारदा महात्म्य में इस शारदा पीठ को काश्मीर का सबसे उत्तम व पवित्र स्थान बताया है.
 एक ताम्रपत्र के अनुसार महाभारत काल से चले आ रहे युधिष्ठिर संवत 2631 में वैशाख मास की शुक्ल पंचमी को आदि शंकर का अवतरण केरल के एक ग्राम कालड़ी में हुआ. जो आज से लगभग 2531 वर्ष पूर्व का समय है, इस प्रमाण से सिद्ध होता है कि आदि शंकर का जन्म आठवीं शती में मानना उचित नहीं है.

लखनऊ से पधारे डॉ. सप्त ऋषि मिश्र जी ने ब्रह्मलीन शंकराचार्य गोवर्धन मठ के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि गोरक्षा आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले राष्ट्र संत थे स्वामी निरंजन देवतीर्थ जी महाराज. शारदा सर्वज्ञ पीठ की ऐतिहासिकता पर और अधिक शोध कार्य पर बल देने की आवश्यकता है. देश के जनमानस में शारदा पीठ, काश्मीर को लेकर जन जागृति होनी चाहिए. सम्पूर्ण काश्मीर के अध्यक्ष श्री अनूप कौल ने पंडित टीका लाल टपलू व अन्य के बलिदान को और घाटी में कश्मीरी पंडित समुदाय पर किए उत्पीड़न को याद करते हुआ कहा कि अब समय आ गया है कि पाक अधिकृत काश्मीर को भारत में मिलाया जाए, तभी आतंकवाद समाप्त होगा और घाटी में शान्ति की स्थापना होगी. इस कार्यक्रम में द्रौपदी ड्रीम ट्रस्ट की अध्यक्ष सुश्री नीरा मिश्रा जी विशेष रूप से उपस्थित रहीं.

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