उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच द्वारा शिक्षकों का सम्मान

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्लीः उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली द्वारा छुट्टियों में कन्स्टीट्यूशन क्लव में आयोजित समारोह में दिल्ली एनसीआर में गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों को गढ़वाली, कुमाउनी भाषा सिखाने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया गया। उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच, दिल्ली के संरक्षक डॉ विनोद बछेती ने बताया कि दिल्ली एनसीआर समेत श्रीनगर गढ़वाल एवं देहरादून में बच्चों की ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में मंच द्वारा गढ़वाली,कुमाउनी सिखाने की कक्षाओं का आयोजन किया जाता है।
इस साल लगभग 42 केन्द्रों पर बच्चों को उनकी मातृभाषा की कक्षाओं का आयोजन किया गया। इस समारोह में लगभग दो सौ शिक्षकों एवं केन्द्र प्रमुखों का सम्मानित किया गया।उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच, दिल्ली के संयोजक दिनेश ध्यानी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि हम अपनी नई पीढी को अपनी भाषा व सरोकारों से जोड़कर रखें। यह प्रयास इस दिशा में एक पहल है। 
जो समाज अपनी भाषा, संस्कृति से जुड़ा रहता है वही समाज अपनी पहचान बचाये रखता है। डॉ बछेती ने कहा कि हम गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु लगातार प्रयास कर रहे हैं अगर हमारी भाषायें संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हो जाती हैं तो रोजगार प्राप्त करने के लिए नई पीढ़ी अपनी भाषाओं में स्वयं जुड़ जायेगी।
इस अवसर पर गढ़वाली, कुमाउनी भाषा सीख रहे छात्रों ने अपनी भाषा में प्रस्तुति देकर साबित कर दिया कि दिल्ली एनसीआर में रहने वाले बच्चे भी कितनी अच्छी गढ़वाली, कुमाउनी सीख और बोल सकते हैं।
मंचासीन अतिथियों में प्रमुख दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष भाजपा वीरेन्द्र सचदेवा, लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत महाविद्यालय के प्रोफेसर दयाल सिंह पंवार, योगाचार्य रमेश काण्डपाल, डॉ विनोद बछेती व दिनेश ध्यानी प्रमुख थे। इस समारोह में सम्मानित होने वाले शिक्षकों के अलावा उत्तराखण्ड के कई साहित्यका
पत्रकार एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों जिनमें रमेश चन्द्र घिल्डियाल, जयपाल सिंह रावत, दर्शन सिंह रावत,ओमप्रकाश आर्य, जगमोहन सिंह रावत जगमोरा, सुशील बुड़ाकोटी, चन्दन प्रेमी, प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल , गिरधारी रावत, रमेश हितैषी, सुनीता बहुगुणा देहरादून, प्रताप थलवाल,गिरीश भाउक, दयाल नेगी, रेखा चौहान आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन गणेश खुगशाल गणी ने किया।

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