सत्य अहिंसा और सादगी उनके यही विचार

० सुषमा भंडारी ० 
 यूं तो गांधी थे सामान्य
तेरे मेरे जैसे
आओ सोच विचार करें हम

काम किये थे कैसे
बन कर सब के राष्ट्रपिता
जो जन जन पर हैं छाये

जाने उनके आदर्शों को
जो थे बदलाव लाये
नई चेतना नई प्रेरणा
बन कर आये जग में

चरखा, दांडी, सत्याग्रह से,
बस गए सबकी रग में
सत्य अहिंसा और सादगी
उनके यही विचार
जर्जर काया और लकुटि से

गया था दुश्मन हार
काला-गोरा भेद मिटाया
सदाचार फैलाया
आन्दोलन से जन जागरण
जन जन में पहुंचाया

बदली समय की धारा ऐसी
गांधी बन गये बापू
पराधीनता की बेड़ियाँ
तोड़ के माने बापू
पर पीड़ा को अपनी माना

बने महात्मा गॉंधी
पद प्रतिष्ठा, जिये, जब तक
बनी रही थी बांधी
३० जनवरी ४८ दिन
ऐसा जग में आया

गोली मार गोडसे ने
बापू को था सुलाया
कभी न जागने के लिए-----
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम

सत्य अहिंसा के नारे में छिपा है जीवन सारा
गांधी जी ने इसको अपने जीवन में उतारा
उतारा, उतारा ---
घृणा नहीं सिर्फ़ प्रेम से बदले दुनिया सारी

सत्याग्रह से स्वदेशी का पक्ष रखा जारी
जारी हाँ जारी
सहिष्णुता, समता चाही, रामराज्य चाहा
वैष्णव जन तो तेने कहिये, गीत हरदम गाया

गाया हाँ गाया
जर्जर काया ,पहन लँगोटी, लकुटि लेकर संग
आजादी और खादी की फिर चहुँदिश हुई उमंग
लहर लहर लहराये फिर तो देखो तीनों रंग देखो तीनों रंग-------

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