दिल्ली का बरवाला गांव है, यहां पांच मिनट का सफर जाम के कारण दो घंटे में होता है पूरा
० योगेश भट्ट ०
नयी दिल्ली - किसी जमाने में आदर्श गांव का खिताब पाने वाला बरवाला गांव आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। मेन रोड की सारी सड़क मुख्य बस स्टैंड से लेकर यूनियन बैंक के सामने और यूईआर-2 की रेडलाइट वाले चौराहे तक गहरे गड्ढों से भरी है। बरसात होते ही गड्ढों में पानी भर जाता है और वे गड्ढे दिखाई नहीं देते। उन गड्ढों में फंसकर वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो रहे हैं। जिससे हर समय जाम लगा रहता है। डीटीसी की लो फ्लोर बसों की बाड़ी तक इनमें टच हो जाती है। बवाना और प्रहलादपुर बांगर की और से आने जाने वाले लोग पांच मिनट का रास्ता दो-दो घंटे बरवाला के जाम में फंसकर बिताने पर मजबूर हैं। यहां हर समयधूल उड़ती रहती है। स्थानीय दुकानदारों और स्बस स्टाप पर बसों का इंतजार कर रहे लोगों पर धूल की परत चढ़ जाती हैं। मेन रोड पर प्राइमरी स्कूल के साथ बने डलावघर के सामने की जगह कई फुट खोदकर कूड़ा स्थल तो बना दिया लेकिन मुख्य सड़क और इस ढलान के गड्ढे में एक इंच का भी गैप नहीं है जिसके कारण इसमें वाहन गिर रहे हैं। सड़क संकरी हो गयी है। पर कोई सुनने वाला नहीं है। लगता है यहां किसी बड़े हादसे का इंतजार हो रहा है। इसमें तत्काल मिट्टी या मलबा भरवाया जाना चाहिए।
नयी दिल्ली - किसी जमाने में आदर्श गांव का खिताब पाने वाला बरवाला गांव आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। मेन रोड की सारी सड़क मुख्य बस स्टैंड से लेकर यूनियन बैंक के सामने और यूईआर-2 की रेडलाइट वाले चौराहे तक गहरे गड्ढों से भरी है। बरसात होते ही गड्ढों में पानी भर जाता है और वे गड्ढे दिखाई नहीं देते। उन गड्ढों में फंसकर वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो रहे हैं। जिससे हर समय जाम लगा रहता है। डीटीसी की लो फ्लोर बसों की बाड़ी तक इनमें टच हो जाती है। बवाना और प्रहलादपुर बांगर की और से आने जाने वाले लोग पांच मिनट का रास्ता दो-दो घंटे बरवाला के जाम में फंसकर बिताने पर मजबूर हैं। यहां हर समयधूल उड़ती रहती है। स्थानीय दुकानदारों और स्बस स्टाप पर बसों का इंतजार कर रहे लोगों पर धूल की परत चढ़ जाती हैं। मेन रोड पर प्राइमरी स्कूल के साथ बने डलावघर के सामने की जगह कई फुट खोदकर कूड़ा स्थल तो बना दिया लेकिन मुख्य सड़क और इस ढलान के गड्ढे में एक इंच का भी गैप नहीं है जिसके कारण इसमें वाहन गिर रहे हैं। सड़क संकरी हो गयी है। पर कोई सुनने वाला नहीं है। लगता है यहां किसी बड़े हादसे का इंतजार हो रहा है। इसमें तत्काल मिट्टी या मलबा भरवाया जाना चाहिए।
यूईआर-2 पर हो रहे निर्माण कार्यों के चलते और मेन रोड पर गड्ढों के कारण चौबीसों घंटे उड़ती धूल पर न तो नेशनल हाइवे अथारटी आफ इंडिया के अधिकारियों द्वारा पानी के नियमित छिड़काव की कोई व्यवस्था है न ही पीडब्ल्यूडी की स्प्रिंकल वाटर वैन यहां नियमित रूप से पानी का छिड़काव कर रही है। रेडलाइट पर यूईआर -2 चौक तक बने गड्ढों को भी एनएचएआई नहीं भरवा रहा हैं। इसका खामियाजा इस सड़क से गुजरने वाले बीसियों गांवों के लोग और बवाना औधोगिक क्षेत्र में आवागमन करने वाले लोग और उनके हजारों छोटे बड़े मालवाहक वाहनों को उठाना पड़ रहा है।
दो दो घंटे लगने वाले जाम को खुलवाने के लिए और जाम ना लगे इसके लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की कोई स्थायी व्यवस्था बरवाला गांव में नहीं है। पीडब्ल्यूडी और नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया की अनदेखी से यहां से गुजरने वाले लाखों लोग बेहद परेशान हैं। बरवाला गांव के लोग सभी विभागों से शिकायतें कर करके थक चुके हैं। यहां जिन विभागों और अधिकारियों पर इन परेशानियों को दूर करने की जिम्मेदारी है उनमें से कोई भी बरवाला गांव के लोगों और यहां से गुजरने वाले लाखों लोगों की परेशानियां का स्वत: संज्ञान लेना तो दूर समस्या देखकर भी मुंह मोड़ लेते हैं।
सब भगवान भरोसे चल रहा है। मिल रहे हैं तो आश्वासन और सिर्फ आश्वासन। स्थानीय आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष दयानंद वत्स ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और दिल्ली की पीडब्ल्यूडी मंत्री आतिशी, महापौर डॉ शैली ओबेरॉय, एमसीडी ,पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई आफीसियल को X पर ट्वीट करके विनती की है कि वे यहां का आकस्मिक निरीक्षण करके यहां की नारकीय स्थिति को अपनी आंखों से देखें और सारी समस्याएं दूर कराकर लाखों लोगों को राहत दिलाए।
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