दिल्ली के सीएम आवास पर हुक्का-खाट के साथ महापंचायत लगाने का एलान

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली - दिल्ली देहात से जुड़े मुद्दों को लेकर लगातार चल रहा आंदोलन, अब और तेज होने जा रहा है। इस बारे में पालम-360 के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने बताया कि दिल्ली देहात के गांवों के लोग बीते डेढ़ महीने से लगातार अपने हक और न्याय की आवाज को पूरी ताकत से बुलंद कर रहे हैं। हर दिन दिल्ली देहात के किसी न किसी गांव में इसे लेकर पंचायतें आयोजित की जा रही हैं। इस बार दिल्ली देहात के लोग वर्षों से लंबित अपनी मांगों का पूर्ण समाधान चाहते हैं। इसे लेकर पिछले दिनों हमने दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के आवास का घेराव भी किया। साथ ही दिल्ली के जंतर मंतर पर ऐतिहासिक महापंचायत का आयोजन भी किया।

चौ सुरेन्द्र सोलंकी ने कहा कि देश कि राजधानी दिल्ली में दिल्ली के मूल निवासी आंदोलन करने को मजबूर क्योंकि हमारी ज़मीन कोडियो के भाव सरकार ने ले ली लेकिन मूलभूत सुविधाओं से हमे वंचित रखा जा रहा है सरकार बात करती है स्मार्ट सिटी बनाने कि स्मार्ट विलेज बनाने कि बात क्यों नहीं करती दिल्ली देश कि राजधानी है यहाँ पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक सब रहते है लेकिन दुर्भाग्य कि बात है यहाँ एक भी स्मार्ट गाँव नहीं है उल्टा यहाँ के गाँवों को स्लम बना दिया गया ।

हमारी मांगों को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल ने हमसे मुलाकात भी की और हमारे प्रतिनिधि मंडल से सभी मुद्दों पर चर्चा करते हुए समाधान का भरोसा भी दिलाया। मगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिन्हें दिल्ली के लोगों ने चुन करके मुख्यमंत्री बनाया और दिल्ली देहात के लोगों ने भी उन्हें विधायक और मंत्री जीता कर दिए, आज वो दिल्ली देहात के लोगों की बातों को लगातार अनसुना कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री के इस रवैए से दिल्ली देहात के लोगों में गहरा आक्रोश भर रहा है। 

गांव देहात के लोग पूछ रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री होने के नाते अरविंद केजरीवाल की जिम्मेदारी नहीं कि वो गांव देहात के लोगों की समस्याओं को सुने और उसका समाधान करें। लोग ये भी पूछ रहे हैं कि जिसने उन्हें जिताकर दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया, आज वो उन लोगों की ही अनदेखी करके देशभर में अपने राजनीतिक हितों को लेकर भाग दौड़ कर रहे हैं।

चौधरी सुरेन्द्र सोलंकी ने बताया कि पालम-360 का प्रधान होने के नाते और पीढ़ी दर पीढ़ी गांव देहात के लोगों के लिए आवाज उठाने और उनके हक की लड़ाई लड़ने की जिम्मेदारी निभाते हुए, मैं लोगों के भरोसे की ताकत से ही आगे बढ़ रहा हूं। गांव देहात के लोगों के हक की लड़ाई में हम कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। गांव देहात के लोगों का यह फैसला है कि अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री अभी दिल्ली देहात के लोगों की सुनवाई नहीं करते हैं, तो आने वाले कुछ दिनों में गांव देहात के लोग हुक्का पानी लेकर सीएम आवास के बाहर ही महापंचायत का जुटान करेंगे और ये महापंचायत तब तक चलती रहेगी जब तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली देहात की मांगो को सुनकर उनका समाधान नहीं करते।

 हम सब शांतिपूर्ण तरीके से इस महापंचायत को चलाएंगे, मगर इस दौरान कानून व्यवस्था की किसी भी प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न होती है तो इसके जिम्मेदार पूरी तरह अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की सरकार होगी। बता दें कि इस आंदोलन की जो प्रमुख मांगे हैं वो हैं- धारा 81 एवं धारा 33 समाप्त हो, धारा 81 के तहत पुराने मुक़दमे वापिस हो, गाँवों में हाउस टैक्स माफ़ हो, दिल्ली सरकार द्वारा ग्रामसभा की ज़मीन को डीडीए के सुपुर्द न किया जाय क्योंकि ग्रामसभा कि जमीनो पर गाँव का हक़ है। 

साथ ही धारा 74/4 और 20 सूत्री के तहत ग़रीबो को आवंटित भूमि एवं प्लॉटो का मालिकाना भी मिलना चाहिए। लाल डोरे का विस्तार हो, जिन गाँवों की भूमि अधिग्रहण की गई है, उनको अल्टरनेटिव प्लॉट जल्द से जल्द दिया जाय जोकि सरकार कि स्कीम के तहत है और दिल्ली के किसानों का सर्किल रेट बढ़ाया जाए।

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