विरासत संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए स्कॉल इंटरनेशनल दिल्ली के लिए वॉक का आयोजन

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली : इंटरग्लोब एंटरप्राईज़ेस के जनसेवी अंग, इंटरग्लोब फाउंडेशन ने ट्रैवल, एविएशन, और हॉस्पिटैलिटी उद्योग के सदस्यों के साथ स्कॉल इंटरनेशनल दिल्ली-125 के लिए एक हैरिटेज वॉक का आयोजन किया। यह वॉक 16 वीं सदी के अब्दुर रहीम ख़ान-ए-खाना मक़बरे से शुरू होकर हुमायूँ टॉम्ब तक गई, और इसका समापन दिल्ली में सुन्दर नर्सरी में हुआ।
 वॉक का मार्गदर्शन आग़ा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर (एकेटीसी) के विशेषज्ञतों ने किया, जो रहीम के मकबरे के संरक्षण के लिए इंटरग्लोब फाउंडेशन का साझेदार है। इस वॉक में इन विरासत स्थलों की वास्तुकला का प्रदर्शन करते हुए विरासत की रक्षा, संरक्षण और प्रोत्साहन की जिम्मेदारी का भाव विकसित किया गया। यहाँ मौजूद लोगों को इस मकबरे के पुनरोद्धार के लिए किए गए प्रयासों के बारे में भी बताया गया। इसके अलावा, इस वॉक ने इन बहुमूल्य स्थलों का संरक्षण करने और भारत की विरासत की रक्षा करने के वातावरण के विकास में ट्रैवल उद्योग के प्रोफेशनल्स की महत्वपूर्ण भूमिका का स्मरण भी कराया।
इंटरग्लोब फाउंडेशन ने साल 2014 में अब्दुर रहीम खान-ए-खाना मकबरे के संरक्षण व पुनरोद्वार के लिए एकेटीसी के साथ गठबंधन किया था। यह स्मारक आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के आधिपत्य और सुरक्षा में है। यह उन कुछ कॉर्पोरेट नेतृत्व वाले अभियानों में से एक था, जो भारत में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों का संरक्षण करते हैं। संरक्षण के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सांस्कृतिक पुनरोत्थान भी था, और इसके साथ दो मुख्य प्रकाशनों ‘सेलेब्रेटिंग रहीम’ और “अब्दुर रहीम खान-ए-खानाः काव्य, सौंदर्य, सार्थकता” का भी प्रकाशन किया गया। पुनरोद्धार के बाद इस मकबरे का उद्घाटन साल 2020 में किया गया।

रोहिणी भाटिया, चेयरपर्सन, इंटरग्लोब फाउंडेशन ने कहा, “इंटरग्लोब फाउंडेशन में हमारा मानना है कि हमारी विरासत का संरक्षण करना केवल हमारी जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा में एक निवेश भी है। हमें अपने साझेदार एकेटीसी के साथ स्कॉल इंटरनेशनल दिल्ली के लिए हैरिटेज वॉक का आयोजन करने की खुशी है। यह भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत का संरक्षण करने के हमारे उद्देश्य के अनुरूप भी है। ऐसे अभियानों द्वारा हम ट्रैवल और हॉस्पिटलिटी उद्योग के प्रोफेशनल्स को निर्मित और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि एक ऐसे वातावरण का विकास हो सके, जिसमें विरासत के संरक्षण के साथ पर्यटन भी फलता-फूलता रहे।”

रंजीत विग, प्रेसिडेंट, स्कॉल इंटरनेशनल, दिल्ली-125 ने कहा, “हम इस हैरिटेज वॉक के आयोजन के लिए इंटरग्लोब फाउंडेशन के बहुत आभारी हैं। यह अनुभव अद्भुत था और इससे हमारी समृद्ध विरासत के प्रति सराहना और गर्व की भावना का विकास हुआ। इससे ट्रैवल और टूरिज़्म सेक्टर में विरासत के महत्व को बल मिला। इससे नए पर्यटकों और आगंतुकों को इन स्थलों का प्रदर्शन करने की हमारी क्षमताएं बढ़ाने में मदद मिलेगी।”

रतिश नंदा, सीईओ, एकेटीसी ने कहा, ‘‘पिछले पंद्रह वर्षों में, हुमायूँ के मकबरे, सुंदर नर्सरी और निज़ामुद्दीन बस्ती क्षेत्र के आसपास साठ से अधिक स्मारकों को संरक्षित किया गया है। इस विस्तृत संरक्षण अभियान के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर और भूदृश्यों का भी विकास हुआ है। हम रहीम के मकबरे के रक्षण व संरक्षण में सहयोग देने के लिए इंटरग्लोब फाउंडेशन के आभारी हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में पर्यटन की क्षमता के प्रति जागरुकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।’’

इंटरग्लोब फाउंडेशन भारत में विरासत के रक्षण व संरक्षण को बढ़ावा देने के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में संलग्न है। इसके मुख्य प्रोजेक्ट्स में दिल्ली में अब्दुर रहीम खान-ए-खाना मकबरे का संरक्षण व सांस्कृतिक पुनरोद्धार, दस शहरों में सांस्कृतिक मैपिंग एवं दस्तावेज, तथा देलवाड़ा, राजस्थान में स्टेपवैल ‘इंद्र कुंड’ का पुनरोद्धार शामिल है। फाउंडेशन ने भारत की जनता को सांस्कृतिक विरासत की शोध में संलग्न करने और इसके बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए इंटरग्लोब हैरिटेज़ फैलोशिप प्रोग्राम भी चलाया है।

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