बजट बदमाश ” नाटक : समाज व देश के मुद्दों को उठाया गया

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किशोर श्रीवास्तव ० 
नई दिल्ली। अक्षरा थियेटर में बावरामन थियेटर ग्रुप के नाटक 'बजट बदमाश' का सफलतापूर्वक मंचन हुआ। इसकी लेखिका थीं सुनीता अग्रवाल। जो रेडियो, टीवी यूट्यूब तथा थियेटर से काफी अरसे से जुड़ी हुई हैं। 'बजट बदमाश' नाटक में समाज व देश के उन मुद्दों को उठाया गया जिन्हें हम देखते और समझते तो हैं, लेकिन उनके खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं कर पाते। नाटक का आरंभ एक घटना ऐसी घटना से होता है जिसमें 'जागरुक' गांव में अस्पताल ले जाते हुए मोहना की गर्भवती पत्नी कजरी मर जाती है।

 क्योंकि आंधी तूफान बारिश में उसकी भैंस गाड़ी का पहिया मिट्टी में फंस जाता है जो की निकल ही नहीं पाता। गांव से अस्पताल जाने के लिए पांच किलोमीटर की पक्की सड़क बननी थी लेकिन पांच सौ मीटर की सड़क बनाके छोड़ दिया गया, जिससे कजरी को इस हादसे का शिकार होना पड़ता है। कजरी की मौत के गम में मोहना पागल हो जाता है और गांव वाले गुस्से में बजट ही चुरा लाते हैं। यह देखने के लिए कि इस बार गांव से अस्पताल जाने तक बनने वाली सड़क का बजट है कि नहीं।

बजट चोरी होने से संसद में अफरा तफरी मच जाती है। उस विधान सभा के मंत्री को जागरुक गांव में भेजा जाता है। जागरुक गांव के निवासी मंत्री से पूछते हैं कि बजट आता है तो जाता कहां है? इसका जवाब किसी नेता या मंत्री के पास नहीं होता? अंत में जागरुक गांव वाले यह संदेश देकर जाते हैं कि जब टैक्स न देने पर तुम्हें टैक्स चोर बनाकर उठा ले जाते हैं जेल में डाल देते हैं तो तुम्हारे टैक्स के पैसे से काम न होने पर तुम लोग क्यों नहीं सवाल पूछते, क्यों नहीं उन नेताओं को उठा लाते कि पहले सवाल का जवाब दो कि बजट आता है तो जाता कहां है फिर छोड़ेगें।

नाटक का अंत सुखद है। मंत्री को ये एहसास हो जाता है कि हम क्यों नहीं काम करते? काम करेगें तो आराम से वोट मिलेगा। उसके लिए रैलियों या पब्लिसिटी पर फालतू का पैसा तो खर्च नहीं करना पड़ेगा।
 नाटक में जाने-माने टीवी फिल्मों के कालाकार वीपी कालरा जी ने फटेहाल का चरित्र निभाया। सीके भंडारी जिन्होंने दिल्ली के रंगमंच पर अच्छी खासी पहचान छोड़ी है उन्होंने गांव के मुखिया रग्गन दलित की भूमिका निभाई।

 मोहना के चरित्र में था नितिन प्रजापति, बजट के चोले में साहिल सिद्दक़ी, मंत्री राहुल शर्मा, उनके पीए तथा आईएएस बने थे दर्श वर्मा, गांव के लोगों में डिबरी की भूमिका में रितिकांक्षा, कढ़ाई की भूमिका में मीनाक्षी मंडल, दवा के रुप में राईमा मंडल, बत्ती तोतला के किरदार में थे। अमोघ मिश्रा, मोहित कुमार मरते लाल की भूमिका में तथा चपेटा लाल की भूमिका में थे कुंदन कुमार। सभी कलाकारों ने अपने किरदारों को बाखूबी निभाया। दिल्ली की जनता ने इस नाटक को अपना स्नेह और इतनी सर्दी में अपना समय देकर ये बता दिया कि वे नाटक के व्यंग और संदेश को खूब समझते हैं ।

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