विश्व पुस्तक मेला : इमर्जिंग ट्रेंड्स इन नार्थ ईस्ट इंडिया" पर विचार विमर्श

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली : "नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में शीर्षक "इमर्जिंग लेटरेरी ट्रेंड्स इन नार्थ ईस्ट" पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन असम प्रकाशन परिषद् और ऑल असम पब्लिशर्स एंड सेलर एसोसिएशन के परिचालन में दिल्ली विश्वविद्यालय की अध्यापिका और विशिष्ठ लेखिका डॉ रत्नोत्तमा दास विक्रम के सञ्चालन में शुरू हुआ। उन्होंने उत्तर पूर्वांचल साहित्य विषय पर आलोचना प्रारम्भ की। आलोचना उत्तर पूर्वांचल साहित्य के उपन्यास,कथा शिल्प,कविता एवं राष्ट्रीय प्रयाय विषय लेकर हुई। चर्चा बेहद ही गवेषणापूर्ण साहित्य जानकारी भरी रही है। 

कार्यक्रम में उत्तरपूर्वांचल साहित्य को लेकर व्यक्तिगत रूप से प्रासंगिक,तथ्य परख,विश्लेषणात्मक वक्तव्य द्वारा विशिष्ठ लेखक-गवेषक,उपन्यासिक-गल्पकार-निबंधकार में इसिलिंग कामये,डॉ प्रार्थना सैकिया,डॉ मनोजीत बोरा,डॉ शवेलिम सांखिल,डॉ मेरिलिन लिंग्दो लवाह,पंकज प्रतिम बारदोलोई ने अपने विचार रखे। इसमें असम तथा उत्तर पूर्वांचल की भाषा को समृद्ध करने की बात हुई। सभी लेखक-कवियों ने ऐसे जनसाधारण के बीच साहित्यिक आलोचना जायदा से जायदा करने पर जोर दिया।

 इस सत्र में कई कवियों-लेखक के अलावा छात्र -छात्रों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम में प्रकाश के संपादक मिहिर देवरिया ने भी अपने विचार रखे। इसके अलावा कई गण्यमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे,जिसमे ऑल आसाम बुक पब्लिशर एंड सेलर एसोसिएशन के उप -सभापति बाहरुल इस्लाम चौधुरी,संपादक धीरज गोस्वामी और नई दिल्ली के असम व उत्तर पूर्वांचल के कई जाने माने लेखक उपस्थित थे।

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