जादुई आवाज के बादशाह अमीन सयानी नही रहें

 ० विनोद कुमार सिंह ० 
रेडियो की प्रतिष्ठित जादुई आवाज,जिसने भारत व विदेशों में लाखों भारतीयों के दिलों पर राज किया और सुनहरी आवाज के साथ असाधारण प्रस्तुतकर्ता अमीन सयानी ने आज 91 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।महान रेडियो प्रस्तोता अमीन सयानी लाखों दिलों की धड़कन थे ,कई दशकों तक उनका रेडियो कार्यक्रम गीत माला बेहद लोकप्रिय रहा क्योंकि उनके लाखों प्रशंसक उत्सुकता से इसका इंतजार करते थे और उनकी जादुई आवाज को सुनने के लिए अपना मनोरंजन करते थे।फिर टेलीविजन आया और धीरे-धीरे,हालांकि लंबे समय के बाद वह नजरों से और दिमाग से बाहर हो गए। 

शुरुआत दौर में रेडियो और बॉलीवुड में गायक बनने की हार्दिक इच्छा रखने वाले अमीन सयानी एक प्रसारक बन गए और देखते देखते उनकी जादुई आवाज ने श्रोताओं को प्रभावित किया और लोग उनकी आवाज और गीतमाला जैसे लोकप्रिय कार्यक्रमों को सुनने के लिए रेडियो से घंटो तकचिपके रहे थें। 1932 में तत्कालीन बंबई, एक बहुभाषी परिवार में जन्मे अमीन सयानी ने अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो से रेडियो प्रस्तोता के रूप में की थी। 

ऑल इंडिया रेडियो से उनका परिचय उनके भाई हामिद सयानी ने कराया था।एक संपूर्ण सज्जन अमीन सयानी जादुई आवाज के राजा थे, जिन्होंने कई दशकों तक लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों पर राज किया और एक घरेलू नाम बन गए, जिसे हर कोई पसंद करता था।वह लगभग एक दशक तक रेडियो आकाशवाणी मुंबई में अंग्रेजी कार्यक्रम का हिस्सा रहे और फिर आजादी के बाद हिंदी क्षेत्र को ध्यान में रखा।हिंदी में प्रस्तोता के रूप में उनकी आवाज़ आकाशवाणी के कार्यक्रम प्रेमियों की बेहद हिट और जीवंत आवाज़ बन गई।आजतक के मुताबिक, तब हामिद सयानी भी रेडियो सीलोन में अंग्रेजी गानों का अपना दिलचस्प कार्यक्रम प्रसारित कर रहे थे।

1991 में हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'आनंद' की रिलीज के बाद ही उन्हें पता चला कि फिल्म में जिस आदमी की आवाज उन्हें पसंद थी,वह वही आदमी है जो रेडियो प्रस्तोता बनने का सपना लेकर उनके पास आया था, जिससे उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया था।पहले भी कई बार जब अमिताभ लोकप्रिय नहीं थे।

इस महान रेडियो प्रस्तोता अमीन सयानी नें लाखों दिलों की धड़कन थे,कई दशकों तक उनका रेडियो कार्यक्रम गीतमाला बेहद लोकप्रिय रहा क्योंकि उनके लाखों प्रशंसक उत्सुकता से इसका इंतजार करते थे और उनकी जादुई आवाज को सुनने के लिए अपना मनोरंजन करते थे।फिर टेलीविजन आया और धीरे-धीरे,हालांकि लंबे समय के बाद वह नजरों से और दिमाग से बाहर हो गए।शुरुआत में रेडियो और बॉलीवुड में गायक बनने की हार्दिक इच्छा रखने वाले अमीन सयानी एक प्रसारक बन गए 

और जल्द ही उनकी जादुई आवाज ने सभी को प्रभावित किया और लोग उनकी आवाज और गीत माला जैसे लोकप्रिय कार्यक्रमों को सुनने के लिए रेडियो से चिपके रहे थें।आप बता दें स्वर के इस सम्राट का जन्म1932 में तत्कालीन बंबई,एक बहुभाषी परिवार में हुआ था।अमीन सयानी ने अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो से रेडियो प्रस्तोता के रूप में की थी।ऑल इंडिया रेडियो से उनका परिचय उनके भाई हामिद सयानी ने कराया था।

एक संपूर्ण सज्जन अमीन सयानी अपनी जादुई आवाज के बादशाह थे,जिन्होंने कई दशकों तक अपने दमदार व मधुर स्वर के बदौलत लाखों- करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करते हुए।हर कोई पसंद करता था।आप लगभग एक दशक तक रेडियो आकाशवाणी मुंबई में अंग्रेजी कार्यक्रम का हिस्सा रहे और फिर आजादी के बाद हिंदी क्षेत्र को चुना। हिंदी में प्रस्तोता के रूप में उनकी आवाज़ आकाश वाणी के कार्यक्रम प्रेमियों की बेहद हिट और जीवंत आवाज़ बन गई।

भारत अपनी आजादी के पाँचवें बर्ष में प्रवेश कर चुका था । वही अमीन सयानी का वास्तविक परिचय और लोकप्रियता का नया अध्याय सन् 1952 में शुरू हुआ । उसी समय जब एक विज्ञापन कंपनी का एक अधिकारी श्रीलंका के रेडियो(सीलोन) में हिंदी फिल्मी गीतों की श्रृंखला का एक दिलचस्प कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा था। यह विज्ञापन कंपनी कोई और नही बल्कि एक टूथपेस्ट कंपनी के लिए विज्ञापन बना रही थी जिसे उस समय बिनाका के नाम से जाना जाता था।यह कम्पनी अपने अन्य उत्पादों का उत्पादन भी करती थी।एक खबरिया चैनल के अनुसार,तब हामिद सयानी भी रेडियो सीलोन में अंग्रेजी गानों का अपना दिलचस्प कार्यक्रम प्रसारित कर रहे थे।

इस कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए कम्पनी ने भविष्य हिन्दी श्रोताओं की प्रसंद हिंदी फिल्मी गानों की जबरदस्त मांग को ध्यान में रखते हुए, विनाका कम्पनी विज्ञापन के माध्यम सेबिनाका गीत माला नाम से एक हिंदी कार्यक्रम बनाने के बारे में कल्पना की ,जिसके प्रस्तोता अमीन सयानी थे।जो देश के हिंदी भाषी क्षेत्र के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुए।विगत मंगलवार को हिन्दी प्रेमी के लिए एक दुःखद समाचार भाई कि स्वर के सम्राट अमीन सयानी नें इस संसार अलविदा कह दिया है।यह दुखद सुचना आज मुझे एड मीडिया मित्र के फेस बुक के वॉल पर मिली ! खबर की पुष्टि के लिए मैने कई श्रोतो से पता किया । इसी दौरान मुझे लोक सभा ओम बिरला जी कें X पोस्ट पर देखनें को मिला।

"अपनी मखमली आवाज़ और प्रस्तुति की विशिष्ट शैली से अमीन सयानी जी श्रोताओं के लिए रेडियो के पर्याय बन चुके थे। उनके शब्दों और वाणी का प्रभाव किसी भी दृश्य को जीवंत कर देता था। उनका निधन कला जगत में एक युग का अंत है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। परिजनों के प्रति संवेदनाएं। .इस महान आइकन का 91 वर्ष की आयु में हृदय गति रुकने से निधन हो गया।

एक बाकिया है कि 2014 में इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार,81 साल की उम्र में जब अमीन सयानी "सितारों की जवानियां" नामक एक शो की मेजबानी कर रहे थे,सयानी ने बताया कि कैसे उन्होंने बच्चन के ऑडिशन का मौका गंवा दिया,जो आगे चलकर हिंदी सिनेमा के शहंशाह बन गए। 1991 में हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'आनंद' की रिलीज के बाद ही उन्हें पता चला कि फिल्म में जिस आदमी की आवाज उन्हें पसंद थी,वह वही आदमी है जो रेडियो प्रस्तोता बनने का सपना लेकर उनके पास आया था, जिससे उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया था पहले भी कई बार जब अमिताभ लोकप्रिय नहीं थे।

मुझे भी सिलोन रेडियों के एक श्रोता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।मैं उन्हें दिल से प्यार करता हूँ। 80 के दशक में मनोरजंन के गिने चुनें साधन हुआ था।खासकर गाँव में।ऐसे रेडियों पर कई ज्ञानवर्दक व मनोरंजन कार्यक्रम रेडियों पर आते थें।इन मुघर संगीत के कार्यकम प्रत्येक शुक्रवार की शाम आठ बजे हिन्दी फिल्मी गीतों का कार्यक्रम बिनाका टाँप नाम सें श्री लंका के सिलोन ' रेडियों पर आता था। खासकर साल के अन्त में बिनाका टॉप 10 गीतो का चयन अमीन सयानी के कुशल नेतृत्व में किया जाता था। उनकी जादू ई आवाज आज भी मेरे कान में गुँज रही - - बहनों भाईयों -- ये शाट वेव -- -- -- सिलोन रेडियो है। अब आपका दोस्त- अमीन समानी -- का नमस्कार -

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