अपने अस्तित्व की सुरक्षा से जूझती गौरैया

० श्याम कुमार कोलारे ० 
  "गौरैया की चहचहाहट से, भोर हुआ करती थी,
गौरैया से करलव से, दिन-रजनी से मिला करती थीl"
एक समय था जब हमारा जीवन गांवो में बसा करता था l जहाँ हमारे चारों ओर ग्रामीण परिवेश में बसे जीव-जन्तु निवास करते थे, उन्मुक्त गगन में जब हम इन जीव-जंतुओं के इर्दगिर्द रहते तो जमीन से जुड़े हुए होने का यथार्त आनंद की अनुभूति करते थे l हम सभी को याद होगा कि उन जीवों में से एक नन्ही सी चिड़िया गौरैया भी हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हुआ करती थी, इसकी चहचहाहट से ही दिन की शुरुआत होती थी, और इनके करलब से ही दिन का प्रकाश शांत होता था l 

सभी के घर-आँगन की शोभा गौरैया हमारे आसपास अपना जीवन बड़े उमंग से व्यतीत करती थी l हमारे घर के नन्हे बच्चे गौरैया के पीछे-पीछे भागते-दौड़ते और साथ खेला करते थे l उस समय की कल्पना से ही मन में जैसे उमंग भर जाती हैl इस सुखद यादें अपने मन में रखे इस नन्हा सा जीव गौरैया को देख अब लगता है जैसे यह हमसे रूठ गयी है l बहुत-बहुत दिनों तक इसके दर्शन नहीं होते हैl उसकी चहचहाहट, करलब की ध्वनी को सुनने के लिए मन फिर से मचल उठता है l



 उसकी फुदक के साथ हमारे पैर भी थिरकने के लिए तरसने लगे l पता नहीं किसकी नजर लग गई; यह नन्ही साथी अब हमारे खेत-खलियान, घर-आँगन से अदृश्य होती जा रही है l रवि की फसल आते ही किसानो की यह नन्ही दोस्त चने, मटर के खेत में इल्लियाँ खाती नजर आती थी, किसानोपयोगी यह नन्हा जीव अपनी मित्रता निभाने के लिए जैसे बिन मजदूरी के मजदूर की भांति सुबह से अपने काम में बड़े परिश्रम से लग जाती थी l

किसानो के इस दोस्त की संख्याँ दिन व दिन कम होते जा रहे है; यह हमारे लिए एक चिंता का विषय हैl हर साल 20 मार्च का दिन दुनियांभर में गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है l भारत और दुनियाभर में गौरैया पक्षी की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है l हर साल 20 मार्च को गौरैया पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के उद्ददेश के यह दिवस मनाया जाता है l गौरैया धरती में सबसे पुरानी प्रजाति में से एक है l गौरैया की लुप्त होती प्रजाति और कम होती आबादी बेहद ही चिंता का विषय है l पहली बार गौरैया दिवस 2010 में मनाया गया था, नेचर फॉरएवर सोसाइटी (भारत) और इको-सीस एक्शन फाउंडेशन (फ्रांस) के सहयोग से विश्व गौरैया दिवस की शुरुआत की गई l

पेड़ो की अंधाधुंध कटाई, आधुनिकरण, शहरीकरण और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से गौरैया पक्षी विलुप्त होने की कगार पर पहुँच गया है l गौरैया पक्षी की संख्याँ में लगातार कमी एक चेतावनी है कि प्रदूषण और रेडीएशन प्रकृति और मानव के ऊपर क्या प्रभाव डाल रही है l इसे दुरुस्त करने की नित्तांत आवश्यकता है l हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस एक ख़ास थीम “आई लव स्पैरो” के साथ मनाया जाता है l

गौरैया के संरक्षण और बचाव के लिए हमें कुछ सरल सहयता कर इसे बचा सकते है l गौरैया आपके घर में घोसला बनाये, तो उसे हटायें नहीं l रोजाना आँगन, खिड़की, बहरी दीवारों पर दाना पानी रखें l गर्मियों में गौरैया के लिए पानी रखें l पेड़ों पर डिब्बे, मटके आदि टांगे जिसमे गौरैया घोसला बना सके l घरों, छत में घान, बाजरा की बाली लटकाकर रखे l यह हमारा एक नन्ही सी दोस्त का संरक्षण एवं बचाव के लिए प्यास कर सकते है l गौरैया हमारे पर्यावरण पर हमारे जीवन का एक जरुरी है, इसलिए इनकी रक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य है l
"न जाने यह करलव, अब शांत से लगते है
इसकी आबाज बिन, दिन सुने से लगते है l"

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