मनरेगा ग्रामीण भारत में जल संरक्षण के प्रयासों को आगे बढ़ा रही है
पानी की समस्या से जूझ रहे 1593 ब्लॉकों को कवर किया जाएगा और जिसके तहत जल संरक्षण एवं वर्षा जल के संचय पर फोकस किया जाएगा। देश में स्वच्छता अभियान की भांति ही जल संरक्षण को भी एक 'जन आंदोलन' का रूप देने का प्रयास किया जाएगा। मनरेगा दरअसल 'जल शक्ति अभियान (जेएसए)' में एक प्रमुख साझेदार है और इसे सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है नयी दिल्ली - पिछले पांच वर्षों के दौरान मनरेगा एक ऐसी प्रमुख ताकत बनकर उभरी है जो समस्त ग्रामीण भारत में जल संरक्षण के प्रयासों को आगे बढ़ा रही है। इस योजना के जरिए पहले मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में गहराए संकट को कम करने पर ध्यान दिया जाता रहा है, लेकिन अब यह राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) से जुड़े कार्यों के जरिए ग्रामीण आमदनी बढ़ाने के एक ध्यान केन्द्रित अभियान में तब्दील हो गई है। वर्ष 2014 में मनरेगा अनुसूची-I में संशोधन किया गया जिसके तहत यह अनिवार्य किया गया है कि कम से कम 60 प्रतिशत व्यय कृषि एवं उससे जुड़ी गतिविधियों पर करना होगा। इसके परिणामस्वरूप अधिनियम के तहत स्वीकृति योग्य कार्यों की एक सूची तैयार की गई है जिसमें ऐसी लगभग 75 प्रतिशत