संदेश

जामिया द्वारा उर्दू अकादमी दिल्ली के शिक्षकों को किया गया प्रशिक्षित 

चित्र
नयी दिल्ली   - जामिया मिलिया इस्लामिया की उर्दू माध्यम शिक्षक प्रशिक्षण अकादमी द्वारा तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें उर्दू अकादमी दिल्ली द्वारा संचालित उर्दू साक्षरता केंद्रों के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई । जामिया द्वारा तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें उर्दू साक्षरता केंद्र के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया 13 सितंबर से 15 सितंबर तक चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यशाला में उर्दू रस्मुल ख़त की तदरीस ,तारीख ए ज़बान उर्दू का तआर्रूफ़ , मनसूबा ए सबक़ की अहमियत, अफसानवी अदब,तदरीस और तरबियत की मुबादियात- शिक्षण और प्रशिक्षण की मूल बातें , मुहावरा,कहावत, ज़र्ब उल मिस्ल,  शायरी की तदरीस पर लेक्चर हुए। प्रोफेसर कौसर मज़हरी,  प्रोफेसर अब्दुल रशीद,डाॅक्टर शोएब रज़ा ख़ान,डाॅक्टर वाहिद नज़ीर,डाॅक्टर हिना आफ़रीं और डाॅक्टर नौशाद आलम ने लेक्चर दिए।  प्रोग्राम के इफ्तेताही इजलास की की सदारत प्रोफेसर शहज़ाद अंजुम सदर शोबा ए उर्दू जामिया मिलिया इस्लामिया ने की उन्होंने अपने ख़ुतबे  में कहा कि शिक्षा देना एक तरह से तरीक़ा ए पेशा ए इबादत की तरह है शिक्षक को चा

अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना राजनीतिक मुहावरा बनता जा रहा है

चित्र
पुरातन काल से राजा महाराजाओं की सच्ची परीक्षा गुण ज्ञान प्रजा पालन की चर्चाएं आज भी इतिहास के गर्भ में अंकित हैं। अशोक महान तो  जन जीवन में इतने समाविष्ट हुए कि बर्तमान में अशोक चक्र के विना भारतीय संस्कृति को अधूरा समझा जायेगा। उनका पुरातनकाल क्या था उसको बर्तमान नहीं जानना चाहता। जनता-जनार्दन की चाहत सर्बोपरि होती है। आज का जन-मानस राजनेताओं के गुण एवं अवगुणों विशेषताओं का मूल्यांकन भी कर रहा है। माननीय मोदी जी का दूसरा कार्यकाल इसी परीक्षा का प्रतिफल है। भविष्य निर्धारण करेगा वे जनता की भावनाओं की परीक्षा में आगे कितने सफल होंगे। उनका भावी इतिहास जनता निर्धारित करेगी। पुरानी कहावत है जो जैसा बोयेगा , वैसे फल पायेगा।जनता रूपी भूमि में राजनीति फलती फूलती है। बैठकों का दौर आरम्भ हो गया है। आलोचना और आलोचकों की कमी नहीं है हम और तुम में सदैव अन्तर बना रहा। अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना  राजनीतिक मुहावरा बनता जा रहा है।सच् धरातल पर आता है राजा सदैव वीर और मंत्री चतुर होना किसी भी राज्य का विस्तार, विकास का द्योतक माना जाता है विक्रमादित्य का चाणक्य विश्व विजेता बनाता है। दिल्ली के विकास मे

दिल्ली दिव्यांग शिक्षक संघ ने सरकार से रखी अपनी मांग 

चित्र
नयी दिल्ली , दिल्ली की कविता कॉलोनी ( नांगलोई) में दिल्ली दिव्यांग शिक्षक संघ(DDTA) की दिव्यांग अध्यापको की मीटिंग संघ के सीनियर वाईस प्रेजिडेंट कर्मवीर की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। दिल्ली दिव्यांग शिक्षक संघ के अध्यक्ष जय सिंह अहलावत ने विस्तार से दिव्यांग शिक्षकों की समस्याओं की तरफ ध्यान दिलाते हुए बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा बनाये गए नई इमारतें भी सरकारी भाषा में बाधारहित नहीं है। जिसके चलते शिक्षकों को चार मंजिलें भवनों में अलग अलग मंजिलों पर पढ़ाने जाने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। महासचिव सन्दीप तोमर ने समस्याओं का निराकरण के लिए किए जाने वाले उपायों पर विस्तार से प्रकाश डाला। मीटिंग के मुख्य एजेंडे "दिव्यांग शिक्षकों को पदोन्नति में आरक्षण" पर उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया।मीटिंग में अशोक, निजामुद्दीन कुरैशी, विद्या सागर कौशिक, राकेश सक्सेना, प्रमोद बंसल, अंजना शर्मा, अनिता यादव,उपेंद्र सिंह, रवि दत्त, आदित्य नारायण, विनोद शंकर तिवारी, दलबीर,  के.के. भारद्वाज,परशुराम,रत्नेश चंद द्विवेदी इत्यादि शिक्षक उपस्थित थे। मीटिंग में दिव्यांग श्रेणी से चयनित अध्य

विक्रम विश्वविद्यालय एवं हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी के सयुंक्त तत्वाधान में साहित्यक संगोष्ठी का आयोजन

चित्र
उज्जैन -महाकाल की नगरी उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय एवं हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी के सयुंक्त तत्वाधान में द्विदिवसीय साहित्यक संगोष्ठी का आयोजन किया गया । यह संगोष्ठी गाँधी जी के 150 वे जन्मोत्सव पर आधारित थी। हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी के अध्यक्ष सुधाकर पाठक जी अपने 16 कार्यकर्ताओं  व सदस्यों के साथ इस संगोष्ठी में शामिल हुये। हिन्दुस्तानी भाषा के कार्यकर्ताओं व सदस्यों ने भी विभिन्न शोधार्थियों के साथ अपना वक्तव्य दिया । बापू को व शहीदों को समर्पित काव्यांजलि भी दी गई ।मनीषा ,नीतू ,सुखवर्षा व सरोज शर्मा की स्त्री विमर्श की रचनाओं का भी भरपूर स्वागत हुआ। सुषमा भंडारी ने अपने अंदाज में नमन शारदे आपको वंदन बारम्बार शब्द पुष्प मैं लाई हूं करना माँ स्वीकार।।                                                                                                                          =========== महाकाल तेरी शरण गर मुझको मिल जाय। राम कसम इस पल मेरा जन्म सफल हो जाय।। महाकाल नगरी तेरी छू कर हुई निहाल। दर्शन तेरे जो हुये हो गई मालामाल।। महाकाल कोई नहीं  समझा मेरी पीर। तुझसे मिलने को मेरा मनुआ हुआ

कीर्तिवर्धन का दृष्टि संसार का विमोचन और किशोर श्रीवास्तव की प्रदर्शनी "खरी-खरी" का प्रदर्शन

चित्र
मुजफ्फरनगर । यहां एसडी इंजिनियरिंग कालेज में प्रसिद्ध साहित्यकार और समाज सेवी (डॉ.) अ. कीर्तिवर्धन की काव्य पुस्तक 'कीर्तिवर्धन का दृष्टि संसार' का भव्य विमोचन कार्यक्रम अनेक अविस्मरणीय पलों के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर किशोर श्रीवास्तव की जन चेतना कार्टून पोस्टर प्रदर्शनी 'खरी-खरी' का आयोजन भी कालेज के प्रांगण में किया गया। सुलभ इंटरनेशनल के डॉ. अशोक कु. ज्योति के मुख्य आतिथ्य और कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एस एन चौहान की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मेरे साथ अलावा विशिष्ट अतिथियों में सर्वश्री बीबी चौरसिया (एसपी यातायात), विद्वान प्रवक्ता प्रो. (डॉ.) राम शर्मा एवं डॉ. गुंजन अग्रवाल आदि की भी गरिमापूर्ण उपस्थिति रही। इनके अलावा आश्चर्यजनक बात यह रही कि श्रोता वर्ग में भी नगर की अत्यंत प्रबुद्ध, वरिष्ठ और विद्वान साहित्यिक हस्तियां शामिल रहीं और पुस्तक तथा मेरी प्रदर्शनी पर उनके अमूल्य विचार सुनने का अवसर भी प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का अत्यंत सुंदर और रोचक संचालन कलाकर्मी पंकज शर्मा ने किया। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न सामाजिक साहित्यिक प्रतिभाओं सर्वश्री अमरीष गोयल,

लाल बिहारी लाल हुए सम्मानित 

चित्र
नई दिल्ली । भोजपुरी औऱ हिंदी के जाने- माने लेखक, कवि  और पत्रकार लाल बिहारी लाल को  इनके के साहित्य सेवा के  लिए नवजागरण प्रकाशन ने हाल ही में  सम्मानित किया  है। यह सम्मान मुख्य अतिथि रंग श्री के संस्थापक डा़ महेन्द्र प्रताप सिंह और साहित्यकार डा़. मंजूला जी द्वारा गांधी शांति पीस फांउडेशन,नई दिल्ली  के सभागार में दिया गया।  लाल पिछला दो दशक से  साहित, समाज और पत्रकारिता के क्षेत्र में सेवा कर रहे है। इन्हें  कई सरकारी और गैरसरकारी संस्था सम्मानित कर चुकी है। हाल ही में उन्हें   पत्रकारिता के  लिए सुरताल संगम संस्था,लखनऊ के द्वारा सम्मानित किया गया  है। श्री लाल को 100 से  ज्यादा  सम्मान  मिल चुके  है। इनकी भोजपुरी कविता- क्रांति  बिहार के दो   विश्वविद्यालय में  पढायी  जाती  है।

हर घर की यही कहानी

चित्र
किसको सुनाएं अपनी दारुण कथा। आज जो भी मिलता है अपनी कथा अपनों के ही दिये जाने वाले  दुःख दर्द की कहानी वयां करता है। हर घर की कहानी लगभग एक ही सीरियल की तरह है।सास सासुओं के झुरमुट में बहुओं की सारी कहानी शादी के बाद से नाती होने तक की प्रत्येक सीन की तरह सुनाती है। कभी सिर पर मारती है कभी छाती पीटती है। बहू ने मेरे बेटे पर जादू कर डाला है  हम से बोलता तक नहीं, आंखों से गंगा-जमुना बहाना तो बुढ़िया का हर दिन का काम है।नमक मिर्च मिलाने वाले तथा इधर की उधर करने वालों की कमी नहीं है। मतलब सिद्ध करने के लिए बहू के साथ भी ठीक और सासु के साथ भी आंखें मटका कर बात  कर लेती है साथ ही मेरा नाम मत लेना तेरी बहू ऐसा कह रही थी राम राम जमाना बहुत बुरा है । मेरे बहू बेटे अभी मेरे हाथ में हैं मैं जैसा कहती हूं मजाल क्या जो टाल जायं।  यह इसलिए ताकि ये महारानी हमारे घर का भेद न ले सके। वहां की राम कहानी तो और भी भयंकर है।  कुछ खुले मन की होती हैं और कुछ दूसरे का भेद ले लेती हैं अपना नहीं बताती। अधिकतर इन्ही बातों से परिवार बिगड़ते जा रहे। दूसरों पर विश्वास आम बात हो गई है। अपनों पर नहीं। जहां बुजुर्ग पति