जीवन के तीन H,H,H जिसने जीते वही योगी
मानव शरीर में इन तीन अंगों की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। जिनकी उपलब्धि से सामान्य मनुष्य महामानव तथा योगी हो सकता है। Head_शीर्षभाग भाल,माथा जिसमें दृष्टि,श्रर्व्य,श्रवण ,गंध,स्वाद सभी इंद्रियों का सम्मिश्रण है। यही वह भाग है जहां तिलक और ताज सजता है। शिव के त्रिनेत्र, विशाल जट्टा जूट,मां गंगा का धारण स्थल , तथा निर्मल चंद्र बिराजमान है। शिव शक्ति ने ये सभी गुण मनुष्य में भी दिए हैं। क्योंक हम सभी शिव अंश ही तो हैं। सिर में निर्मल मस्तिष्क की रचना विवेक के ज्ञानार्जन के लिए की गई है मस्तिष्क विकार रहित है उसमें सद्बुद्धि भरी है तो वह मुखरित होकर सारे नेक काम करवायेगी।मन की चंचलता और आत्मा की स्थिरता , head से ही संचालित होती है। हमें स्वाभिमान का पाठ सिर ही पढ़ाता है।वह चाहे अपना हो या भारत मां का,जाति धर्म की बलवेदी पर भी वही न्योंछावर करवाता है। 💓 Heart-करुणा और दया का सागर दिल ही तो है।आस्था का जुड़ाव मन और मस्तिष्क से ही तो जुड़ा है। दिलों से जुड़ने से श्रृष्टि का निर्माण हुआ है। सभी जीव जंतु एक दूसरे पर इसीलिए तो निर्भर हैं। भोजन, हवा, आत्मरक्षा, निर्माण, ये सब दिलों का अपन्वत ह