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बड़वाघाट में गोरधोवान मेला,श्रद्धालुओं ने घोघाडी़ नदी में पैर धोकर पूजा की

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मशरक ,छपरा - कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन बाद लगने वाले मशरक प्रखंड के क्षेत्र के बड़वाघाट में गोरधोवान मेला के मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने घोघाडी़ नदी में पैर धोकर आस्था से पूजा की। भोर पहर से शुरू हुआ मेला देर शाम तक चलता रहा। दूर-दराज से चलकर आने वाले श्रद्धालुओं का दिनभर तांता लगा रहा। इस दौरान हर हर गंगे के जयघोष से बड़वाघाट गूंजता रहा। गोरधोवान मेला में पैर धोने के बाद श्रद्धालुओं ने बड़े ही विधि विधान से घोघाड़ी नदी किनारे बने मंदिर में पूजन अर्चन किया। इस दौरान धूप, दीप, अक्षत, रोली, चंदन, पुष्प, दूध, दही, शहद, घृत व नैवेद्य समर्पित कर लोगों ने सुख और समृद्धि की कामना की। कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन बाद लगने वाले मेला के अवसर पर बुधवार को लगे मेले में प्रशासनिक तैयारी पूरी तरह चौकस रही। श्रद्धालु के लिए घाटों पर सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी। मेला में सीओ मशरक ललित कुमार सिंह, बीडीओ राजीव कुमार सिन्हा एवं थानाध्यक्ष रत्नेश कुमार वर्मा ने बरवाघाट मेला की सुरक्षा व्यवस्था के लिए तत्पर दिखाई दिये। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि वरीय पदाधिकारियो के निर्देश पर मेले में चप्पे चप्पे

केजरीवाल की फ्री योजना चुनावी ड्रामा Delhi Public Opinion

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आज तंत्र यंत्र और षड़यंत्र का बोलबाला है, जिसने इस विद्या को सीख लिया वह परांगत व्यक्ति

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लेखक > विजय सिंह बिष्ट बदलता परिवेश,समय समय पर संसार में कई परिवर्तन हुए हैं। कुछ प्राकृतिक होते हैं और कुछ मानवीय परिवर्तन कहलाते हैं। आदिकाल का इतिहास जिसमें मानव चेतना का समय कहा जा सकता है सतयुग में उसे नामित किया गया। उस समय के लोगों का आचरण मात्र सत्य पर निर्भर था, शिक्षा प्रणाली मंत्र प्रधान थी, वेदों  और ऋचाओं का अध्ययन भी बोधगम्य करना होता था।लेखन कार्य भोज पत्रों  अथवा शिला लेखों पर आधारित था। शिक्षा आचार्यों और मंत्र दृष्टाओं पर गुरुकुल या आश्रमों में दी जाती थी। इसके उदाहरण मिलते हैं  श्री राम की धनुष विद्या ,पुष्पक विमान का चालन ,तीर कमान का अभिमंत्रित होकर चलाना। रिद्धि सिद्धि के प्राप्त होने पर हनुमान जी का आकार प्रकार बढ़ाना,मात्र मंत्र शक्ति थी। त्रेतायुग में मंत्र दान गुरु दक्षिणा के आधार पर शिष्ठ समाज का निर्माण हुआ। द्वापर में मंत्र के साथ तंत्र विद्या का प्रादुरभाव हुआ, इसमें वेद के साथ लवेद और सत्य के साथ असत्य  का उद्भव भी होने लगा। राज्य प्राप्ति के लिए समय समय पर शकुनि और द्रुयोधन का छल कपट, जोड़ तोड़ की राजनीति तंत्र पर आधारित हो गई। भगवान श्री कृष्ण का सार

37 Street Children's सरकारी स्कूल में हुआ दाखिला

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Guru Nanak DevJi 550th.PrkashParv,गुरु नानक जयंती

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आने वाले वक्त के अंदर जनता और सबक सिखाएगी CM अशोक गहलोत

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ विशेष संवाददाता की हुई बातचीत के कुछ अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं।   सवाल: महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया है क्या जल्दबाजी की है? जवाब : नियत अच्छी नहीं लगती है, महाराष्ट्र बहुत महत्वपूर्ण राज्य है देश का उसमें अगर हंग असेंबली आ गई तो राज्यपाल महोदय की ड्यूटी थी कि वह कम से कम कि कैसे स्थिति संभल सकती है, किस प्रकार स्थाई गवर्नमेंट बन सकती है, उसकी बजाय जल्दबाजी में उन्होंने पहले बुलाया शिवसेना को और टाइम दे दिया, टाइम बाउंड 7:30 यह कहां लिखा हुआ है, आपने 2 दिन 3 दिन, 7:30 टाइम दिया और इंतजार किया 7:30 कब हो और immediately रिएक्शन दे दिया अगली एनसीपी को बुलाएंगे और बाद में एनसीपी का मामला क्या हुआ सबको मालूम है देश को मालूम है। अब जो ध्वनियां निकल रही है मिस्टर राणे जो पहले कांग्रेस में थे, शिवसेना में थे और अब वह बीजेपी में है वह कहते हैं कि हम तो साम दाम दंड भेद कुछ भी करेंगे सरकार बनाएंगे आप सोच सकते हो कि देश किस दिशा में जा रहा है, उस रूप में आज मोदी जी, अमित शाह जी और यह एनडीए गवर्नमेंट देश को चला रही है, पूरा मुल्क देख रहा है इनको झटक

गुरु नानक देव जी ने 'सरबत दा भला' यानी 'सभी की भलाई' के लिए काम किया~राष्ट्रपति

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नयी दिल्ली - गुरु नानक देव जी का जीवन और शिक्षाएं संपूर्णता को प्रेम, त्‍याग, समानता और सद्भाव के आदर्शों से अवगत कराती हैं। उन्होंने ज्ञान का प्रकाश फैलाया और सभी को भेद  मानव भाव तथा कर्मकांडों से मुक्त होने के लिए प्रेरित किया और 'सरबत दा भला' यानी 'सभी की भलाई' के लिए काम किया। उन्‍होंने नाम जपो, कीरत करो और वंड छको' का संदेश दिया है, जिसका अर्थ है: ईश्वर के नाम का जप करो, ईमानदारी और मेहनत के साथ अपनी जिम्‍मेदारी निभाओ और जो कुछ भी कमाते हो उसे जरूरतमंदों के साथ बांटो। उन्‍होंने पूरी मानता के लिए यह आह्वान किया था। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरु नानक देव जी के जन्‍म दिवस की देश के नागरिकों को अपनी शुभकामनांए दी हैं। अपने संदेश में राष्‍ट्रपति ने कहा कि गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के शुभ अवसर पर मैं देश और विदेश में रहने वाले सभी भारतीय नागरिकों विशेष रूप से सिख समुदाय के भाई और बहनों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।  गुरु नानक देव जी ने महिलाओं के सम्मान की आवश्यकता पर जोर दिया। वे एक आदर्श पारिवारिक व्यक्ति थे, जो एक संतों की तरह रहे और उन्‍होंने पूरी