भारतीय राजनीति का बदलता स्वरूप
विजय सिंह बिष्ट भारत के लोगों में आजादी प्राप्ति की इतनी खुशी थी,कि इसको प्राप्त करने में अंग्रेजी शासन द्वारा दी गई यातनाओं और अपनों की मौतों को भी भूल गए। पराधीनता के आज़ादी में बदलने का उत्सव पंद्रह अगस्त को हर्षोल्लास से मनाया गया। यह स्वतंत्रता दिवस था, जिसे आज भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इसको पाना कितना कठिन था। गुलामी एक कैदी की तरह जेल की चारदीवारी में रहने जैसा है। किंतु जब वह आजाद होकर बाहर आता है तब यदि वह बेगुनाह था तो अपने को आजाद समझता है ,उसको अपनी शासन सत्ता चाहिए। उद्देश्यों की पूर्ति के विधान की आवश्यकता होती है। इसलिए भारतवासियों को पूर्ण स्वतंत्रता के रूप में गणतंत्र दिवस की प्राप्ति हुई। अपना संविधान अपने राज्य के रूप में। विधानसभा और लोकसभा के चुनाव आरंभ हुए। वर्ष 1955/56ई0 में चुनावों का दौर आरम्भ हुआ। हमारे क्षेत्र से सर्व प्रथम राम प्रसाद नौटियाल, मेहरबान सिंह कंण्डारी कांग्रेस से विधायक हुए थे। उस समय उत्तर प्रदेश हमारा राज्य था। भक्त दर्शन सिंह रावत केंद्र में शिक्षा मंत्री जगमोहन सिंह नेगी खाद्य मंत्री एवं म