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World Unani Medicine Day 2020 @ Delhi यूनानी दवाओं के प्रोत्साहन के लिए
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भाजपा नेताओं ने फालतु बयानबाजी न की होती तो केजरीवाल को दिल्ली में बहुमत के बराबर सीट नहीं मिलती
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आरिफ़ जमाल आज इस बात को लेकर एक बड़ा तबका खुश है कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में तीसरी बार मुख्यमंत्री और दिल्ली में सरकार बन रही है । ध्यान रहे जिस पार्टी की कोई विचार धारा नहीं होती, कोई जड़ नहीं होती उसका कोई लंबा सफर भी नहीं होता । केजरीवाल और उनके अनेक विधायक पिछली सरकार में कितने विवादों में रहे हैं वह किसी से छुपा नहीं है । आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के विकास ,निर्माण,रोज़गार,महंगाई पर कितना काम या प्रयास किया है यह भी किसी से छुपा नहीं है। अरविन्द केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में साढ़े चार साल सिर्फ इस शिकायत और आलोचना में गुजार दिए कि दिल्ली के उप-राज्यपाल और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें काम नहीं करने दे रहे या उनके काम में रोड़ा अटकाया जाता रहा। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से छह माह पहले ही कैसे पूरी दिल्ली को वह सारी सुविधाएँ मिलने लगी या पूरी हो गई जिसका दावा केजरीवाल और उनकी पार्टी खूब ढोल नगाड़े बजा कर करने लगी। आम आदमी पार्टी का जन्म ही पार्टी के विरोध से हुआ है ।। इसकी विचार धारा यह है जब यह डूबने पर आएगी तो किसी भ
आलस का परिणाम
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संत कुमार गोस्वामी गोपाल बहुत आलसी व्यक्ति था। घरवाले भी उसकी इस आदत से परेशान थे। वह हमेशा से ही चाहता था कि उसे एक ऐसा जीवन मिले, जिसमें वह दिनभर सोए और जो चीज चाहे उसे बिस्तर में ही मिल जाए। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। एक दिन उसकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद वह स्वर्ग में पहुंच गया, जो उसकी कल्पना से भी सुंदर था। गोपाल सोचने लगा काश! मैं इस सुंदर स्थान पर पहले आ गया होता। बेकार में धरती पर रहकर काम करना पड़ता था। खैर, अब मैं आराम की ज़िंदगी जिऊंगा वह यह सब सोच ही रहा था कि एक देवदूत उसके पास आया और हीरे-जवाहरात जड़े बिस्तर की ओर इशारा करते हुए बोला- आप इस पर आराम करें। आपको जो कुछ भी चाहिए होगा, बिस्तर पर ही मिल जाएगा। यह सुनकर गोपाल बहुत खुश हुआ। अब वह दिन-रात खूब सोता। उसे जो चाहिए होता, बिस्तर पर मंगवा लेता। कुछ दिन इसी तरह चलता रहा। लेकिन अब वह उकताने लगा था। उसे न दिन में चैन था न रात में नींद। जैसे ही वह बिस्तर से उठने लगता दास-दासी उसे रोक देते। इस तरह कई महीने बीत गए। गोपाल को आराम की ज़िंदगी बोझ लगने लगी। स्वर्ग उसे बेचैन करने लगा था। वह कुछ काम करके अपना दिन बिताना चाहता था। ए
Delhi केजरीवाल की जबरदस्त जीत पर जनता बोली नफरत की हार मोहब्बत की जीत
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डॉ मुक्ता कृत पुस्तकों-'परिदृश्य चिंतन के'और 'हाशिए के उस पार' का लोकार्पण
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