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कविता के माध्यम से बड़ा संदेश

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Bhojpuri Film के लिए फ़रीदाबाद में हुआ ऑडिशंस

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अभिमान अक्ल को खा जाता है

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एक घर के मुखिया को यह अभिमान हो गया कि उसके बिना उसके परिवार का काम नहीं चल सकता। उसकी छोटी सी दुकान थी। उससे जो आय होती थी, उसी से उसके परिवार का गुजारा चलता था। चूंकि कमाने वाला वह अकेला ही था इसलिए उसे लगता था कि उसके बगैर कुछ नहीं हो सकता।वह लोगों के सामने डींग हांका करता था। एक दिन वह एक संत के सत्संग में पहुंचा। संत कह रहे थे, “दुनिया में किसी के बिना किसी का काम नहीं रुकता।यह अभिमान व्यर्थ है कि मेरे बिना परिवार या समाज ठहर जाएगा।सभी को अपने भाग्य के अनुसार प्राप्त होता है।” सत्संग समाप्त होने के बाद मुखिया ने संत से कहा, “मैं दिन भर कमाकर जो पैसे लाता हूं उसी से मेरे घर का खर्च चलता है। मेरे बिना तो मेरे परिवार के लोग भूखे मर जाएंगे।”संत बोले, “यह तुम्हारा भ्रम है।हर कोई अपने भाग्य का खाता है।” इस पर मुखिया ने कहा, “आप इसे प्रमाणित करके दिखाइए।” संत ने कहा, “ठीक है। तुम बिना किसी को बताए घर से एक महीने के लिए गायब हो जाओ। ”उसने ऐसा ही किया। संत ने यह बात फैला दी कि उसे बाघ ने अपना भोजन बना लिया है। मुखिया के परिवार वाले कई दिनों तकशोक संतप्त रहे। गांव वाले आखिरकार उनकी मदद के ल

इंडिया फैमिली मार्ट का ऑल न्यू स्प्रिंग 2020 कलेक्शन

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नयी दिल्ली - वैल्यू फैशन रिटेल चेन मुख्य रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों में संचालित हो रही है और 99 रुपए से शुरू होने वाले कपड़ों के तौर पर पॉकेट-फ्रेंडली ट्रेंड्स से परिचय करा रही है अपने स्प्रिंग कलेक्शन 2020 के साथ 1-इंडिया फैमिली मार्ट (भारत में सबसे तेजी से बढ़ती वैल्यू रिटेल चेन) अपने भावी ग्राहकों की फैशन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रयासरत है। अपने जीवन में रंगों को शामिल करने के लिए ब्रांड ने वैल्यू-ड्रिवन प्राइज रेंज पर अपने नए स्प्रिंग कलेक्शन में नवीनतम ट्रेंड्स और विविधता को पेश किया है। जैसा कि हम जानते हैं हम वसंत ऋतु का स्वागत कर रहे हैं, 1-इंडिया फैमिली मार्ट फ्लोरल कुर्ती (349 रुपए से शुरू), स्टेटमेंट टी-शर्ट (199 रुपए से शुरू), प्रिंटेड शर्ट (249 रुपए से शुरू), ब्राइट ब्लश और अलमारी के लिए आकर्षक कपड़े प्रस्तुत करता है। यह कलेक्शन अब लखनऊ (यूपी), बिहटा (बिहार), उदलगुरी (असम) जैसे 90 से अधिक शहरों में 1-इंडिया फैमिली मार्ट के 100+ स्टोर में उपलब्ध है।

देर आऐ, दुरुस्त आऐ

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एक मछुआरे ने अपना जाल उठाया और नदी की ओर चल पड़ा। नदी पहुंचकर उसने देखा कि अभी दिन पूरी तरह से नहीं निकला है तो वह नदी के किनारे-किनारे टहलने लगा। टहलते-टहलते अचानक उसके पैरों से कोई सख्त सी चीज टकराई। उसने झुककर वह चीज उठाई तो पाया कि नन्हे-नन्हे पत्थरों से भरी हुई एक छोटी-सी थैली है। सूरज निकलने में अभी भी कुछ देर थी इसलिए मछुआरे ने जाल एक तरफ रख दिया और समय गुजारने के लिए उन छोटे-छोटे पत्थरों से खेलने लगा। फिर वह एक के बाद एक उन पत्थरों को नदी में फेंकने लगा। ऐसा करते-करते आखिर में अब मछुआरे के हाथ में अंतिम पत्थर बचा था। इसे भी वह फेंकने जा रहा था लेकिन तभी सूरज निकल आया। सूरज की रोशनी में उसने देखा कि उसके हाथ में पत्थर नहीं बल्कि एक बहुमूल्य हीरा था।  मछुआरे को अपनी नादानी पर बहुत अफसोस हुआ कि वह बेशकीमती हीरों को यूं ही फेंकता रहा। लेकिन अब "पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।"हमारे साथ भी अक्सर ऐसा ही होता है। हम मछुआरे की तरह ही हीरे जैसी कीमती चीजों को अपनी अज्ञानता के कारण नष्ट करते रहते हैं अथवा उनका सदुपयोग नहीं करते।  ऐसी बहुत सी चीजें और कार्य होते हैं। समय

सैकड़ों किस्म के फूलों की प्रदर्शनी

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जब तक हम लड़ेंगें नहीं,सरकार सुनेगी नहीं

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