प्यार रंग गहरा बहुत फीकी होती जंग
होली के त्योहार पर करें न हम हुडदंग। प्यार रंग गहरा बहुत फीकी होती जंग।। द्वेष ईर्ष्या लोभ सब झगड़े की शुरुआत। होली खुशियों से भरी कर लें मीठी बात ।। जब से जग को लग गया मैं- मैं -मैं का रोग। तर्क वितर्क कुतर्क का अन्तर भूले लोग।। रंग सभी देते हमें मनमोहक बर्ताव। आ होली के रंग से धो लें सारे घाव।। होली की अग्नि जले करूँ बुराई भस्म। भीतर भी होली जले सीखूंगी तिलिस्म।। सुषमा भंडारी