महिला दिवस पर विशेष : नारी के बिना अधूरी है दुनिया
लाल बिहारी लाल हमारी भारतीय संस्कृति ने सदैव ही नारी जाति का स्थान पूज्यनीय एवं वन्दनीय रहा है, नारी का रूप चाहे मां के रूप में हो, बहन के रुप में हो, बेटी के रुप में हो या फिर पत्नी के रूप में हो सभी रुपों में नारी का सम्मान किया जाता है। यह बात आदिकाल से ही हमारे पौराणिक गाथाओ में विद्यमान रही है। और आज भी जगह –जगह देवी के रुप में पूजी जाती हैं। नौ रात्रों में क्न्या खिलाने की प्रथा आज भी विद्यमान है। हमें यह भी ज्ञात है कि नारी प्रेम, स्नेह, करूणा एवं मातृत्व की प्रतिमूर्ति है। इसलिए जरुरी है की नारी का ख्याल रखना जरुरी है। यह कहना है लाल कला मंच के संस्थापक सचिव, समाजसेवी,पत्रकार एवं दिल्ली रत्न लाल बिहारी लाल का। नारी की दीनहीन दशा देखकर कई समाज सुधारको ने प्रयत्न किया और आज सरकारी स्तर पर इन्हे समान दर्जा प्राप्त है। राजाराम मोहन राय के अथक प्रयास से सती प्रथा का अंत हुआ।फिर नारी की दशा सुधारने के लिए आचार्य विनोवा भावे ,स्वामी विवेकानंद ने भी काम किया। ईश्वर चंद विद्या सागर के प्रयास से विधवाओं की स्थिति सुधारने के लिए विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 आया। नारी की स्थिति सुधार